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डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज देने के मामले में HC ने PCCF सिंघल को लगाई फटकार, दिए कार्रवाई के निर्देश - उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज

डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज देने के मामले में गुरुवार 23 मार्च को उत्तराखंड हाईकोर्ट में पीसीसीएफ विनोद सिंघल व्यक्ति रूप से पेश हुए. कोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को फटकार लगाई और पूछा कि डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज देने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है? क्योंकि कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में उन अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था.

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Published : Mar 23, 2023, 4:43 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज दिए जाने के खिलाफ वन क्षेत्राधिकारी संगठन की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को फटकार लगाते हुए डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज देने वाले डीएफओ एवं उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ में उनसे इस मामले में एक विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है.

कोर्ट ने अगली तारिख पर पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी. आज 23 मार्च को पीसीसीएफ विनोद सिंघल पूर्व के आदेश पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. मामले के अनुसार वन क्षेत्राधिकारी संघ की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि डिप्टी रेंजर को रेंज का चार्ज दिया जा रहा है, और रेंज अधिकारियों को रेंज चार्ज से वंचित किया जा रहा है.
पढ़ें- 19 साल के शातिर फ्रेंचाइजी के नाम पर लगा चुके हैं करोड़ों का चूना, उत्तराखंड STF ने बिहार से चार ठगों को दबोचा

पूर्व में उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि डिप्टी रेंजर को रेंज का चार्ज नहीं दिया जा सकता और रेंज चार्ज देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. उसके बाद भी वन विभाग ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया और न ही कोर्ट में अपना जवाब पेश किया.

आदेश का पालन नहीं होने पर कोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था. गुरुवार को कोर्ट में पेश होकर पीसीसीएफ ने कहा कि दो डिप्टी रेंजरों अभी भी रेंज का चार्ज लिए बैठे हैं. उन्होंने अपने शपथपत्र में कहा कि एक को चार्ज हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में दिया गया है.
पढ़ें- पुष्कर सिंह धामी सरकार का एक साल पूरा, 'एक साल नई मिसाल' है समारोह की थीम

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी की ओर से हाईकोर्ट का वह आदेश कोर्ट को दिखाया गया, जिसमें यह स्पष्ट था कि हाईकोर्ट ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि उस डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज दिया जाए. इस पर विनोद सिंघल ने भी अपनी गलती मानी और कोर्ट से माफी भी मांगी. इसके बाद हाईकोर्ट ने जब विभागाध्यक्ष से पूछा की उनके द्वारा उन अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई. जिन्होंने डिप्टी रेंजरों ऑफिसर को रेंज ऑफिसर के पद का चार्ज दिया है.

जिसके बाद उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2017 से वह पीसीसीएफ नहीं हैं, बल्कि पीसीसीएफ 2022 में ही बने हैं. इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अब वो विभागाध्यक्ष के पद पर हैं, तब उन्हें हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.

हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को आदेशित किया है कि वह इन सभी रेंज ऑफिसरों को विकल्प दें कि वह नॉन टेरिटोरियल रेंज में रहना चाहेंगे या टेरिटोरियल रेंज में. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज दिया भी जाता है तो वह उनकी वरिष्टता के आधार पर दिया जाय.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज दिए जाने के खिलाफ वन क्षेत्राधिकारी संगठन की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को फटकार लगाते हुए डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज देने वाले डीएफओ एवं उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ में उनसे इस मामले में एक विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है.

कोर्ट ने अगली तारिख पर पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी. आज 23 मार्च को पीसीसीएफ विनोद सिंघल पूर्व के आदेश पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. मामले के अनुसार वन क्षेत्राधिकारी संघ की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि डिप्टी रेंजर को रेंज का चार्ज दिया जा रहा है, और रेंज अधिकारियों को रेंज चार्ज से वंचित किया जा रहा है.
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पूर्व में उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि डिप्टी रेंजर को रेंज का चार्ज नहीं दिया जा सकता और रेंज चार्ज देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. उसके बाद भी वन विभाग ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया और न ही कोर्ट में अपना जवाब पेश किया.

आदेश का पालन नहीं होने पर कोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था. गुरुवार को कोर्ट में पेश होकर पीसीसीएफ ने कहा कि दो डिप्टी रेंजरों अभी भी रेंज का चार्ज लिए बैठे हैं. उन्होंने अपने शपथपत्र में कहा कि एक को चार्ज हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में दिया गया है.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी की ओर से हाईकोर्ट का वह आदेश कोर्ट को दिखाया गया, जिसमें यह स्पष्ट था कि हाईकोर्ट ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि उस डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज दिया जाए. इस पर विनोद सिंघल ने भी अपनी गलती मानी और कोर्ट से माफी भी मांगी. इसके बाद हाईकोर्ट ने जब विभागाध्यक्ष से पूछा की उनके द्वारा उन अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई. जिन्होंने डिप्टी रेंजरों ऑफिसर को रेंज ऑफिसर के पद का चार्ज दिया है.

जिसके बाद उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2017 से वह पीसीसीएफ नहीं हैं, बल्कि पीसीसीएफ 2022 में ही बने हैं. इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अब वो विभागाध्यक्ष के पद पर हैं, तब उन्हें हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.

हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को आदेशित किया है कि वह इन सभी रेंज ऑफिसरों को विकल्प दें कि वह नॉन टेरिटोरियल रेंज में रहना चाहेंगे या टेरिटोरियल रेंज में. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज दिया भी जाता है तो वह उनकी वरिष्टता के आधार पर दिया जाय.

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