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हल्द्वानी रेलवे भूमि पर अतिक्रमण मामला, HC ने फैसला सुरक्षित रखा, 4,500 परिवारों पर लटकी है तलवार

उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में करीब 4,500 परिवारों पर बेघर होने की तलवार लटकी है. इस मामले में सोमवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट (uttarakhand High Court) में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. रेलवे प्रशासन पिछले कई सालों से दावा करता आ रहा है कि हल्द्वानी (haldwani railway land) में उसकी 29 एकड़ भूमि पर लोगों ने कब्जा कर रखा है.

uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Apr 11, 2022, 5:59 PM IST

हल्द्वानी: नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के मामले में समाजिक कार्यकर्ता रविशंकर जोशी ने uttarakhand High Court में जो जनहित याचिका (encroachment case in haldwani) लगाई थी, उस पर सोमवार 11 अप्रैल को भी सुनवाई हुई. रेलवे, राज्य और केंद्र के अलावा प्रभावित लोगों की सुनने के बाद न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है.

इसके साथ ही खंडपीठ ने पक्षकारों को छूट दी है कि अगर उनको और कुछ कहना है तो वे दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष लिखित में दाखिल करें. सोमवार की सुनवाई में रेलवे ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कोर्ट में 30 दिन का प्लान भी पेश किया था. रेलवे ने कोर्ट को ये भी बताया कि उनके अधिकारियों की इस प्लान को लेकर बीते 31 मार्च को नैनीताल जिलाधिकारी के साथ बैठक हुई थी. बैठक में जिला अधिकारी ने उनसे पूरा प्लान मांगा था, जो रेलवे ने आज जिलाधिकारी को देने के साथ ही कोर्ट में भी पेश किया है. रेलवे ने उन्होंने जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुरक्षा मांगी थी.
पढ़ें- हल्द्वानी में 4,500 घरों पर चलेगा बुलडोजर, नागालैंड और असम से बुलाई गई फोर्स

वहीं, जनहित याचिका में कुछ प्रभावित लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वे सालों से यहां पर रह रहे है. यह भूमि उनके नाम खाता-खतौनियों में चढ़ी हुई है. रेलवे ने उनको सुनवाई का मौका तक नहीं दिया. पूर्व में रेलवे ने शपथ-पत्र पेश कर कहा था कि जिला प्रसाशन अतिक्रमण को हटाने को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है. इस पत्र के आधार पर कोर्ट ने जिला प्रसासन और रेलवे को निर्देश दिए थे कि दोनों संयुक्त बैठक करें और जिला प्रसाशन व रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने को लेकर निर्णय लें.

मामले के अनुसार 9 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें. वहीं, आज 11 अप्रैल रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिनमे करीब 4,365 लोग मौजूद है.

हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया, जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए. इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया, जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रति उत्तर नहीं दिया गया. जबकि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा-निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं.

साथ ही इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन एवं राज्य सरकारों की होगी. अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाने पर राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं.

हल्द्वानी: नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के मामले में समाजिक कार्यकर्ता रविशंकर जोशी ने uttarakhand High Court में जो जनहित याचिका (encroachment case in haldwani) लगाई थी, उस पर सोमवार 11 अप्रैल को भी सुनवाई हुई. रेलवे, राज्य और केंद्र के अलावा प्रभावित लोगों की सुनने के बाद न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है.

इसके साथ ही खंडपीठ ने पक्षकारों को छूट दी है कि अगर उनको और कुछ कहना है तो वे दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष लिखित में दाखिल करें. सोमवार की सुनवाई में रेलवे ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कोर्ट में 30 दिन का प्लान भी पेश किया था. रेलवे ने कोर्ट को ये भी बताया कि उनके अधिकारियों की इस प्लान को लेकर बीते 31 मार्च को नैनीताल जिलाधिकारी के साथ बैठक हुई थी. बैठक में जिला अधिकारी ने उनसे पूरा प्लान मांगा था, जो रेलवे ने आज जिलाधिकारी को देने के साथ ही कोर्ट में भी पेश किया है. रेलवे ने उन्होंने जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुरक्षा मांगी थी.
पढ़ें- हल्द्वानी में 4,500 घरों पर चलेगा बुलडोजर, नागालैंड और असम से बुलाई गई फोर्स

वहीं, जनहित याचिका में कुछ प्रभावित लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वे सालों से यहां पर रह रहे है. यह भूमि उनके नाम खाता-खतौनियों में चढ़ी हुई है. रेलवे ने उनको सुनवाई का मौका तक नहीं दिया. पूर्व में रेलवे ने शपथ-पत्र पेश कर कहा था कि जिला प्रसाशन अतिक्रमण को हटाने को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है. इस पत्र के आधार पर कोर्ट ने जिला प्रसासन और रेलवे को निर्देश दिए थे कि दोनों संयुक्त बैठक करें और जिला प्रसाशन व रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने को लेकर निर्णय लें.

मामले के अनुसार 9 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें. वहीं, आज 11 अप्रैल रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिनमे करीब 4,365 लोग मौजूद है.

हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया, जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए. इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया, जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रति उत्तर नहीं दिया गया. जबकि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा-निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं.

साथ ही इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन एवं राज्य सरकारों की होगी. अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाने पर राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं.

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