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शादी के लिए HC की शरण में गए समलैंगिक युवक, कोर्ट ने पुलिस प्रोटेक्शन का दिया आदेश - समलैंगिक युवक

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उधमसिंह नगर जिले के एसएसपी को दो समलैंगिक युवकों की शादी के लिए पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश दिया है. दोनों युवकों ने पुलिस प्रोटेक्शन की मांग करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Dec 16, 2021, 5:25 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उधमसिंह नगर जिले के दो समलैंगिक युवकों की उस याचिक पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने शादी करने के लिए पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एसएसपी उधमसिंह नगर और एसएचओ रुद्रपुर को युवकों को पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने विपक्षीगणों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा.

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई थी. मामले के अनुसार उधमसिंह नगर के दो युवक लंबे समय से एक-दूसरे से प्रेम करते थे. दोनों आपस में शादी करना चाहते हैं, लेकिन घरवाले इसका विरोध कर रहे हैं. इसीलिए युवकों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस प्रोटेक्शन की गुहार लगाई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने दोनों युवकों को पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश जारी किया.

पढ़ें- रुद्रपुर में SOG और ADTF की संयुक्त टीम ने 86 लाख का गांजा पकड़ा, दो आरोपी चढ़े हत्थे

बता दें कि शादी के लिए समलैंगिक युवकों द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट की शरण में आने का ये पहला मामला है. याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दी है. यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. उनकी भी उतनी ही भावनाएं और इच्छाएं हैं, जितनी की सामान्य नागरिकों की हैं. 2017 की रिपोर्ट के आधार पर 25 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है. 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अपराध माना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है. जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है. इस अधिकार के बिना बाकी अधिकार औचित्यहीन हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उधमसिंह नगर जिले के दो समलैंगिक युवकों की उस याचिक पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने शादी करने के लिए पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एसएसपी उधमसिंह नगर और एसएचओ रुद्रपुर को युवकों को पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने विपक्षीगणों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा.

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई थी. मामले के अनुसार उधमसिंह नगर के दो युवक लंबे समय से एक-दूसरे से प्रेम करते थे. दोनों आपस में शादी करना चाहते हैं, लेकिन घरवाले इसका विरोध कर रहे हैं. इसीलिए युवकों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस प्रोटेक्शन की गुहार लगाई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने दोनों युवकों को पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश जारी किया.

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बता दें कि शादी के लिए समलैंगिक युवकों द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट की शरण में आने का ये पहला मामला है. याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दी है. यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. उनकी भी उतनी ही भावनाएं और इच्छाएं हैं, जितनी की सामान्य नागरिकों की हैं. 2017 की रिपोर्ट के आधार पर 25 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है. 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अपराध माना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है. जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है. इस अधिकार के बिना बाकी अधिकार औचित्यहीन हैं.

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