हल्द्वानी: कांग्रेस की कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश (Indira Hridayesh) के निधन के बाद अब उनकी राजनीतिक विरासत (political legacy) को संभालने और आगे तक ले जाने के लिए चर्चाएं शुरू हो गई हैं. हृदयेश के तीन पुत्र हैं, सबसे बड़े पुत्र संजीव, दूसरे नंबर पर सौरभ और सबसे छोटे पुत्र सुमित हृदयेश (Sumit Hridesh) हैं. सबसे छोटे पुत्र सुमित हृदयेश पिछले 15 सालों से हल्द्वानी की राजनीति में सक्रिय भूमिका (active role in politics) निभा रहे हैं.
सुमित AICC के सदस्य भी हैं
वर्तमान समय में सुमित एआईसीसी के सदस्य (AICC member) भी हैं. उनको राजनीति का पूरा अनुभव है. वे हल्द्वानी मेयर पद का चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिसमें थोड़े से अंतर से वह हार गए थे. ऐसे में अब उन पर अपनी माता इंदिरा हृदयेश की राजनीतिक विरासत (Political Legacy of Indira Hridayesh) संभालने की जिम्मेदारी आ गई है. सुमित इंदिरा के सपनों को कितना आगे ले जाते हैं, यह तो आने वाले समय बताएगा. फिलहाल आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में देखना होगा की इंदिरा हृदयेश द्वारा किए गए विकास कार्यों के साथ-साथ क्या सहानुभूति भी सुमित हृदयेश को मिलेगी.
सुमित को चुनाव लड़ने का अनुभव
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार गणेश पाठक का कहना है कि इंदिरा हृदयेश की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए सुमित हृदयेश परिपक्व हैं. सुमित पिछले काफी समय से राजनीतिक में सक्रिय हैं और कुमाऊं के सबसे बड़े नगर निगम के मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं, जहां वह थोड़े से मतों से हारे गए थे. ऐसे में उनको चुनाव लड़ने का भी अनुभव है. ऐसे में उनकी राजनीतिक विरासत को सुमित आगे बढ़ाने का काम करेंगे.
उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव के साथ खाली हुई हल्द्वानी सीट पर चुनाव होंगे. क्योंकि नवंबर-दिसंबर में आचार संहिता लगने की उम्मीद है. इस समय कोई मध्यावधि चुनाव भी नहीं है.
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इंदिरा हृदयेश का राजनीतिक कद
वरिष्ठ पत्रकार गणेश पाठक के मुताबिक जिस तरह से इंदिरा हृदयेश का राजनीति में अपना कद था, उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों के साथ-साथ बहुत से लोगों को निजी तौर पर सहयोग कर उद्धार करने का भी काम किया है. ऐसे में कांग्रेस अगर सुमित हृदयेश को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट (ticket in assembly election) देती है तो इंदिरा हृदयेश के प्रति लोगों में सहानुभूति है और इसका लाभ सुमित को मिलेगा.
हालांकि सुमित के आगे सबसे बड़ी चुनौती है कि जिस मापदंड के अनुसार इंदिरा हृदयेश ने राजनीति की क्या उस मापदंड पर सुमित हृदयेश खरे उतरेंगे. यह राजनीति के गर्भ में है.
'इंदिरा ने हल्द्वानी में विकास कार्य किए'
वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी का कहना है कि इंदिरा हृदयेश द्वारा किए गए कार्यों को हल्द्वानी की जनता जल्दी भुला नहीं पाएगी. इंदिरा का विजन बहुत बड़ा था और वह बड़े स्तर पर काम करना चाहती थीं. हल्द्वानी में इंटरनेशनल स्टेडियम, जू निर्माण सहित अन्य विकास कार्य उन्हीं की देन हैं. सड़क से लेकर सदन का उनके पास बेहतर अनुभव था.
ऐसे में अगर आगामी विधानसभा चुनाव में सुमित को कांग्रेस से टिकट मिलता है तो निश्चित ही इसका फायदा मिलेगा. ऐसे में देखना होगा कि सुमित अपनी मां द्वारा किए गए विकास कार्यों को जनता के बीच कितनी मजबूती के साथ रख पाते हैं.
गोविंद कुंजवाल ने सुमित का उपयोगी बताया
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल (Jageshwar MLA Govind Singh Kunjwal) का कहना है कि इंदिरा हृदयेश की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए सुमित हृदयेश सबसे उपयोगी साबित होंगे. क्योंकि सुमित को राजनीति का अनुभव है और अपनी माता जी को कई बार चुनाव लड़ा चुके हैं. इसके अलावा खुद भी नगर निगम का चुनाव लड़ चुके हैं.
ऐसे में इंदिरा हृदयेश की राजनीतिक विरासत को सुमित ही बेहतर संभाल सकते हैं. कुंजवाल ने कहा कि इंदिरा की इस सीट पर सुमित को कांग्रेसी लड़ाएगी और किसी दूसरे कांग्रेसी नेता को इस सीट पर लड़ने का विचार भी नहीं करना चाहिए.