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'टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर' को लेकर अच्छी खबर, महाशीर मछली के लिए कोसी बैराज और नैनीताल झील बनी जीवन दायिनी

विलुप्ति प्रजाति में शामिल महाशीर मछली को लेकर अच्छी खबर है. रामनगर कोसी बैराज डैम में सिंचाई विभाग की मेहनत रंग लाई है. यहां महाशीर मछली की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए सुकून देने वाली खबर है.

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Published : Mar 31, 2023, 6:46 AM IST

Updated : Mar 31, 2023, 9:16 AM IST

'टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर' को लेकर अच्छी खबर

हल्द्वानी: मछलियों की राजा कहे जाने वाली महाशीर मछली विलुप्ति प्रजाति में है. महाशीर मछली का अस्तित्व कई राज्यों में खत्म हो चुका है. लेकिन उत्तराखंड में महाशीर मछली देखने को मिल रही है. पहली बार ऐसा हुआ है कि महाशीर मछली अब कुमाऊं मंडल के रामनगर कोसी बैराज डैम और नैनीताल झील में काफी तादाद में देखी जा रही हैं. महाशीर मछली को टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर भी कहा जाता है.

महाशीर मछली को लेकर अच्छी खबर: भारत में महाशीर की लगभग 16 प्रजातियां पाई जाती हैं. लेकिन इसमें से कई प्रजातियां ऐसी हैं, जो धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर हैं. अवैध शिकार, खनन, पर्यावरणीय कचरा आदि के नुकसान अब हिमालयी नदियों में पाए जाने वाले जलचरों पर भी दिखाई देने लगे हैं. इन दुष्प्रभाव से ये प्रजातियां संकटग्रस्त हैं. प्रकृति प्रेमियों का मानना है कि महाशीर का लुप्त होना अच्छा संकेत नहीं है. अगर हिमालयी नदियों से इसी तरह महाशीर खत्म होती रही, तो इसका असर नदियों पर भी पड़ेगा. हिमालयी नदियों में महाशीर की खासकर दो प्रजातियां पाई जाती हैं. पहली टोरटोर और दूसरी टोरपीटीटोरा महाशीर है. यह मछली सुनहरे पीले रंग की होती हैं, जिसे गोल्डन महाशीर भी कहा जाता है. इसका वजन 25 किलो तक व लम्बाई एक फीट से तीन फीट तक होती है.
पढ़ें-पर्यावरणविद् अनिल जोशी बोले- तेजी से विकास पहाड़ों के लिए साबित हो रहा खतरनाक

महाशीर मछलियों की विलुप्ति का ये है कारण: जानकारों की मानें तो इन मछलियों की विलुप्ति का मुख्य कारण प्रजनन के बाद यह अपने अंडे देने नदियों के किनारे बालू या झाड़ियों के पास जाती हैं. लेकिन इसी समय नदियों से अवैध खनन, अवैध मछलियों के शिकार के चलते उनके अंडे सुरक्षित नहीं रह पाते हैं. मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग संजय शुक्ला ने बताया कि विलुप्त हो रही महाशीर मछली सिंचाई विभाग के कई और झीलों में देखने को मिल रही हैं. उन्होंने बताया कि रामनगर कोसी बराज में बड़ी मात्रा में महाशीर मछली पाई गई हैं जो संरक्षित प्रजाति में हैं. यही नहीं कोसी बैराज में महाशीर मछली की संख्या अधिक होने के चलते प्रवासी पक्षी भी बैराज में पहुंच रहे हैं. प्रवासी पक्षियों की भोजन में महाशीर मछली पहली पसंद है. जानकारों की मानें तो हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाली महाशीर मछली का मुख्य भोजन नदियों में पड़े पत्थर में लगी काई है, जिसे महाशीर मछली चाटती है.

'टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर' को लेकर अच्छी खबर

हल्द्वानी: मछलियों की राजा कहे जाने वाली महाशीर मछली विलुप्ति प्रजाति में है. महाशीर मछली का अस्तित्व कई राज्यों में खत्म हो चुका है. लेकिन उत्तराखंड में महाशीर मछली देखने को मिल रही है. पहली बार ऐसा हुआ है कि महाशीर मछली अब कुमाऊं मंडल के रामनगर कोसी बैराज डैम और नैनीताल झील में काफी तादाद में देखी जा रही हैं. महाशीर मछली को टाइगर ऑफ फ्रेश रिवर भी कहा जाता है.

महाशीर मछली को लेकर अच्छी खबर: भारत में महाशीर की लगभग 16 प्रजातियां पाई जाती हैं. लेकिन इसमें से कई प्रजातियां ऐसी हैं, जो धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर हैं. अवैध शिकार, खनन, पर्यावरणीय कचरा आदि के नुकसान अब हिमालयी नदियों में पाए जाने वाले जलचरों पर भी दिखाई देने लगे हैं. इन दुष्प्रभाव से ये प्रजातियां संकटग्रस्त हैं. प्रकृति प्रेमियों का मानना है कि महाशीर का लुप्त होना अच्छा संकेत नहीं है. अगर हिमालयी नदियों से इसी तरह महाशीर खत्म होती रही, तो इसका असर नदियों पर भी पड़ेगा. हिमालयी नदियों में महाशीर की खासकर दो प्रजातियां पाई जाती हैं. पहली टोरटोर और दूसरी टोरपीटीटोरा महाशीर है. यह मछली सुनहरे पीले रंग की होती हैं, जिसे गोल्डन महाशीर भी कहा जाता है. इसका वजन 25 किलो तक व लम्बाई एक फीट से तीन फीट तक होती है.
पढ़ें-पर्यावरणविद् अनिल जोशी बोले- तेजी से विकास पहाड़ों के लिए साबित हो रहा खतरनाक

महाशीर मछलियों की विलुप्ति का ये है कारण: जानकारों की मानें तो इन मछलियों की विलुप्ति का मुख्य कारण प्रजनन के बाद यह अपने अंडे देने नदियों के किनारे बालू या झाड़ियों के पास जाती हैं. लेकिन इसी समय नदियों से अवैध खनन, अवैध मछलियों के शिकार के चलते उनके अंडे सुरक्षित नहीं रह पाते हैं. मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग संजय शुक्ला ने बताया कि विलुप्त हो रही महाशीर मछली सिंचाई विभाग के कई और झीलों में देखने को मिल रही हैं. उन्होंने बताया कि रामनगर कोसी बराज में बड़ी मात्रा में महाशीर मछली पाई गई हैं जो संरक्षित प्रजाति में हैं. यही नहीं कोसी बैराज में महाशीर मछली की संख्या अधिक होने के चलते प्रवासी पक्षी भी बैराज में पहुंच रहे हैं. प्रवासी पक्षियों की भोजन में महाशीर मछली पहली पसंद है. जानकारों की मानें तो हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाली महाशीर मछली का मुख्य भोजन नदियों में पड़े पत्थर में लगी काई है, जिसे महाशीर मछली चाटती है.

Last Updated : Mar 31, 2023, 9:16 AM IST
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