नैनीताल: रोडवेज कर्मचारियों को वेतन न देने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि 'जबतक रोडवेज कर्मचारियों को वेतन का भुगतान न हो, तबतक क्यों न अधिकारियों के 50 प्रतिशत वेतन को रोक दिया जाए'.
उत्तराखंड में रोडवेज कर्मचारियों को 6 माह से वेतन न मिलने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital Highcourt) के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए एक बार फिर से राज्य सरकार को अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, वित्त सचिव, परिवहन सचिव, एमडी परिवहन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए और अपना जवाब पेश किया.
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हाईकोर्ट को एमडी परिवहन की ओर से बताया गया कि राज्य में परिवहन निगम की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है. जिसके चलते कर्मचारियों को आधा वेतन देने का प्रस्ताव पारित किया गया है. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि सरकार किस आधार पर कर्मचारियों को आधा वेतन दे सकती है.
कोर्ट ने मुख्य सचिव समेत परिवहन सचिव से पूछा कि क्या कानून और संविधान के तहत सरकार की ओर से कर्मचारियों को आधा वेतन देने का फैसला किया है? सरकार के पास कोई ऐसा अधिकार है कि कर्मचारियों को आधा वेतन दिया जाए. वहीं, कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 23 का हवाला देते हुए राज्य सरकार को बताया कि कर्मचारियों को आधा वेतन देना असंवैधानिक और दंडनीय अपराध है.
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सुनवाई के दौरान एमडी परिवहन ने बताया कि रोडवेज कर्मचारियों के वेतन के लिए करीब 34 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री की ओर से उनके खातों में आज शाम तक डाल दिया जाएगा और बाकी भुगतान के लिए 1 हफ्ते के भीतर प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट में रखा जाएगा.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमसी पंत की ओर से कोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट की खंडपीठ की ओर से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्य सचिवों को बैठक कर परिसंपत्ति बंटवारे पर फैसला लेने के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक कोई भी फैसला नहीं हुआ है. मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को पुनः आदेश दिए हैं कि दोनों सचिव बैठकर परिसंपत्ति बंटवारे पर फैसला लें.
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बता दें कि रोडवेज कर्मचारियों को वेतन समेत अन्य देय, पेंशन का भुगतान न होने से नाराज रोडवेज कर्मचारियों की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें एसोसिएशन का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है. जब कर्मचारी हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं तो राज्य सरकार उन पर एस्मा लगाने जा रही है, जो गलत है.