ETV Bharat / state

रिजर्व फॉरेस्ट भूमि अतिक्रमण मामला, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

मामले में हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.

नैनीताल
नैनीताल
author img

By

Published : Jul 6, 2020, 9:06 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:08 AM IST

नैनीताल: ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द में रिजर्व फॉरेस्ट भूमि पर अतिक्रमण मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को 13 जुलाई तक अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

सोमवार को इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र से अब तक 52 कमरों की बिल्डिंग को डिमोलिश क्यों नहीं किया गया? साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मुनि चिदानंद ने भी क्षेत्र में कई पेड़ों को काट दिया है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है. लिहाजा पर्यावरण को हुए नुकसान व काटे गए पेड़ का मुआवजा भी चिदानंद से वसूला जाए.

पढ़ें- उत्तराखंडः कौशल्या देवी के जोश और जज्बे का कमाल, बंजर खेत उगल रहे 'सोना'

बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि ऋषिकेश के निकट बीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है. उसमें 52 कमरे समेत एक बड़ा हॉल व गौशाला का निर्माण किया है. जिस पर शासन, प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई. क्योंकि मुनि चिदानंद रसूखदार व्यक्ति हैं और उनके आश्रम में प्रदेश के नेता, मंत्री समेत वरिष्ठ अधिकारी आते जाते रहते हैं. जिस वजह से उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, लिहाजा उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित किया जाए.

नैनीताल: ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द में रिजर्व फॉरेस्ट भूमि पर अतिक्रमण मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को 13 जुलाई तक अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

सोमवार को इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र से अब तक 52 कमरों की बिल्डिंग को डिमोलिश क्यों नहीं किया गया? साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मुनि चिदानंद ने भी क्षेत्र में कई पेड़ों को काट दिया है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है. लिहाजा पर्यावरण को हुए नुकसान व काटे गए पेड़ का मुआवजा भी चिदानंद से वसूला जाए.

पढ़ें- उत्तराखंडः कौशल्या देवी के जोश और जज्बे का कमाल, बंजर खेत उगल रहे 'सोना'

बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि ऋषिकेश के निकट बीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है. उसमें 52 कमरे समेत एक बड़ा हॉल व गौशाला का निर्माण किया है. जिस पर शासन, प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई. क्योंकि मुनि चिदानंद रसूखदार व्यक्ति हैं और उनके आश्रम में प्रदेश के नेता, मंत्री समेत वरिष्ठ अधिकारी आते जाते रहते हैं. जिस वजह से उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, लिहाजा उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित किया जाए.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:08 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.