अमरावती: भारतीय चुनाव आयोग ने तेलुगु सिनेमा के पावर स्टार पवन कल्याण की जन सेना पार्टी को आंध्र प्रदेश की राजनीतिक पार्टी के रूप में मान्यता दे दी है. पार्टी का चुनाव चिन्ह ' कांच का ग्लास' होगा. चुनाव आयोग ने इस निर्णय को पार्टी अध्यक्ष पवन कल्याण को एक पत्र के माध्यम से सूचित कर दिया है. बता दें कि पवन कल्याण इस वक्त आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी हैं.
पिछले चुनाव में मिली थी कामयाबीः पिछले आम चुनावों में, जन सेना पार्टी ने लोकसभा की दो और विधानसभा की 21 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी. राज्य में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है. इस सफलता ने पार्टी को राज्यस्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता दिलायी. पार्टी की ओर से सोशल मीडिया एक्स पर ट्विट कर इसकी जानकारी दी. इस मौके पर राज्य की जनता का आभार भी जताया. वर्तमान में तमिलनाडु में डीएमके, आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी, बिहार में जेडीयू और तेलंगाना में टीआरएस राज्य स्तरीय राजनीतिक दल हैं.
क्या पोस्ट किया हैः पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, "जनसेना एक मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी. केंद्रीय चुनाव आयोग ने जन सेना पार्टी के चुनाव चिह्न के रूप में ग्लास को मान्यता देने के आदेश जारी किए हैं. जिसने पिछले चुनावों में हासिल की गई ऐतिहासिक जीत और जन सेना पार्टी के नेता पवन कल्याण के एक दशक के संघर्ष के साथ इतिहास रच दिया."
पार्टी को मान्यता देने के आधारः बता दें कि ईसीआई 1968 में निर्धारित मानदंडों के आधार पर किसी पार्टी को राष्ट्रीय/राज्य पार्टी के रूप में मान्यता देता है. आदेश में उल्लिखित शर्तों की पूर्ति के आधार पर कोई पार्टी यह दर्जा प्राप्त कर सकती है या खो सकती है. राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए किसी पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट शेयर और कम से कम दो विधायकों की आवश्यकता होती है.
इन पर भी विचार करता चुनाव आयोगः इसके अलावा पिछले संसदीय चुनावों में उस राज्य से कुल वोटों का 6 प्रतिशत और उस राज्य से कम से कम एक सांसद प्राप्त करना होता है. या, पिछले विधानसभा चुनावों में कुल सीटों की संख्या का कम से कम तीन प्रतिशत या तीन सीटें, जो भी अधिक हो, प्राप्त करनी होती हैं. या, लोकसभा में राज्य को आवंटित प्रत्येक 25 सदस्यों या किसी भी अंश के लिए उसके पास कम से कम एक सांसद होना चाहिए या उस राज्य से नवीनतम विधानसभा या आम चुनावों में डाले गए कुल वैध मतों का कम से कम 8 प्रतिशत होना चाहिए.
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