नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को 5 वर्षों के लिए बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को पांच और वर्षों के लिए बढ़ाने का फैसला किया है.
गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस योजना के लिए कोई बजटीय बाधाएं न आएं. वाणिज्य मंत्री ने संकेत दिया कि आगामी बजट यूनिवर्सल हेल्थ सर्विस तक पहुंच के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा.
#WATCH | Delhi | Announcing Cabinet decisions, Union Minister Piyush Goyal says," national health mission will continue for another five years." pic.twitter.com/BAzE7A9LXL
— ANI (@ANI) January 22, 2025
नई दिल्ली में प्रेस ब्रीफिंग में गोयल ने कहा, "बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा और आप देखेंगे कि सरकार ने हमेशा स्वास्थ्य पर जोर दिया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए जो भी धन की आवश्यकता होगी, वह प्रदान किया जाएगा."
कच्चे जूट के लिए एमएसपी को मंजूरी
इसके अलावा मोदी कैबिनेट ने मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.
उन्होंने कहा कि इस फैसले से उत्पादन की औसत लागत पर 66.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित होगा. मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट का एमएसपी, बजट 2018-19 में सरकार द्वारा घोषित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है.
#WATCH | Delhi | Announcing Cabinet decisions, Union Minister Piyush Goyal says, " the cabinet has approved msp for raw jute at rs 5,650 per quintal (for marketing season 2025-26)..." pic.twitter.com/u6bGV7EkPd
— ANI (@ANI) January 22, 2025
गोयल ने आगे कहा कि मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट का एमएसपी पिछले सीजन 2024-25 की तुलना में 315 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है. केंद्र सरकार ने कच्चे जूट का एमएसपी 2014-15 में 2400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 में 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो 3250 रुपये प्रति क्विंटल (2.35 गुना) की वृद्धि है.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान जूट उत्पादक किसानों को दी गई एमएसपी राशि 1300 करोड़ रुपये थी, जबकि 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान भुगतान की गई राशि 441 करोड़ रुपये थी.
40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर है. लगभग 4 लाख श्रमिकों को जूट मिलों और जूट के व्यापार में प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है. पिछले साल 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट की खरीद की गई थी. केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि 82 प्रतिशत जूट किसान पश्चिम बंगाल के हैं, जबकि शेष असम और बिहार में जूट उत्पादन में 9-9 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.
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