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जाति प्रमाण पत्र मामले में पूर्व विधायक राजकुमार की बढ़ीं मुश्किलें, HC ने जारी किया नोटिस

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, जाति प्रमाण पत्र मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राजकुमार और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

congress leader rajkumar caste certificate
पूर्व विधायक राजकुमार की जाति प्रमाण पत्र
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Published : Jan 22, 2022, 6:22 PM IST

नैनीतालः राजपुर रोड विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. वेकेशन जज न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए राजकुमार को नोटिस जारी किया है. साथ ही सरकार और राजकुमार से 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

गौर हो कि देहरादून निवासी बालेश बवानिया ने राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है. उनका आरोप है कि राजकुमार ने साल 2011 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपना जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया. शिकायतकर्ता की जांच के बाद साल 2012 में उसे निरस्त कर दिया गया था. फिर कुछ दिन बाद ही राजकुमार ने फिर से नया जाति प्रमाण पत्र हासिल कर लिया और वर्तमान समय में भी झूठे प्रमाण देकर जाति प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है.

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देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला निवासी बालेश बवानिया का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में डीएम को शिकायती पत्र सौंपकर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की. जिस पर डीएम ने एसडीएम को इसकी जांच सौंपी दी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के अनुसार, नियमानुसार राज्य में 1950 से पहले से रह रहे व्यक्ति को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार है. यदि आवेदक का परिवार 1950 से पहले दूसरे राज्य में रहता है तो वहीं से प्रमाण पत्र हासिल करने का अधिकारी होगा.

याचिका में यह भी कहा गया है कि जिलाधिकारी ने जांच एसडीएम से कराई जो कि विधि के खिलाफ है. जाति प्रमाण पत्र जारी करने व उसकी जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी माधुरी पाटिल के केस में कई अहम दिशा निर्देश दिए हैं. निर्णय में यह कहा गया है कि स्टेट कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की ओर से ही जाति प्रमाण पत्र की जांच की जाएगी. यह सरकार के साशनादेश में भी उल्लेखित है.

ये भी पढ़ेंः पूर्व MLA राजकुमार ने धामी सरकार को बताया फेल, मानदेय को बताया ऊंट के मुंह में जीरा

वहीं, जिलाधिकारी ने इसकी जांच कमेटी से न कराकर उप जिलाधिकारी से कराई है. याचिका में नैनीताल हाईकोर्ट से यह प्रार्थना की गई है कि उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाए. साथ ही इसकी जांच स्टेट कास्ट स्क्रूटनी कमेटी से कराई जाए. फिलहाल, कोर्ट ने राजकुमार और सरकार से जवाब मांगा है.

नैनीतालः राजपुर रोड विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. वेकेशन जज न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए राजकुमार को नोटिस जारी किया है. साथ ही सरकार और राजकुमार से 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

गौर हो कि देहरादून निवासी बालेश बवानिया ने राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है. उनका आरोप है कि राजकुमार ने साल 2011 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपना जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया. शिकायतकर्ता की जांच के बाद साल 2012 में उसे निरस्त कर दिया गया था. फिर कुछ दिन बाद ही राजकुमार ने फिर से नया जाति प्रमाण पत्र हासिल कर लिया और वर्तमान समय में भी झूठे प्रमाण देकर जाति प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है.

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देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला निवासी बालेश बवानिया का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में डीएम को शिकायती पत्र सौंपकर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की. जिस पर डीएम ने एसडीएम को इसकी जांच सौंपी दी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के अनुसार, नियमानुसार राज्य में 1950 से पहले से रह रहे व्यक्ति को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार है. यदि आवेदक का परिवार 1950 से पहले दूसरे राज्य में रहता है तो वहीं से प्रमाण पत्र हासिल करने का अधिकारी होगा.

याचिका में यह भी कहा गया है कि जिलाधिकारी ने जांच एसडीएम से कराई जो कि विधि के खिलाफ है. जाति प्रमाण पत्र जारी करने व उसकी जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी माधुरी पाटिल के केस में कई अहम दिशा निर्देश दिए हैं. निर्णय में यह कहा गया है कि स्टेट कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की ओर से ही जाति प्रमाण पत्र की जांच की जाएगी. यह सरकार के साशनादेश में भी उल्लेखित है.

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वहीं, जिलाधिकारी ने इसकी जांच कमेटी से न कराकर उप जिलाधिकारी से कराई है. याचिका में नैनीताल हाईकोर्ट से यह प्रार्थना की गई है कि उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाए. साथ ही इसकी जांच स्टेट कास्ट स्क्रूटनी कमेटी से कराई जाए. फिलहाल, कोर्ट ने राजकुमार और सरकार से जवाब मांगा है.

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