हल्द्वानी: गुरुवार को 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाना है. इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष कल्याणकारी शिव योग बन रहा है, जो भगवान शिव की आराधना से कई कष्टों से मुक्ति दिलाएगा. इस बार महाशिवरात्रि धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र के मध्यकाल में पड़ रहा है, जो शिव पूजन के लिए विशेष योग बन रहा है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी से-
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, महाशिवरात्रि के मौके पर सूर्योदय के बाद से शिव पूजन के साथ-साथ शिव जलाभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न करने का विशेष योग बन रहा है. इसके अलावा इस दिन रात्रि के चार पहर पूजा का विशेष महत्व है. गुरुवार शाम 7:00 बजे से लेकर शुक्रवार सुबह 4:50 तक शिव आराधना का विशेष महत्व है.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के लिए समर्पित है. इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और उसी के खुशी में हर साल महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है, जो अपने आप में विशेष महत्व रखता है.
पढ़ें- CM त्रिवेंद्र की जन्म कुंडली कर रही सत्ता परिवर्तन का इशारा, जानें क्या कहते हैं ज्योतिषी
आदिकाल से शिव आराधना सर्वश्रेष्ठ आराधना के रूप में मानी जाती है. देवताओं और ऋषि-मुनियों ने भी भगवान शिव की आराधना कर मनवांछित फल की प्राप्ति की थी, ऐसे में महाशिवरात्रि के मौके पर विशेष रूप से रात्रि पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. जहां भगवान शिव की आराधना कर मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं.
चार पहर में होती है पूजा
महाशिवरात्रि व्रत में चार पहर में पूजा किया जाता है. प्रत्येक पहर की पूजा में ओम नमः शिवाय का जाप करते रहना चाहिए. उपवास के अवधि में रुद्राभिषेक से भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न होते है. पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान शिव को भांग धतूरा बेर चंदन फल फूल अर्पित किया जा सकता है. साथ ही मां पार्वती के लिए सुहागिन महिलाएं सुहाग की प्रतीक चूड़ियां बिंदी सिंदूर आदि वस्तु को अर्पित कर सकती हैं.