हल्द्वानी: उत्तराखंड में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं. कभी कभी इन हादसों में बड़ी संख्या में लोग अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं. अगर दुर्घटना के समय तत्काल मदद मौके पर पहुंचे तो कई जानें बचाई जा सकती हैं. इसी को देखते हुए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 4 युवाओं ने एक ऐसा स्मार्ट व्हीकल स्टीकर तैयार किया है जो हादसे के दौरान वाहन चालक के परिजनों को तुरंत मैसेज पहुंचा देगा. इन युवाओं द्वारा बनाया गया यह स्टिकर न सिर्फ दुर्घटना के समय तत्काल मदद पहुंचाने में सहायक होगा, बल्कि पुलिस को राहत और घायल को भी बेहतर उपचार दिलाने में सक्षम होगा.
दरअसल, सॉफ्टवेयर सर्विस से जुड़े कालाढूंगी के रहने वाले विक्रम सिंह ने लॉकडाउन में 'मिल जाएगा' नाम से कंपनी बनाई है. जिसको लेकर उनका कहना है कि अक्सर सड़क हादसे में लोग अपनी जान गंवा देते हैं. सबसे ज्यादा लोगों की मौत सही समय पर उपचार न मिलने के कारण होती है. घायलों के परिजनों को उनकी जानकारी नहीं मिलती है. अगर सही समय पर जानकारी मिलती है तो परिजन अस्पताल या मौके पर पहुंचकर उनकी मदद कर सकते हैं. इसी को देखते हुए उन्होंने एक स्मार्ट स्टीकर बनाया है.
पढ़ें- एम्स निदेशक ने लगवाई कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज, 2 माह और रह सकता है कोरोना का असर
यह स्टीकर परिजनों को न सिर्फ दुर्घटना के समय तत्काल मैसेज भेजेगा. इस स्टीकर की सबसे खास बात है कि यह साइकिल से लेकर ट्रक तक किसी भी वाहन में लगाया जा सकता है. किसी भी आपात स्थिति में स्मार्ट स्टीकर को कोई भी मददगार व्यक्ति या पुलिस अपने मोबाइल से स्टीकर स्कैन करेगा. उसके बाद मोबाइल स्क्रीन पर कॉल नाउ टेक्स्ट मैसेज या इमरजेंसी कॉल का विकल्प दिखाई देगा. इस दौरान मददगार कॉल या मैसेज के माध्यम से परिजन को सूचित कर सकता है. यही नहीं कभी आपका वाहन नो पार्किंग में खड़ा हो तो इस स्टिकर को स्कैन कर तत्काल वाहन स्वामी को कॉल कर उसे सूचना दी जा सकती है.
पढ़ें- टीका लगने के बाद नर्स से बोले पीएम मोदी- लगा भी दी, पता भी नहीं चला
इसके अलावा इसमें परिजन दोस्तों या रिश्तेदारों का नंबर भी फिट किया जा सकता है. इसमें कॉल करने और रिसीव करने वाले दोनों के ही स्क्रीन पर टोल फ्री नंबर के रूप में दिखेगा. जिससे कि प्राइवेसी भी बनी रहेगी. 'मिल जाएगा' नाम कंपनी के फाउंडर विक्रम ने 2005 में हल्द्वानी के एक निजी इंस्टिट्यूट से बीबीए किया है. इसके बाद कई सॉफ्टवेयर कंपनी में उन्होंने काम किया. कंपनी के सीईओ राजेश पंत ने बताया कि अल्मोड़ा के रहने वाले गौरव बिष्ट वर्तमान में बेंगलुरु कंपनी में सॉफ्टवेयर कंपनी में काम कर रहे हैं . वह भी इस कंपनी में जुड़े हैं. जबकि, मध्यप्रदेश के भोपाल निवासी हंसराज सेठी इस समय गुरुग्राम में एमएनसी कंपनी में काम कर रहे हैं. वे इस कंपनी में स्मार्ट स्टिकर को तैयार करने मार्केटिंग और तकनीकी सहयोग में अपना अपना योगदान दे रहे हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड: सोमवार को मिले 47 नए मरीज, बीते दो दिनों में एक भी मरीज की मौत नहीं
कंपनी के चारों लोगों का कहना है कि वह चाहते हैं कि सरकार इसका संज्ञान ले, जिससे सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके. इसकी शुरुआती कीमत महज ₹500 रखी गई है. उन्होंने बताया कि इंडियन पेटेंट ऑफिस में स्टीकर को पेटेंट करवाने की प्रक्रिया भी उन्होंने शुरू कर दी है. राजस्थान परिवहन विभाग को भी इसे लागू करवाने का प्रस्ताव भेजा गया है. जिसका डेमो भी दिया जा चुका है. उन्होंने उत्तराखंड सरकार से भी इसे अपनाने की अपील की है.