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मुनि चिदानंद वन भूमि अतिक्रमण मामला, कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश

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Published : Jul 15, 2020, 10:35 PM IST

बुधवार को नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई हुई थी.

नैनीताल
नैनीताल

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने वीरपुर खुर्द इलाके में मुनि चिदानंद द्वारा 35 बीघा वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण मामले पर सख्त रूख अपनाया है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से अब तक किए गए कार्यों की एक्शन टेकन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. इस मामले की सुनवाई नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ में हुई.

बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया है कि स्वामी चिदानंद द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटा दिया गया है और वन भूमि को अपने अधिकार में ले लिया है. जिसका याचिकाकर्ता द्वारा विरोध किया गया है.

पढ़ें- देहरादून में मौत बनकर खड़े हैं ये गिरासू भवन, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि अभी तक वन भूमि पर कब्जा नहीं लिया गया है न ही अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया है. आज भी मुनि चिदानंद के 52 कमरों की बिल्डिंग जस की तस वन भूमि पर काबिज है. जिसके बाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने राज्य सरकार से अब तक किए गए कार्यों की एक्शन टेकन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है.

बता दें कि हरिद्वार निवासी अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि हरिद्वार से 14 किलोमीटर दूर राजाजी नेशनल पार्क में स्वामी चिदानंद वन विभाग की भूमि पर 2006 से अवैध निर्माण कर रहे हैं. स्वामी चिदानंद ने करीब 100 बीघा जमीन पर कब्जा किया गया है. बावजूद इसके वन विभाग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है. लिहाजा, इस निर्माण को रोकते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने वीरपुर खुर्द इलाके में मुनि चिदानंद द्वारा 35 बीघा वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण मामले पर सख्त रूख अपनाया है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से अब तक किए गए कार्यों की एक्शन टेकन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. इस मामले की सुनवाई नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ में हुई.

बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया है कि स्वामी चिदानंद द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटा दिया गया है और वन भूमि को अपने अधिकार में ले लिया है. जिसका याचिकाकर्ता द्वारा विरोध किया गया है.

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याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि अभी तक वन भूमि पर कब्जा नहीं लिया गया है न ही अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया है. आज भी मुनि चिदानंद के 52 कमरों की बिल्डिंग जस की तस वन भूमि पर काबिज है. जिसके बाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने राज्य सरकार से अब तक किए गए कार्यों की एक्शन टेकन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है.

बता दें कि हरिद्वार निवासी अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि हरिद्वार से 14 किलोमीटर दूर राजाजी नेशनल पार्क में स्वामी चिदानंद वन विभाग की भूमि पर 2006 से अवैध निर्माण कर रहे हैं. स्वामी चिदानंद ने करीब 100 बीघा जमीन पर कब्जा किया गया है. बावजूद इसके वन विभाग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है. लिहाजा, इस निर्माण को रोकते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

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