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नैनीताल हाईकोर्ट में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण की सुनवाई, अवैध कब्जेदारों को नहीं मिली राहत

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Published : Apr 27, 2022, 4:20 PM IST

हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण (Encroachment in railway land in haldwani) के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी व अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को कोई राहत नहीं दी है.

Nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण मामले की सुनवाई.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand high court) ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने फिलहाल अतिक्रमणकारियों को कोई अंतरिम राहत नहीं दी. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी.

हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी व अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को कोई राहत नहीं दी है. ऐसे में अब खंडपीठ रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में निर्णय आने के बाद 11 मई को इन जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई करेगी.

वहीं, आज सुनवाई के दौरान मदरसा गुसाईं गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह के संरक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी ने विशेष अपील दायर कर कहा है कि उनको रेलवे द्वारा बिना नोटिस जारी करके हटाया जा रहा है. उनको कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जा रहा है. जब तक उन्हें कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जाता तब तक उन्हें नहीं हटाया जाए. वहीं, एकलपीठ ने पूर्व में उनकी याचिका यह कहकर निरस्त कर दी थी कि इस मामले में पहले से ही आदेश हुए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीप चन्द्र जोशी ने कोर्ट को अवगत कराया कि इस मामले में रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा हुआ है. जिसमें निर्णय आना अभी बाकी है. ऐसे में इन मामलों में अब कोर्ट निर्णय आने के बाद 11 मई को सुनवाई करेगी.
पढ़ें- नाबालिग से गैंगरेप मामले में 11 मई को होगी हाईकोर्ट में सुनवाई, ये है पूरा मामला

दूसरी तरफ से दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का डिमार्केशन नहीं किया है. उन्हें बिना डिमार्केशन के हटाया जा रहा है. जिस पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत व रेलवे के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि रेलवे ने कोर्ट के आदेश के बाद डिमार्केशन कर लिया है. रेलवे ने अतिक्रमण को हटाने को लेकर 30 दिन का प्लान कोर्ट में पेश कर दिया है. इस मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाईयां करें. आज रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमें करीब 4,365 लोग मौजूद हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया. जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. ऐसे में किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए.

वहीं, इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया था. जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया गया. जबकि, दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं, ताकि रेलवे का विस्तार हो सके. इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी. अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाते हैं तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand high court) ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने फिलहाल अतिक्रमणकारियों को कोई अंतरिम राहत नहीं दी. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी.

हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी व अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को कोई राहत नहीं दी है. ऐसे में अब खंडपीठ रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में निर्णय आने के बाद 11 मई को इन जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई करेगी.

वहीं, आज सुनवाई के दौरान मदरसा गुसाईं गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह के संरक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी ने विशेष अपील दायर कर कहा है कि उनको रेलवे द्वारा बिना नोटिस जारी करके हटाया जा रहा है. उनको कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जा रहा है. जब तक उन्हें कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जाता तब तक उन्हें नहीं हटाया जाए. वहीं, एकलपीठ ने पूर्व में उनकी याचिका यह कहकर निरस्त कर दी थी कि इस मामले में पहले से ही आदेश हुए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीप चन्द्र जोशी ने कोर्ट को अवगत कराया कि इस मामले में रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा हुआ है. जिसमें निर्णय आना अभी बाकी है. ऐसे में इन मामलों में अब कोर्ट निर्णय आने के बाद 11 मई को सुनवाई करेगी.
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दूसरी तरफ से दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का डिमार्केशन नहीं किया है. उन्हें बिना डिमार्केशन के हटाया जा रहा है. जिस पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत व रेलवे के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि रेलवे ने कोर्ट के आदेश के बाद डिमार्केशन कर लिया है. रेलवे ने अतिक्रमण को हटाने को लेकर 30 दिन का प्लान कोर्ट में पेश कर दिया है. इस मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाईयां करें. आज रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमें करीब 4,365 लोग मौजूद हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया. जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. ऐसे में किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए.

वहीं, इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया था. जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया गया. जबकि, दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं, ताकि रेलवे का विस्तार हो सके. इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी. अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाते हैं तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराए.

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