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गर्जिया देवी के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है मनचाहा जीवनसाथी - Girija Devi, daughter of Himalaya

ऐसी मान्यताएं हैं कि गर्जिया माता के दर्शन मात्र से ही युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर हो जाती है. वहीं, गंगा दशहरे में स्नान करके लोग गिरिजा माता का स्मरण करते हैं.

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झट मंगनी पट ब्याह करना चाहते है तो इस मंदिर में करें दर्शन
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Published : Feb 12, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Feb 12, 2020, 1:38 PM IST

रामनगर: हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा सा टीला कोसी नदी के साथ बहकर आता है, और बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गिरिजा माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं, देवी ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो. हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रुका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है.

जहां गिरिराज हिमालय की पुत्री गिरिजा देवी निवास करती है. जिन्हें हम माता पार्वती का एक दूसरा रूप भी कहते हैं. मूल पहचान है गर्जिया देवी की. संपूर्ण उत्तराखंड में गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता है. जहां इस आस्था और विश्वास के मंदिर में भक्त जनों के कष्टों का निवारण किया जाता है. गिरजा देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर रामनगर जिला नैनीताल के अंदर आता है, और नैनीताल से रामनगर की दूरी लगभग 65 किलोमीटर की है.

गर्जिया देवी के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है मनचाहा जीवनसाथी

ये भी पढ़ें: दिल्ली चुनाव नतीजे: इंदिरा हृदयेश बोलीं- जनता ने विकास के नाम पर दिया वोट

जानकार बताते हैं कि 19वीं सदी में गर्जिया माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था. बल्कि यहां पर वीरान घना जंगल हुआ करता था. वहीं, साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरी बाबा यहां पहुंचे, तो उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई थी. जिसमें उनके शिष्य ने गिरजा मां की उपासना की. महादेव गिरी एक नागा बाबा और तांत्रिक थे. जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थी. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाई थे, और इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से भैरव, गणेश और तीन महादेवी की मूर्तियों को लाकर यहां स्थापना किया. जानकर हैरानी होगी कि जब नागाा बाबा जब मूर्ति स्थापना कर रहे थे, उसी समय एक शेर ने अत्यंत तेज गर्जना की. जिस वजह से उन्होंने इसे एक संकेत मानकर इस देवी का नाम गर्जिया देवी रख दिया. मूर्ति स्थापना होने के बाद प्राचीन कुटिया को हटाकर पक्की कुटिया बनाई गई. टीले को काटकर सीढ़ियां बनाई गई.

ये भी पढ़ें: IIT कानपुर की टीम पहुंची रामनगर, कहा- भूकंप आया तो तराई के लिए होगा विनाशकारी

वहीं, साल 1960 के समय कोसी नदी ने विकराल रूप ले लिया और प्राचीन मूर्तियों को अपने साथ बहा ले गई. उसके बाद साल 1967 में पूर्णचंद्र को माता ने सपने में दर्शन दिए. जहां माता ने उन्हें बताया कि मूर्तियां कहां पर है. जहां से पास के ही इलाके से पूर्णचंद ने मूर्तियों को खोदकर बाहर निकाला और पुनः मूर्तियों को स्थापित किया गया. साल 1970 के समय गर्जिया मंदिर ने लगभग आज के जैसा रूप ले लिया था और साल 1977 में मंदिर जाने के लिए पुल का भी निर्माण करवाया गया.

ये भी पढ़ें: दो महीने में ही उखड़ने लगा पुल, अधिकारी का बेतुका जवाब- जल्दबाजी में बना होगा पुल

पुरातत्वविभाग के अनुसार मानें तो यह मूर्तियां 800 से 900 साल पुरानी है. वहीं, इस टीले की लंबाई 100 फुट है. गिरजा देवी के टीले के नीचे, अन्य मंदिर भी हैं. जिनमें भगवान शंकर की गुफा भी है. जिसके अंदर एक शिवलिंग भी बना हुआ है. इसके अलावा भैरव देवता के मंदिर के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं .

ऐसी मान्यता है कि भैरव देवता के दर्शन के बाद भी ही, गिरिजा देवी के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं. क्योंकि भैरव बाबा ने ही गिरजा माता को रोका था. ऐसी मान्यताएं हैं कि गर्जिया माता के दर्शन मात्र से ही युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर हो जाती है. वहीं, गंगा दशहरे में स्नान करके लोग गिरिजा माता का स्मरण करने से सब कष्ट दूर हो जाते हैं. जबकि, शिवरात्रि में मंदिर कमेटी द्वारा यहां भव्य मेला लगाया जाता है.
ऐसे में गिरजा देवी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु देश-विदेश से रामनगर पहुंचते हैं.

रामनगर: हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा सा टीला कोसी नदी के साथ बहकर आता है, और बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गिरिजा माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं, देवी ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो. हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रुका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है.

जहां गिरिराज हिमालय की पुत्री गिरिजा देवी निवास करती है. जिन्हें हम माता पार्वती का एक दूसरा रूप भी कहते हैं. मूल पहचान है गर्जिया देवी की. संपूर्ण उत्तराखंड में गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता है. जहां इस आस्था और विश्वास के मंदिर में भक्त जनों के कष्टों का निवारण किया जाता है. गिरजा देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर रामनगर जिला नैनीताल के अंदर आता है, और नैनीताल से रामनगर की दूरी लगभग 65 किलोमीटर की है.

गर्जिया देवी के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है मनचाहा जीवनसाथी

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जानकार बताते हैं कि 19वीं सदी में गर्जिया माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था. बल्कि यहां पर वीरान घना जंगल हुआ करता था. वहीं, साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरी बाबा यहां पहुंचे, तो उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई थी. जिसमें उनके शिष्य ने गिरजा मां की उपासना की. महादेव गिरी एक नागा बाबा और तांत्रिक थे. जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थी. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाई थे, और इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से भैरव, गणेश और तीन महादेवी की मूर्तियों को लाकर यहां स्थापना किया. जानकर हैरानी होगी कि जब नागाा बाबा जब मूर्ति स्थापना कर रहे थे, उसी समय एक शेर ने अत्यंत तेज गर्जना की. जिस वजह से उन्होंने इसे एक संकेत मानकर इस देवी का नाम गर्जिया देवी रख दिया. मूर्ति स्थापना होने के बाद प्राचीन कुटिया को हटाकर पक्की कुटिया बनाई गई. टीले को काटकर सीढ़ियां बनाई गई.

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वहीं, साल 1960 के समय कोसी नदी ने विकराल रूप ले लिया और प्राचीन मूर्तियों को अपने साथ बहा ले गई. उसके बाद साल 1967 में पूर्णचंद्र को माता ने सपने में दर्शन दिए. जहां माता ने उन्हें बताया कि मूर्तियां कहां पर है. जहां से पास के ही इलाके से पूर्णचंद ने मूर्तियों को खोदकर बाहर निकाला और पुनः मूर्तियों को स्थापित किया गया. साल 1970 के समय गर्जिया मंदिर ने लगभग आज के जैसा रूप ले लिया था और साल 1977 में मंदिर जाने के लिए पुल का भी निर्माण करवाया गया.

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पुरातत्वविभाग के अनुसार मानें तो यह मूर्तियां 800 से 900 साल पुरानी है. वहीं, इस टीले की लंबाई 100 फुट है. गिरजा देवी के टीले के नीचे, अन्य मंदिर भी हैं. जिनमें भगवान शंकर की गुफा भी है. जिसके अंदर एक शिवलिंग भी बना हुआ है. इसके अलावा भैरव देवता के मंदिर के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं .

ऐसी मान्यता है कि भैरव देवता के दर्शन के बाद भी ही, गिरिजा देवी के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं. क्योंकि भैरव बाबा ने ही गिरजा माता को रोका था. ऐसी मान्यताएं हैं कि गर्जिया माता के दर्शन मात्र से ही युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर हो जाती है. वहीं, गंगा दशहरे में स्नान करके लोग गिरिजा माता का स्मरण करने से सब कष्ट दूर हो जाते हैं. जबकि, शिवरात्रि में मंदिर कमेटी द्वारा यहां भव्य मेला लगाया जाता है.
ऐसे में गिरजा देवी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु देश-विदेश से रामनगर पहुंचते हैं.

Last Updated : Feb 12, 2020, 1:38 PM IST
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