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52 शक्तिपीठों में से एक है मां मनसा देवी का मंदिर, ये है पौराणिक कथा - Haridwar Mansa Devi Temple Story

पूरे देश में शारदीय नवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है.धर्मनगरी में  मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर शहर से लगभग 3 किमी दूर शिवालिक पहाड़ियों पर बिलवा पहाड़ पर स्थित है. जहां सालभर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

52 शक्तिपीठों में से एक है मां मनसा देवी मंदिर.
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Published : Sep 29, 2019, 1:52 PM IST

हरिद्वार: हरिद्वार: आज से शारदीय नवरात्रि का पावन त्योहार शुरू हो गया है. धर्मनगरी में मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर शहर से लगभग 3 किमी दूर शिवालिक पहाड़ियों पर बिलवा पहाड़ पर स्थित है. जहां सालभर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं नवरात्रि में भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है. यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. जहां नवरात्रि में यहां सुबह से शाम तक भक्तों भी लंबी कतारें लगी रही है.

मां मनसा देवी मंदिर में दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु.

पुराणों के अनुसार पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नामक दैत्य ने एक बार देवताओं को पराजित कर दिया था.जिसके बाद सभी देवताओं ने मां भगवती का आह्वान किया था. मां भगवती (दुर्गा) ने प्रकट होकर महिषासुर दानव का वध किया. महिषासुर दानव से छुटकारा मिलने के बाद सभी देवताओं ने मां भगवती की पूजा-अर्चना की. जिसके बाद देवताओं ने मां भगवती की सूक्ति करते हुए कहा कि हे मां जैसे आपने हमको विपत्ति से उबारा है उसी प्रकार कलयुगम में श्रद्धालुओं की मंशा को पूरा करना और विपत्तियों का नाश करना.

पढ़ें-शनिश्चरी अमावस्या: शनिदोष से पाना चाहते हैं निजात तो करें ये उपाय

मान्यता है कि इसी जगह पर मंसा देवी मूर्ति भी प्रतिष्ठापित हुई. जहां आज मंदिर बना है वहीं पर मां मंसा देवी की मूर्ति विराजमान है. जहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से उपासना करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. मंदिर में जो भी भक्त मनोकामना पूरी करने के लिए आता है वे पहले मां के दरवार में मत्था टेकता है फिर मन्नत का धागा बांधता है. वहीं मनोकामना पूरी होने पर भक्तों को इस धागे को खोलने के लिए यहां आना पड़ता है. माना जाता है कि नवरात्रि में मां मनसा देवी की पूजा आराधना करने का विशेष लाभ मिलता है.

हरिद्वार: हरिद्वार: आज से शारदीय नवरात्रि का पावन त्योहार शुरू हो गया है. धर्मनगरी में मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर शहर से लगभग 3 किमी दूर शिवालिक पहाड़ियों पर बिलवा पहाड़ पर स्थित है. जहां सालभर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं नवरात्रि में भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है. यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. जहां नवरात्रि में यहां सुबह से शाम तक भक्तों भी लंबी कतारें लगी रही है.

मां मनसा देवी मंदिर में दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु.

पुराणों के अनुसार पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नामक दैत्य ने एक बार देवताओं को पराजित कर दिया था.जिसके बाद सभी देवताओं ने मां भगवती का आह्वान किया था. मां भगवती (दुर्गा) ने प्रकट होकर महिषासुर दानव का वध किया. महिषासुर दानव से छुटकारा मिलने के बाद सभी देवताओं ने मां भगवती की पूजा-अर्चना की. जिसके बाद देवताओं ने मां भगवती की सूक्ति करते हुए कहा कि हे मां जैसे आपने हमको विपत्ति से उबारा है उसी प्रकार कलयुगम में श्रद्धालुओं की मंशा को पूरा करना और विपत्तियों का नाश करना.

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मान्यता है कि इसी जगह पर मंसा देवी मूर्ति भी प्रतिष्ठापित हुई. जहां आज मंदिर बना है वहीं पर मां मंसा देवी की मूर्ति विराजमान है. जहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से उपासना करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. मंदिर में जो भी भक्त मनोकामना पूरी करने के लिए आता है वे पहले मां के दरवार में मत्था टेकता है फिर मन्नत का धागा बांधता है. वहीं मनोकामना पूरी होने पर भक्तों को इस धागे को खोलने के लिए यहां आना पड़ता है. माना जाता है कि नवरात्रि में मां मनसा देवी की पूजा आराधना करने का विशेष लाभ मिलता है.

Intro:हिन्दू धर्म में मान्यता के अनुसार श्राद्ध में पितरों की विदाई के बाद शारदीय नवरात्र का पावन त्यौहार शुरू हो गया है हरिद्वार में  देविओं के मंदिरो का त्रिकोण है जिसमे नील पर्वत पर माँ चंडी देवी का मंदिर है तो  दूसरी और शिवालिक पर्वत माला परमाँ मनसा देवी का मंदिर स्थित है इन दोनों मंदिरो के बीच मायानगरी कहलाने वाले हरिद्वार की अधिष्ठात्री  देवी माया देवी का मंदिर है यहाँ के मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ लगभग पूरे साल ही बनी रहती है लेकिन नवरात्र के दौरान यहाँ भक्तों का रेला देखने लायक होता है। Body:पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में महिसासुर नामक राक्षस ने देवताओं और मनुष्यों  पर भयंकर अत्याचार ढा रखे थे ऐसे में जब महिसासुर के अत्याचार से सभी दुखी हो गए तब देवताओं आदि के मन में आया कि ऐसी कोई शक्ति का अवतरण होना चाहिए जो महिसासुर नामक राक्षस का संहार कर सके देवताओं के मन से की गई प्रार्थना पर माँ दुर्गा ने मन से अवतार लिया और महिसासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई माँ दुर्गा के इस स्वरुप का अवतार मन से हुआ था इसीलिए माँ के इस स्वरुप का नाम मनसा देवी पड़ा और माँ मनसा देवी तब ही से शिवालिक पर्वत पर विराजमान है

बाइट--गणेश शर्मा----मुख्य पुजारी माँ मनसा देवी मंदिर

माँ मनसा देवी मंदिर में  नवरात्र में भक्तों का ताँता लगा रहता है भक्त अपने अपने तरीके से माँ को रिझाने का प्रयास करते है और माँ से जो भी कोई मनोकामना पूरी करने के लिए आता है वे पहले माँ के दरवार में मत्था टेकता है मन्नत का धागा बांधता है और मनोकामना पूरी होने पर भक्तों को इस धागे को खोलने के लिए यहाँ आना पड़ता है नवरात्र  माँ मनसा देवी की पूजा आराधना करने का विशेष लाभ मिलता है और माँ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है और सभी मनोकामनाए पूरी करती है

बाइट--अर्चना----श्रद्धालु बाइट--अमरीश----श्रद्धालुConclusion:धर्म नगरी हरिद्वार का ये मनसा देवी मंदिर विश्वप्रसिद्ध है दूर दूर से श्रद्धालु यहाँ माता के लिए दर्शन करने आते है और उनकी मनोकामना भी जरूर पूरी होती है और यही वजह है कि नो दिनों दिन यहाँ पर श्रद्धालुओं का संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 
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