हरिद्वार: 2021 महाकुंभ किस तरह होगा, इसका स्वरूप अभी तैयार नहीं है लेकिन संतों में अभी से ही जुबानी जंग शुरू हो गई है. दरअसल, प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर आगामी हरिद्वार कुंभ में अखाड़ा परिषद से अलग शाही स्नान और अन्य सुविधाओं के लिए पहुंची महिला संतों के परी अखाड़े की साध्वी त्रिकाल भवंता और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी के बीच जुबानी जंग तेज हो चली है.
दोनों संतों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साध्वी त्रिकाल भवंता ने पुरुष संतों की तरह ही महिला संतों के लिए अलग से सुविधाएं देने की मेला प्रशासन से मांग की थी, जिसपर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने साध्वी त्रिकाल भवंता को फर्जी और ब्लैकमेलर करार दिया था.
नरेंद्र गिरी के मुताबिक, अखाड़ा परिषद ने 6 साल पहले ही फर्जी संतों की सूची में त्रिकाल भवंता को शामिल किया है और वो उत्तराखंड सरकार और मेला प्रशासन को बताना चाहते हैं कि इनको कोई सुविधा न दी जाए.
इसके जवाब में साध्वी त्रिकाल भवंता ने नरेंद्र गिरी को शास्त्रार्थ करने की चेतावनी दे डाली है. परी अखाड़े की प्रमुख साध्वी त्रिकाल भवंता के अनुसार नरेंद्र गिरी ने आधी आबादी का अपमान किया है. इसकी शिकायत वो उत्तराखंड सीएम से करेंगी.
कौन हैं साध्वी त्रिकाल भवंता?
त्रिकाल भवंता सिंहस्थ में जिंदा समाधि लेने को लेकर चर्चा में आई थीं. इससे पहले भी वह नासिक और इलाहाबाद कुंभ में भी विवाद पैदा कर चुकी हैं. उनपर चाकुओं से हमले भी हो चुके हैं. त्रिकाल भवंता उर्फ अनीता शर्मा उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले की मूल निवासी हैं और उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. संन्यास जीवन से पहले वो एक नर्स की भूमिका में इलाहाबाद के प्राइवेट हॉस्पिटल में कार्य किया करती थीं. बाद में उन्होंने अपना खुद का एक क्लिनिक खोला. उनके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत कुछ धार्मिक संगठनों के कार्यक्रमों से हुई. इसके बाद उन्होंने डॉक्टरी का पेशे छोड़ संन्यास ले लिया.
करीब बीस साल पहले उनकी शादी इलाहाबाद के शालिक राम शर्मा से हुई थी, जो पेशे से टीचर थे. त्रिकाल भवंता उर्फ अनीता शर्मा का एक बेटा रवि शर्मा और एक बेटी अपराजिता है.
इलाहाबाद कुंभ 2013 में त्रिकाल भवंता को 'श्री सर्वेश्वर महादेव वैकुंठधाम मुक्तिधाम अखाड़ा परी' के सर्वोच्च पद जगद्गुरु शंकराचार्य व अखाड़े की पीठाधीश्वर के रूप में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पट्टाभिषेक किया गया था. उनके साथ ही कुछ अन्य महिला संन्यासिनों को भी अखाड़े में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था.