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जम्मू-कश्मीर में कैंसर का बढ़ता कहर: 7 साल में 50 हजार नए मरीज मिले - WORLD CANCER DAY

जम्मू-कश्मीर में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले 7 सालों में कैंसर के करीब 50 हजार नए मामले सामने आए हैं.

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कैंसर जागरूकता. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 4, 2025, 4:15 PM IST

श्रीनगर: विश्व कैंसर दिवस के मौके पर देशभर में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. जम्मू-कश्मीर में भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. चिंता की बात यह है कि यहां कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात इतने गंभीर हैं कि पिछले सात वर्षों में लगभग 50 हजार नए मामले सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, बदलती जीवनशैली और देरी से पहचान इस बढ़ोतरी के बड़े कारण हैं. ऐसे में कैंसर के प्रति जागरूकता और समय पर इलाज की जरूरत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है.

कश्मीर में क्या है स्थितिः भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान, सौरा में कैंसर मरीजों की संख्या का डेटा इकट्ठा किया जाता है. यहां से मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्षों की तुलना में वर्ष 2024 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. केवल सितंबर 2024 तक 7110 मामले सामने आए हैं, जबकि सितंबर के बाद के आंकड़े अभी संकलित किए जाने हैं. इस प्रवृत्ति को देखते हुए, 790 मामलों के मासिक औसत के साथ, वर्ष के अंत तक कुल मामलों की संख्या लगभग 9 हजार हो चुकी होगी. वर्ष 2024 में 31 दिसंबर तक शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) सौरा में 5400 से अधिक मामलों का पता चला, जो वर्ष 2023 के 5108 मामलों से कहीं अधिक है.

क्या कहते हैं आंकड़ेः आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में कैंसर के मामलों की संख्या 2018 से लगातार बढ़ रही है. 2018 में जहां 6649 मामले सामने आए थे, वहीं 2019 में मामूली कमी के साथ 6374 मामले दर्ज किए गए. 2020 में जब कोविड महामारी चरम पर थी, तब कैंसर के कम मरीज अस्पताल पहुंचे. यह संख्या घटकर 6113 रह गई. हालांकि 2021 में कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और 7486 मामले सामने आए, जबकि 2023 में यह संख्या 8622 थी.

पेट कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैंः विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में पुरुषों में पेट का कैंसर सबसे अधिक हो रहा है. फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे अधिक संख्या में मिल रहे हैं. इसी तरह, महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले सबसे अधिक मिल रहे हैं. पिछले साल की तरह इस साल भी 500 से अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर की पुष्टि हुई है. स्तन कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में सरकारी स्तर पर कोई बड़ा जागरूकता अभियान न चलाए जाने के कारण कैंसर के कुल मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है. स्तन कैंसर के बाद पेट के कैंसर से ग्रसित महिलाओं की संख्या दूसरे नंबर पर है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञः विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर घाटी में तेजी से बढ़ रही कैंसर रोगियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए लोगों को किसी भी तरह से जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है. साथ ही धूम्रपान से भी दूर रहने की जरूरत है. विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में स्तन कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. कैंसर के बारे में जानकारी फैलाकर और सावधानियां बरतकर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. स्तन और पेट का कैंसर ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है और अगर समय रहते इन कैंसर की पहचान कर इनका इलाज करा लिया जाए तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है.

विश्व कैंसर दिवस क्यों मनाते हैं: विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है. यह दिवस कैंसर से संबंधित उपचारों को बढ़ावा देने और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. विश्व कैंसर दिवस मनाने का प्रस्ताव 1999 में पेरिस में कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में रखा गया था. फिर, 4 फरवरी 2000 को फ्रांस में नई सहस्राब्दी के लिए विश्व कैंसर परिषद में एक कैंसर सम्मेलन आयोजित किया गया. इस अवसर पर यूनेस्को के तत्कालीन महानिदेशक कोइचिरो मत्सूरा और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति जैक्स चिरार्ड ने कैंसर दिवस मनाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए. तब से हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है.

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श्रीनगर: विश्व कैंसर दिवस के मौके पर देशभर में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. जम्मू-कश्मीर में भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. चिंता की बात यह है कि यहां कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात इतने गंभीर हैं कि पिछले सात वर्षों में लगभग 50 हजार नए मामले सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, बदलती जीवनशैली और देरी से पहचान इस बढ़ोतरी के बड़े कारण हैं. ऐसे में कैंसर के प्रति जागरूकता और समय पर इलाज की जरूरत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है.

कश्मीर में क्या है स्थितिः भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान, सौरा में कैंसर मरीजों की संख्या का डेटा इकट्ठा किया जाता है. यहां से मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्षों की तुलना में वर्ष 2024 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. केवल सितंबर 2024 तक 7110 मामले सामने आए हैं, जबकि सितंबर के बाद के आंकड़े अभी संकलित किए जाने हैं. इस प्रवृत्ति को देखते हुए, 790 मामलों के मासिक औसत के साथ, वर्ष के अंत तक कुल मामलों की संख्या लगभग 9 हजार हो चुकी होगी. वर्ष 2024 में 31 दिसंबर तक शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) सौरा में 5400 से अधिक मामलों का पता चला, जो वर्ष 2023 के 5108 मामलों से कहीं अधिक है.

क्या कहते हैं आंकड़ेः आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में कैंसर के मामलों की संख्या 2018 से लगातार बढ़ रही है. 2018 में जहां 6649 मामले सामने आए थे, वहीं 2019 में मामूली कमी के साथ 6374 मामले दर्ज किए गए. 2020 में जब कोविड महामारी चरम पर थी, तब कैंसर के कम मरीज अस्पताल पहुंचे. यह संख्या घटकर 6113 रह गई. हालांकि 2021 में कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और 7486 मामले सामने आए, जबकि 2023 में यह संख्या 8622 थी.

पेट कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैंः विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में पुरुषों में पेट का कैंसर सबसे अधिक हो रहा है. फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे अधिक संख्या में मिल रहे हैं. इसी तरह, महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले सबसे अधिक मिल रहे हैं. पिछले साल की तरह इस साल भी 500 से अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर की पुष्टि हुई है. स्तन कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में सरकारी स्तर पर कोई बड़ा जागरूकता अभियान न चलाए जाने के कारण कैंसर के कुल मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है. स्तन कैंसर के बाद पेट के कैंसर से ग्रसित महिलाओं की संख्या दूसरे नंबर पर है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञः विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर घाटी में तेजी से बढ़ रही कैंसर रोगियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए लोगों को किसी भी तरह से जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है. साथ ही धूम्रपान से भी दूर रहने की जरूरत है. विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में स्तन कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. कैंसर के बारे में जानकारी फैलाकर और सावधानियां बरतकर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. स्तन और पेट का कैंसर ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है और अगर समय रहते इन कैंसर की पहचान कर इनका इलाज करा लिया जाए तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है.

विश्व कैंसर दिवस क्यों मनाते हैं: विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है. यह दिवस कैंसर से संबंधित उपचारों को बढ़ावा देने और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. विश्व कैंसर दिवस मनाने का प्रस्ताव 1999 में पेरिस में कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में रखा गया था. फिर, 4 फरवरी 2000 को फ्रांस में नई सहस्राब्दी के लिए विश्व कैंसर परिषद में एक कैंसर सम्मेलन आयोजित किया गया. इस अवसर पर यूनेस्को के तत्कालीन महानिदेशक कोइचिरो मत्सूरा और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति जैक्स चिरार्ड ने कैंसर दिवस मनाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए. तब से हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है.

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