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विदेशी श्रद्धालुओं को भायी भारतीय संस्कृति, धर्मनगरी में वंशावली में दर्ज करवाया नाम

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Published : Nov 20, 2019, 2:10 PM IST

भारत की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. जिसे जानने के लिए विदेशी श्रद्धालु लालायित रहते हैं. वहीं लिथुआनिया के दल ने हरकी पैड़ी पर हवन पूजन कर अपने पूर्वजों के नाम की वंशावली तैयार कराई.

विदेशी श्रद्धालुओं को भायी भारतीय संस्कृति.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार का आध्यात्मिक आभामंडल हमेशा से ही विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर सुदूर यूरपीय देश लिथुआनिया के निवासियों ने नई पहल की है.

haridwar
हवन पूजा करते विदेशी श्रद्धालुओं.

वहीं हरिद्वार पहुंचे लिथुआनिया के दल ने हरकी पैड़ी पर हवन पूजन कर अपने पूर्वजों के नाम की वंशावली तैयार की. विदेशियों की इस पहल को तीर्थ पुरोहितों द्वारा काफी सराहा जा रहा है. भारत की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. जिसे जानने के लिए विदेशी श्रद्धालु लालायित रहते हैं.

विदेशी श्रद्धालुओं को भायी भारतीय संस्कृति.

वहीं लिथुआनिया से आये एक दल ने विधि-विधान से हरकी पैड़ी पर हवन यज्ञ कर अपना वंसलेखन करवाया. उनका मनना है कि भारतीय सनातन परंपरा सारी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. कई सदियों पूर्व उनके पूर्वज इस देश से चले गए थे. मगर उनकी आज की पीढ़ियों में अब भी भारतीय संस्कृति से जुड़ाव बना हुआ है.

पढ़ें-चारधाम के कपाट बंद, इस सीजन में तीर्थयात्रियों ने रचा नया कीर्तिमान

यही वजह है कि उन्होंने एक बार फिर भारतीय परंपरा का अनुपालन कर वंशावली तैयार करवाई है. सुदूर विदेशियों के इस तरह भारतीय परंपरा से जुड़ने से तीर्थ पुरोहित भी उत्साहित हैं. हरिद्वार हरकी पैड़ी स्थित पांडा समाज द्वारा संकलित बहियों में आज भी देश के कई वंशों का इतिहास आसानी से खंगाला जा सकता है.

अब विदेशियों के इससे जुड़ने से एक नई शुरुआत हुई है. आने वाले समय में अब बड़ी संख्या में विदेशियों के जुड़ने की संभावना है. जिससे वे भारतीय संस्कृति से अपने को जोड़ सकें.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार का आध्यात्मिक आभामंडल हमेशा से ही विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर सुदूर यूरपीय देश लिथुआनिया के निवासियों ने नई पहल की है.

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हवन पूजा करते विदेशी श्रद्धालुओं.

वहीं हरिद्वार पहुंचे लिथुआनिया के दल ने हरकी पैड़ी पर हवन पूजन कर अपने पूर्वजों के नाम की वंशावली तैयार की. विदेशियों की इस पहल को तीर्थ पुरोहितों द्वारा काफी सराहा जा रहा है. भारत की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. जिसे जानने के लिए विदेशी श्रद्धालु लालायित रहते हैं.

विदेशी श्रद्धालुओं को भायी भारतीय संस्कृति.

वहीं लिथुआनिया से आये एक दल ने विधि-विधान से हरकी पैड़ी पर हवन यज्ञ कर अपना वंसलेखन करवाया. उनका मनना है कि भारतीय सनातन परंपरा सारी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. कई सदियों पूर्व उनके पूर्वज इस देश से चले गए थे. मगर उनकी आज की पीढ़ियों में अब भी भारतीय संस्कृति से जुड़ाव बना हुआ है.

पढ़ें-चारधाम के कपाट बंद, इस सीजन में तीर्थयात्रियों ने रचा नया कीर्तिमान

यही वजह है कि उन्होंने एक बार फिर भारतीय परंपरा का अनुपालन कर वंशावली तैयार करवाई है. सुदूर विदेशियों के इस तरह भारतीय परंपरा से जुड़ने से तीर्थ पुरोहित भी उत्साहित हैं. हरिद्वार हरकी पैड़ी स्थित पांडा समाज द्वारा संकलित बहियों में आज भी देश के कई वंशों का इतिहास आसानी से खंगाला जा सकता है.

अब विदेशियों के इससे जुड़ने से एक नई शुरुआत हुई है. आने वाले समय में अब बड़ी संख्या में विदेशियों के जुड़ने की संभावना है. जिससे वे भारतीय संस्कृति से अपने को जोड़ सकें.

Intro:
एंकर:- सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर सुदूर यूरपीय देश लिथुआनिया के निवासियों ने नई पहल की है। तीन दिवसीय हरिद्वार पंहुचे इस दल ने हरकी पौड़ी पर हवन पूजन कर अपने पूर्वजों के नाम की वंशावलि तैयार की है। यह इतिहास में पहली बार हुआ है कि विदेशों से आये लोगो ने अपनी व पूर्वजो के इतिहास को संकलित किया है

Body:वीओ1:- यूँ तो भारतीय संस्कृति आज किसी परिचय की मोहताज नही है । मगर अब इस संस्कृति से जुड़ने की चाहत विदेशियो में भी दिखने लगी है। लिथुआनिया देश से आये एक दल ने आज विधिविधान से हरकीपौडी पर हवन यज्ञ कर अपना वंसलेखन करवाया। उनका मनना है कि भारतीय सनातन परंपरा सारी दुनिया मे सर्वश्रेस्ठ है । कई सदियो पूर्व उनके पूर्वज इस देश से चले गए थे , मगर उनकी आज की पीढ़ियों में अब भी भारतीय संस्कृति से जुड़ाव बना हुआ है यही वजह है कि उन्होंने एक बार फिर भारतीय परंपरा का अनुपालन कर वंशावलि तैयार करवाई है।


वीओ2:- सुदूर विदेशियो के इस तरह भारतीय परंपरा से जुड़ने से तीर्थ पुरोहित भी उत्साहित है। उनका कहना है कि यह इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी बाहरी देश के नागरिकों ने इस तरह की पहल की हो।


एफवीओ:- हरिद्वार हरकी पौड़ी स्थित पांडा समाज द्वारा संकलित बहियों में आज भी देश के कई वँशो का इतिहास आसान से खंगाला जा सकता है। अब विदेशियो के इसमे जुड़ने से एक नई शुरुआत हुई है। आने वाले वक्त में जंहा अब बड़ी संख्या में विदेशियो के जुड़ने की संभावना बढ़ेगी तो वंही भारतिय संस्कृति की ख्याति को ओर बढ़ावा मिलेगाConclusion:बाइट:- इग्निसिअस , विदेशी श्रद्धालु
बाइट:- डिमित्रस , विदेशी श्रद्धालु
बाइट:-सुनील सेठ , तीर्थ पुरोहित
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