वॉशिंगटन: अमेरिका में एक श्वेत महिला ने अनजाने में एक ऐसे बच्चे को जन्म दिया, जो जैविक रूप से उसका नहीं था. अब महिला ने इस गड़बड़ी के लिए एक आईवीएफ क्लिनिक के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, क्योंकि उस पर बच्चे की कस्टडी छोड़ने के लिए दबाव डाला गया.
जॉर्जिया राज्य की क्रिस्टेना मरे (Krystena Murray) मई 2023 में कोस्टल फर्टिलिटी क्लिनिक में आईवीएफ प्रक्रिया के जरिये गर्भवती हो गई थीं और दिसंबर 2023 में एक अश्वेत बच्चे को जन्म दिया था.
हालांकि, मरे के गर्भवती होने के बाद जांच से यह स्पष्ट हो गया था कि उनके गर्भ में जो भ्रूण विकसित हो रहा है, वह वास्तव में किसी अन्य दंपती का है. जब मरे ने एक लड़के को जन्म दिया, जो उनसे तथा उनके द्वारा चुने गए शुक्राणु दाता से अलग नस्ल का था.
इस गलती के बावजूद क्रिस्टेना मरे बच्चे को अपने पास रखना चाहती थीं, और उन्होंने कई महीनों तक बच्चे का पालन-पोषण किया, जब तक कि उसके जैविक माता-पिता को उसकी कस्टडी नहीं दे दी गई.
कभी उबर नहीं पाऊंगी...
मरे ने एक बयान में कहा, "एक बच्चे को जन्म देना, उससे प्यार करना, मां और बच्चे के बीच विशेष बंधन बनाना, और फिर उसे हमसे दूर कर दिया जाना. मैं इससे कभी पूरी तरह से उबर नहीं पाऊंगी."
मरे ने कभी भी बच्चे की तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट नहीं कीं और न ही अपने दोस्तों और परिवार को उसे देखने की इजाजत दी.
क्लिनिक के खिलाफ दायर शिकायत में मरे ने कहा कि उन्होंने आखिरकार एक डीएनए जांच किट खरीदी, और जनवरी 2024 के अंत में मिले परीक्षण के परिणामों से पुष्टि हुई कि वह और बच्चा जैविक रूप से अलग-अलग थे. अगले महीने उन्होंने इस गड़बड़ी के बारे में क्लिनिक को बताया. इससे जैविक माता-पिता को पता चला, जिन्होंने बच्चे के तीन महीने का होने पर उसकी कस्टडी के लिए मुकदमा दायर कर दिया.
शिकायत के अनुसार, मरे ने स्वेच्छा से बच्चे की कस्टडी छोड़ दी, क्योंकि उनकी कानूनी टीम ने उन्हें बताया कि फैमिली कोर्ट में उनके मुकदमा जीतने की कोई संभावना नहीं है. बच्चा अब अपने जैविक माता-पिता के साथ दूसरे राज्य में एक अलग नाम से रहता है.
शिकायत में कहा गया है कि आज तक मरे को यह नहीं पता कि कोस्टल फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट्स क्लिनिक ने गलती से उनके भ्रूण को किसी अन्य दंपती को ट्रांसफर कर दिया था या उसके बाद उसके साथ क्या हुआ.
क्लिनिक ने स्वीकार की गलती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, क्लिनिक ने गलती को स्वीकार किया और इससे होने वाली परेशानी के लिए माफी मांगी. बयान में कहा गया कि इस घटना में कोई और मरीज प्रभावित नहीं हुआ. यह गलती सामने आने के तुरंत बाद हमने गहन जांच की और मरीजों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए. साथ ही यह सुनिश्चित किया कि ऐसी घटना दोबारा न हो.
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान महिला के अंडों को प्रयोगशाला में पुरुष के शुक्राणु से फर्टिलाइज किया जाता है. इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है.
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