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दो सालों से अधर में लटका कांवड़ पटरी के सौंदर्यीकरण का कार्य - कांवड़ पटरी हरिद्वार

शंकराचार्य चौक से जटवाड़ापुल तक 6 किलोमीटर लंबी पटरी के सौंदर्यीकरण का कार्य सिंतबर 2015 में शुरू किया गया था, जो 2017 में पूरा किया जाना था, लेकिन समय सीमा पूरी होने के बाद भी सौंदर्यीकरण  का ये कार्य दो साल से अधर में लटका हुआ है.

कांवड़ पटरी
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Published : Apr 19, 2019, 6:51 PM IST

Updated : Apr 19, 2019, 8:30 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िए गंगाजल लेने के लिए आते है. इसके बाद वो हरिद्वार से पैदल अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते है. इस दौरान पैदल जाने वाले कांवड़ियों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े. इसके लिए हरिद्वार में विशेष कांवड़ पटरी का निर्माण किया गया है और इस पटरी के सौंदर्यीकरण के लिए 22 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे. लेकिन इसे शासन-प्रशासन की लापरवाही कहे या सुस्ती, क्योंकि सौंदर्यीकरण का ये कार्य पिछले दो सालों से अधर में लटका है.

कांवड़ पटरी

पढ़ें- एक फोन कॉल ने पुलिसवालों और नेता को पहुंचाया जेल

बता दें कि शंकराचार्य चौक से जटवाड़ापुल तक 6 किलोमीटर लंबी पटरी के सौंदर्यीकरण का कार्य सिंतबर 2015 में शुरू किया गया था, जो 2017 में पूरा किया जाना था, लेकिन समय सीमा पूरी होने के बाद भी सौंदर्यीकरण का ये कार्य दो साल से अधर में लटका हुआ है.

योजना के अंतर्गत शंकराचार्य चौक से जटवाड़ा पुल तक नहर के किनारे पैराफिट, भक्तों के बैठने के लिए बेंच, रात में यात्रा करने के लिए सोलर लाइटें, कांवड़ पटरी के दोनों तरफ वृक्षारोपण जैसे कई कार्य किए जाने थे, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि 6 किमी की कांवड़ पटरी पर कुछ जगह ही बेंच लगाई गई है.

पढ़ें- यहां डंडे के सहारे नदी पार करते हैं ग्रामीण, विकास के नाम पर मिला सिर्फ 'दर्द'

कांवड़ पटरी को दोनों को जंगली घास और झाड़ियां उगी हुई है. कांवड़ पटरी पर स्ट्रीट लाइट का कोई प्रबंध भी नहीं है. इसके अवाला पटरी पर कांवड़ियों को बैठने के लिए 2 करोड़ रुपए की लागत से कैंटीन, शौचालय, वेटिंग हॉल के साथ मल्टीफैसिलिटी सेंटर का निर्माण भी किया जाना था. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम मल्टीफैसिलिटी सेंटर पहुंची तो देखा की मल्टीफैसिलिटी सेंटर किसी खंडहर की तरह वीरान पड़ा हुआ है.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िए गंगाजल लेने के लिए आते है. इसके बाद वो हरिद्वार से पैदल अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते है. इस दौरान पैदल जाने वाले कांवड़ियों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े. इसके लिए हरिद्वार में विशेष कांवड़ पटरी का निर्माण किया गया है और इस पटरी के सौंदर्यीकरण के लिए 22 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे. लेकिन इसे शासन-प्रशासन की लापरवाही कहे या सुस्ती, क्योंकि सौंदर्यीकरण का ये कार्य पिछले दो सालों से अधर में लटका है.

कांवड़ पटरी

पढ़ें- एक फोन कॉल ने पुलिसवालों और नेता को पहुंचाया जेल

बता दें कि शंकराचार्य चौक से जटवाड़ापुल तक 6 किलोमीटर लंबी पटरी के सौंदर्यीकरण का कार्य सिंतबर 2015 में शुरू किया गया था, जो 2017 में पूरा किया जाना था, लेकिन समय सीमा पूरी होने के बाद भी सौंदर्यीकरण का ये कार्य दो साल से अधर में लटका हुआ है.

योजना के अंतर्गत शंकराचार्य चौक से जटवाड़ा पुल तक नहर के किनारे पैराफिट, भक्तों के बैठने के लिए बेंच, रात में यात्रा करने के लिए सोलर लाइटें, कांवड़ पटरी के दोनों तरफ वृक्षारोपण जैसे कई कार्य किए जाने थे, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि 6 किमी की कांवड़ पटरी पर कुछ जगह ही बेंच लगाई गई है.

पढ़ें- यहां डंडे के सहारे नदी पार करते हैं ग्रामीण, विकास के नाम पर मिला सिर्फ 'दर्द'

कांवड़ पटरी को दोनों को जंगली घास और झाड़ियां उगी हुई है. कांवड़ पटरी पर स्ट्रीट लाइट का कोई प्रबंध भी नहीं है. इसके अवाला पटरी पर कांवड़ियों को बैठने के लिए 2 करोड़ रुपए की लागत से कैंटीन, शौचालय, वेटिंग हॉल के साथ मल्टीफैसिलिटी सेंटर का निर्माण भी किया जाना था. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम मल्टीफैसिलिटी सेंटर पहुंची तो देखा की मल्टीफैसिलिटी सेंटर किसी खंडहर की तरह वीरान पड़ा हुआ है.

Intro:एंकर- धर्मनगरी हरिद्वार में लगने वाली कांवड़ मेले के दौरान करोड़ों की संख्या में भोले भक्त कांवड़िए धर्मनगरी हरिद्वार से पवित्र गंगाजल कावड़ के रूप में भरने पहुंचते हैं, ऐसे में कांवड़ मेले के दौरान शिव भक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए हरिद्वार में विशेष कांवड़ पटरी का निर्माण किया गया है, लेकिन शंकराचार्य से पुल जटवाड़ा तक कांवड़ पटरी के सौंदर्यीकरण कि 22 करोड़ से भी अधिक के लागत का यह काम पिछले 2 साल से अधर मे लटका हुआ है। हर साल कावड़ मेला आते ही कांवड़ पटरी के सौंदर्यीकरण का काम थोड़ी तेजी पकड़ता है लेकिन फिर शासन-प्रशासन इसे भूल कर गहरी नींद सो जाते हैं।


Body:VO1- शंकराचार्य चौक से पुल जटवाड़ा तक लगभग 6 किलोमीटर लंबी कावड़ पटरी के सुंदरीकरण का कार्य सितंबर 2015 में शुरू किया गया था जिसे तय सीमा जुलाई 2017 में पूरा होना था लेकिन आज 2 साल से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद भी यह काम अधूरा पड़ा है, योजना के अंतर्गत शंकराचार्य चौक से पुल जटवाड़ा तक नहर के किनारे पैराफिट, भोले भक्तों के बैठने के लिए बेंच, रात के समय यात्रा को प्रकाश प्रदान करने के लिए सोलर लाइटें, कांवड़ पटरी के दोनों तरफ वृक्षारोपण जैसे कई कार्य किए जाने थे, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि कांवड़ पटरी पर भोले भक्तों के लिए बेंच 6 किलोमीटर के दायरे में केवल चुनिंदा जगह ही लगी है, वहीं पूरी कांवड़ पटरी के दोनों तरफ जंगली घास एवं झाड़ उगी हुई है, साथ ही कांवड़ पटरी पर स्ट्रीट लाइट का प्रबंध भी नहीं है। भोले भक्तों को यात्रा के दौरान रास्ते में आराम करने के लिए 2 करोड़ की लागत का कैंटीन, शौचालय, वेटिंग हॉल आदि की सुविधा से लैस मल्टीफैसिलिटी सेंटर का निर्माण भी इस योजना के अंतर्गत किया जाना था, जिसका भी काम अधूरा पड़ा हुआ है। ग्राउंड रिपोर्ट के लिए ईटीवी भारत जब इस मल्टीफैसिलिटी सेंटर पहुंचा तो हमने पाया कि अधूरा बना हुआ मल्टीफैसिलिटी सेंटर किसी खंडहर सा वीरान पड़ा हुआ है जिसकी हालात बड़ी ही खराब है।


Conclusion:बाइट- अमरनाथ, स्थानीय

बाइट- प्रियांशु, स्थानीय
Last Updated : Apr 19, 2019, 8:30 PM IST
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