हरिद्वार/ऋषिकेशः बहादराबाद थाना क्षेत्र में बुधवार देर रात भीषण सड़क हादसा हुआ. तेज गति से आ रही कार सड़क किनारे खड़े एक ऑयल टैंकर से जा टकराई. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए. जबकि गाड़ी चला रहे युवक को गंभीर चोटें आई हैं. गंभीर हालत में घायल को जिला चिकित्सालय ले जाया गया. जहां से घायल को एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया.
बहादराबाद थाना पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार देर रात हाईवे पर स्थित शनि देव मंदिर के पास सड़क किनारे खड़े गुजरात के एक ऑयल टैंकर को पीछे से तेज गति से आ रही देहरादून नंबर की एक कार ने टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के अगले हिस्से के परखच्छे उड़ गए. हादसे में कार चला रहा युवक गंभीर रूप से घायल हो गया. मौके पर पहुंची बहादराबाद थाना पुलिस ने तत्काल घटना की जानकारी 108 सेवा को दी.
इसके बाद मौके पर पहुंची 108 से घायल को जिला चिकित्सालय भेजा गया. लेकिन कार चालक की हालत गंभीर होने के कारण तत्काल हायर सेंटर एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया. ऋषिकेश जाते समय ही रास्ते में 108 सेवा में सवार धीरज ने उसे प्राथमिक उपचार दिया. वहीं, एम्स पहुंचने के बाद एम्स अस्पताल ने घायल को भर्ती करने से यह कहकर इंकार कर दिया कि उनके यहां बेड खाली नहीं हैं.
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108 सेवा के कर्मचारी धीरज ने बताया कि घायल के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है. ना ही उसके पास से उसका कोई पहचान पत्र मिला है. ताकि उसके परिजनों से संपर्क किया जा सके. इस कारण अस्पताल वालों ने भी प्राथमिक उपचार देने से भी इनकार कर दिया. धीरज के मुताबिक, इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों ने बाद में यह कह दिया कि या तो इसके परिजनों को लेकर आओ या फिर पुलिस को लेकर आओ. उसके बाद ही घायल का इलाज किया जाएगा. घायल की गंभीर हालत को देखते हुए 108 कर्मी धीरज करीब सवा घंटे तक अस्पताल स्टाफ से लड़ता रहा. इसके बाद एम्स ने घायल को इमरजेंसी ने भर्ती किया.
एम्स ने किया शर्मसार: ऋषिकेश में बने एम्स अस्पताल से आसपास के बड़े इलाके को काफी राहत मिलती है. लेकिन बुधवार रात हरिद्वार में हुए हादसे में रात्रि सेवा में तैनात एम्स के चिकित्सकों ने दिन-रात सेवा करने वाले चिकित्सकों को शर्मसार कर दिया है. चिकित्सक की ड्यूटी किसी भी घायल को किसी भी परिस्थिति में सबसे पहले प्राथमिक उपचार देने की होती है. लेकिन एम्स अस्पताल ने ना तो अज्ञात घायल युवक को तत्काल प्राथमिक उपचार दिया और ना ही उसे भर्ती किया गया.
108 कर्मी धीरज लड़ता रहाः रात के समय एमरजेंसी पर एम्स प्रशासन हर दफा बेड फुल होने का बयान जारी कर मरीजों को बिना इलाज के ही लौटा देता है. इसमें कई गरीब तबके के क्रिटिकल पेशेंट भी होते हैं, जो किसी प्राइवेट अस्पताल के खर्च का बोझ नहीं उठा सकते. बुधवार देर रात हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ. बेड फुल होने का बयान देकर घायल को वापस भेजा जा रहा था. लेकिन 108 कर्मी धीरज अस्पताल प्रशासन से घायल के लिए नहीं लड़ता तो एम्स घायल को भर्ती भी नहीं करता और हो सकता था कि घायल की जान भी चली जाती.