देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने महाकुंभ पर स्थिति स्पष्ट कर दी है. राज्य सरकार अनुसार इस बार का महाकुंभ मात्र 30 दिनों का होगा. जिसकी मुख्य वजह वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन है. कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जारी किए गए दिशा निर्देशों का पालन कराने के साथ ही महाकुंभ में शामिल होने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए भारत सरकार द्वारा गाइडलाइन जारी किया गया है.
कुंभ को लेकर एसओपी जारी
यही नहीं, महाकुंभ को लेकर केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए गाइडलाइन के अनुरूप ही राज्य सरकार ने एसओपी जारी कर दी है, लेकिन नोटिफिकेशन जारी न होने के चलते एसओपी प्रभावी नहीं हो पाई है. महाकुंभ की स्थिति स्पष्ट होने के बाद से ही तमाम तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं. राज्य सरकार केंद्र सरकार के गाइडलाइन का हवाला देते हुए महाकुंभ के दिन को कम करने की बात कह रही है.
सनातन परंपरा में महाकुंभ का विशेष महत्व
सनातन परंपरा में महाकुंभ का एक विशेष महत्व है. यही वजह है कि परंपरागत और विधि विधान के साथ ही महाकुंभ में शाही स्नान तय किए जाते हैं. महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होता है, लेकिन इस बार हरिद्वार में आयोजित हो रहा महाकुंभ मात्र 11 साल बाद ही आयोजित हो रहा है. हालांकि, हरिद्वार महाकुंभ की खास बात यह है कि यहां पर हर बार 4 महीने का मेला आयोजित किया जाता रहा है, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते यह महाकुंभ मात्र 30 दिनों में ही सिमट कर रह गया है.
इस बार 30 दिनों का होगा महाकुंभ
हाईकोर्ट के आदेश और केंद्र सरकार की गाइडलाइन की वजह से राज्य सरकार ने मात्र 30 दिनों का ही महाकुंभ कराने का निर्णय लिया है. एक तरह से देखें तो अगर मात्र 30 दिन का ही महाकुंभ होता है तो वह कई मायनों में राज्य के लिए भी बेहतर रहेगा. क्योंकि महाकुंभ का नोटिफिकेशन जारी होते ही राज्य सरकार द्वारा जो एसओपी जारी की गई है, वह पूर्ण रूप से प्रभावी हो जाएगी.
ऐसे में जो एसओपी में दिशा निर्देश दिए गए हैं. उन दिशा निर्देशों को पूर्ण रुप से पालन करना होगा. जिसकी वजह से महाकुंभ का पूरा स्वरूप ही बदल जाएगा. अगर मात्र 30 दिन का ही महाकुंभ होगा तो ऐसे में उससे पहले के दिनों में इसको भी पूर्ण रूप से प्रभावित नहीं रहेगी. लिहाजा उस दौरान आसानी से श्रद्धालु हरिद्वार आकर गंगा स्नान कर सकते हैं.
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मुख्य शाही स्नान पर विशेष ध्यान
राज्य सरकार ने महाकुंभ के लिए 30 दिन निर्धारित किए हैं. इसी 30 दिन के भीतर ही दोनों मुख्य शाही स्नान पड़ रहे हैं. ऐसे में हाईकोर्ट और केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार इन दोनों शाही स्नान में राज्य सरकार का मुख्य फोकस रहेगा. क्योंकि इन दोनों मुख्य शाही स्नान के दौरान हरिद्वार में श्रद्धालुओं का हुजूम लगेगा. लेकिन इन व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने के लिए राज्य सरकार, नोटिफिकेशन और एसओपी के तहत ही व्यवस्थाओं को मुकम्मल करेगा.
मेलाधिकारी के अधीन होगा महाकुंभ
राज्य सरकार का फोकस है कि मेला अवधि अगर कम रहेगा तो इससे हरिद्वार के व्यापारियों को भी फायदा पहुंचेगा. क्योंकि वर्तमान समय में 2 स्नान निकल चुके हैं. जिस दौरान ठीक-ठाक और व्यवस्थित तरीके से श्रद्धालुओं ने कुंभ में स्नान किया. हालांकि ऑफिशल तौर से महाकुंभ का आयोजन तो अभी फिलहाल नहीं हुआ है. लेकिन व्यवस्थाएं मुख्य रूप से वहां देखी जा रही है.
यही नहीं, अभी वहां पर व्यवस्थाएं हरिद्वार जिलाधिकारी और एसएसपी के माध्यम से कराया जा रहा है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा महाकुंभ को लेकर नोटिफिकेशन जारी करने के बाद ही पूरे महाकुंभ की व्यवस्था कुंभ मेला अधिकारी के अधीन आ जाएगा. उस दौरान कुंभ मेला अधिकारी को राज्य सरकार द्वारा जारी एसओपी का पूर्ण रूप से पालन कराना होगा.
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व्यापारियों को होगा फायदा
महाकुंभ की स्थिति स्पष्ट होने के बाद से ही संत समाज काफी आक्रोशित हैं. इसके साथ ही व्यापारी वर्ग भी खुद को प्रभावित महसूस कर रहा है, लेकिन राज्य सरकार कहीं ना कहीं इशारों में इस बात पर भी जोर दे रही है कि अगर महाकुंभ के दिन कम रहेंगे तो हरिद्वार के व्यापारी काफी कम प्रभावित होंगे. क्योंकि नोटिफिकेशन जारी होने के बाद से ही केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए एसओपी को भी लागू कर दिया जाएगा. जिसके बाद तमाम रिस्ट्रिक्शन भी बढ़ जाएंगी. जिसके चलते हरिद्वार में आने वाले श्रद्धालुओं को ना से काफी नियमों का पालन करना पड़ेगा, बल्कि कुंभ मेला क्षेत्र के व्यापारियों समेत आने वाले सभी श्रद्धालुओं को एसओपी के तहत ही अपनी व्यवस्थाएं मुकम्मल करनी होंगी.
अखाड़ा परिषद से बातचीत करेंगे मुख्यमंत्री
शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार अखाड़ा परिषद के संतों से बातचीत कर रहे हैं. हालांकि, जो भारत सरकार ने एसओपी जारी किया है. उसका पालन करना राज्य सरकार की बाध्यता है. इसको लेकर अखाड़ा परिषद के महंतों से बातचीत चल रही है. लेकिन एक बार फिर मिल बैठकर अखाड़ा परिषद से मुख्यमंत्री की बातचीत होने के बाद जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा. यही नहीं, मदन कौशिक ने बताया कि महाकुंभ के दिनों के स्पष्टीकरण को लेकर हाई कोर्ट ने जवाब मांगा था, जिसके जवाब में मुख्य सचिव ने कहा था कि महाकुंभ का दिन कम कर 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच ही किया जाएगा.
28 फरवरी तक नोटिफिकेशन की स्थिति होगी स्पष्ट
मदन कौशिक ने कहा कि महाकुंभ का समय कम करने से जो अन्य शाही स्नान है, वह खत्म नहीं हो जाएंगे. बल्कि वह भी रहेंगे यानी कुल मिलाकर देखें तो आगामी 11 मार्च को होने वाला शाही स्नान भी रहेगा और उसमें अखाड़ा परिषद के साथ ही श्रद्धालु भी शामिल होंगे. इसका फायदा यह होगा कि उस दौरान, जारी एसओपी प्रभावी नहीं रहेगा. हालांकि, आज भी महाकुंभ में पूरी व्यवस्थाएं हैं, लेकिन नोटिफिकेशन जारी होने के बाद यह व्यवस्थाएं कुंभ मेला अधिकारी के अधीन आ जाएगा. मदन कौशिक ने कहा कि 28 फरवरी से पहले ही नोटिफिकेशन जारी होने की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
महाकुंभ कराना पुलिस के लिए चुनौती
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि महाकुंभ को व्यवस्थित ढंग से कराना पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि महाकुंभ के मुख्य चारों शाही स्नान पहले से ही एक बड़ी चुनौती रही है. इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन तैयारियों को व्यवस्थित ढंग से करने में जुटी हुई है. यही नहीं, तैयारियों में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि जो हमारी पूर्व परंपरा के साथ मौजूदा परिस्थितियों का अनुपालन कराया जाएगा.
कुंभ के लिये जारी एसओपी-
- सभी आश्रम/धर्मशाला/होटल/अतिथि गृह में ठहरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के हरिद्वार आने की तारीख से 72 घंटे पहले तक की नेगेटिव कोविड RT-PCR लेकर आना जरूरी होगा.
- कुंभ मेला हरिद्वार में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति अथवा यात्री को महाकुंभ मेला, 2021 के वेब पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा, केवल रजिस्टर्ड लोगों को ही एंट्री मिलेगी.
- आश्रम या धर्मशाला में केवल उसी व्यक्ति को प्रवेश मिलेगा जिसके पास एंट्री पास होगा और हथेली के ऊपरी भाग पर अमिट स्याही का चेक्ड मार्क होगा.
- कुंभ मेले के दौरान संपूर्ण मेला क्षेत्र में किसी भी स्थान पर संगठित रूप से भजन गायन और भंडारे के आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.
- कुंभ मेले के दौरान अनावश्यक भीड़ भाड़ से बचने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए अहम स्नान/पर्व स्नान/शाही स्नान के दिन केवल आवश्यक वस्तुओं की दुकानें ही खुलेंगी जैसे- भोजन, डेयरी, दवा, पूजन सामग्री और कंबल आदि की दुकानें ही खुलेंगी.
- किसी भी श्रद्धालु/ श्रद्धालुओं का जत्था को पवित्र स्नान के लिए अधिकतम 20 मिनट दिए जाएंगे. इसके बाद श्रद्धालुओं की निकासी के लिए पर्याप्त मानव संसाधन की तैनाती की जाएगी ताकि अगला जत्था पवित्र स्नान कर सके.
- स्नान घाट या घाट क्षेत्र में तैनात सभी कर्मी यथासंभव PPE किट से लैस होंगे और सभी सुरक्षा उपायों का पालन करेंगे.
- रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालु रेलवे टिकट के साथ कुंभ मेला का पंजीकरण पत्र और कोविड की नेगेटिव RT-PCR रिपोर्ट दिखाएंगे तभी स्टेशन से निकलने की अनुमति होगी.
- बस स्टैंड/स्टेशन/डिपो पर कुंभ मेला प्रवेश के लिए पंजीकरण पत्र और कोविड-19 की नेगेटिव RT-PCR रिपोर्ट दिखाने के बाद ही यात्रियों या श्रद्धालुओं को बस में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.
- इन सबके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क का हर समय अनिवार्य उपयोग, 6 फीट की दूरी के नियम का पालन करना होगा.
- राज्य सरकार सस्ती दरों पर मेले में मास्क उपलब्ध कराएगी. बिना मास्क पकड़े जाने पर राज्य सरकार की एजेंसियां नियमानुसार जुर्माना लगाएंगी.
- मेले के दौरान या तो थोड़ी-थोड़ी देर बाद अपने हाथ साबुन से धुलने होंगे या फिर हैंड सैनिटाइजर साथ रखना होगा.
- राज्य सरकार को सार्वजनिक स्थानों पर हाथ धोने और सैनिटाइजर की व्यवस्था करनी होगी.
- कुंभ मेला स्थल पर कहीं भी थूकना प्रतिबंधित होगा.
- सभी को अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करना होगा.
- राज्य सरकार को 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को कुंभ मेले में न जाने के लिए प्रेरित करना होगा.
- राज्य सरकार ऐसे कर्मचारी जो बुजुर्ग हैं और गर्भवती महिलाओं आदि को कोई ऐसी ड्यूटी नहीं देगी, जिसमें वह सीधे जनता का सामना करें.