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उत्तराखंड की बेटी ने शिक्षा और संगीत में लहराया परचम, महिला सशक्तिकरण की पहचान बनीं कुलपति प्रो इना शास्त्री - वनस्थली विद्यापीठ

हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था- 'लोगों को जगाने के लिये, महिलाओं का जागृत होना जरूरी है. एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है.' पंडित जी की इस बात को उत्तराखंड की बेटी इना शास्त्री ने अपना मूल मंत्र बना लिया. इसी कारण देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में से एक वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रोफेसर इना शास्त्री आज महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी हैं.

Banasthali Vidyapeeth
प्रोफेसर इना शास्त्री
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Published : May 29, 2023, 4:25 PM IST

जयपुर/देहरादून: ­13 किताबें, 50 से ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र, वुमन आइकॉन इंटरनेशनल अवॉर्ड फॉर एकेडमिक लीडर 'सर्टिफिकेट ऑफ रिकग्निशन' और 15,000 से ज्यादा छात्राओं का नेतृत्व, ये परिचय है राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रोफेसर इना शास्त्री का. उत्तराखंड में जन्मी प्रोफेसर इना शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ को जिस ऊंचाई पर पहुंचाया है, उस तरह का कोई दूसरा उदाहरण नहीं है.

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वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रो इना शास्त्री

बचपन में ही दिख गई थी प्रतिभा: प्रोफेसर इना शास्त्री का जन्म उत्तराखंड स्थित धर्मनगरी हरिद्वार में हुआ. बचपन से ही मेधावी रहीं इना शास्त्री जितनी कुशाग्र पढ़ाई-लिखाई में थीं, उतनी ही खेलकूद, संगीत और साहसिक कार्यों में भी कुशल थीं. ये वो जमाना था जब लड़कियों को नाम मात्र की पढ़ाई कराकर चूल्हा-चौकी में झोंक दिया जाता था. कम उम्र में विवाह कराकर ससुराल विदा कर दिया जाता था. लेकिन इना शास्त्री को घर परिवार से उड़ान भरने की पूरी आजादी मिली. इना ने हर फील्ड में अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन भी किया. अपने माता-पिता के दिखाए विश्वास को सफलता का ऐसा एवरेस्ट बनाया कि आज वो प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं.

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अपने कार्यालय में काम करतीं प्रो इना शास्त्री

देश की सर्वश्रेष्ठ NCC कैडेट रह चुकी हैं प्रो इना शास्त्री: साहसिक खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाली इना शास्त्री छात्र जीवन में हर उस गतिविधि में भाग लेती थीं, जिसमें रोमांच हो. इसीलिए उन्होंने स्कूली शिक्षा के दौरान NCC ज्वाइन की. NCC ज्वाइन करने का मकसद सिर्फ सर्टिफिकेट प्राप्त करना नहीं था. इसमें भी बालिका इना को एक सफलता का शिखर स्थापित करना था. इना शात्री के कड़े अभ्यास का परिणाम था कि 1986 में उन्हें गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका मिला. गर्व की बात ये थी कि इना ने ही गणतंत्र दिवस परेड में NCC की टुकड़ी का नेतृत्व किया और ऑलराउंडर सर्वश्रेष्ठ कैडेट का खिताब जीता. इसके साथ ही इना शास्त्री ने निशानेबाजी में भी कई स्वर्ण पदक जीते.

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गणतंत्र दिवस परेड 1986 में NCC के दल का नेतृत्व करतीं इना शास्त्री

हरिद्वार से हुई प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई: प्रोफेसर इना शास्त्री की 12वीं तक की पढ़ाई लिखाई हरिद्वार से हुई. इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वो बालिका शिक्षा के लिए जाने-माने राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ आ गईं. वनस्थली विद्यापीठ ने इना के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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1986 की गणतंत्र दिवस परेड में इना शास्त्री बेस्ट NCC कैडेट चुनी गई थीं.

संगीत में किया एमए: इना शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ से स्नातक की शिक्षा ली. इसके बाद संगीत विषय में एमए किया. वनस्थली से ही इना शास्त्री ने एमएड किया. इसके बाद प्रोफेसर उदय पारीक और प्रोफेसर बाबा साहब पूंछवाले के संयुक्त प्रवेक्षण में उन्होंने पीएचडी पूरी की. बौद्धिक प्रवृत्ति की होने के कारण इना शास्त्री शिक्षण और अनुसंधान और आउटरीच सभी में सक्रिय रहीं.

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प्रो इना शास्त्री ने संगीत थेरेपी पर भी काम किया है

वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति हैं प्रोफेसर इना शास्त्री: पिछले 10 वर्षों से प्रोफेसर इना शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ की प्रमुख कार्यकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रही हैं. वर्तमान में प्रोफेसर इना शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति हैं.

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प्रो इना शास्त्री निशानेबाजी में भी अव्वल थीं.

ये हैं इना शास्त्री की उपलब्धियां: प्रोफेसर इना शास्त्री का अब तक का कैरियर उपलब्धियों से भरा हुआ है. उन्होंने अब तक 13 पुस्तकें लिखी हैं. 50 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं. विभिन्न एजेंसियों के लिए कई शोध परियोजनाओं को पूरा किया है. इनमें से कुछ पुराने लोक वाद्ययंत्रों को पुनर्जीवित करने के अपने तरह के प्रयास शामिल हैं.

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प्रो इना शास्त्री को घुड़सवारी में कई मेडल मिले.

तनाव भगाने के लिए संगीत का प्रयोग: प्रोफेसर इना शास्त्री ने संगीत के उपचारात्मक अनुप्रयोग भी किए. इसमें भलाई और तनाव से निपटने के लिए संगीत और संगीत को विविध अन्य क्षेत्रों से जोड़ने का काम किया. इस पर उन्होंने पचास से अधिक पीएचडी थीसिस की हैं. अभी भी कई पर्यवेक्षण में सक्रिय हैं.

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वनस्थली विद्यापीठ में समारोह को संबोधित करतीं प्रो. इना शास्त्री

प्रोफेसर इना शास्त्री को मिले सम्मान: प्रोफेसर इना शास्त्री के देश और समाज के लिए किए गए अमूल्य योगदान के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से ढेरों पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा आईएमआरएफ प्रतिष्ठित प्रेरक संगीतकार पुरस्कार 2020 मिला है. मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च फाउंडेशन, आउटस्टैंडिंग एशियन फैकल्टी अवॉर्ड ऑफ द ईयर 2020-21 मिला है.

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प्रो इना शास्त्री को सम्मानित करते तत्कालीन शिक्षा मंत्री निशंक

वुमन आइकॉन, इंटरनेशनल अवॉर्ड 2020-21 फॉर एकेडमिक लीडर 'सर्टिफिकेट ऑफ रिकग्निशन' मिल चुका है. 12OR, MSME 2021, भारतीय राष्ट्रीय बार द्वारा द फेनोमेनल शी 2021 सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन मिला. महिलाओं के लिए किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए एसोसिएशन, दैनिक भास्कर वुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2022 प्राप्त हुआ. वनस्थली विद्यापीठ को FICCI में जिताने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2022 और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय रैंकिंग में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए टाइम्स हायर एजुकेशन और एनआईआरएफ अवॉर्ड मिला.

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प्रो इना शास्त्री को महिला सशक्तिकरण के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं

इसके साथ ही इंटर यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल में संगीत और नृत्य भारतीय विश्वविद्यालय वह संरक्षण, प्रचार और कार्यान्वयन में प्रमुख प्रस्तावक हैं. विद्यापीठ की व्यापक शैक्षिक विचारधारा और सौंदर्य विकास की अगुआई करता है.

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सम्मानित होतीं प्रो इना शास्त्री

क्या कहती हैं प्रोफेसर इना शास्त्री: प्रो इना शास्त्री का दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं और पुरुषों दोनों को विकास की हर गतिविधि में समान स्तर पर भाग लेना होगा. समाज का विकास और महिलाओं को अब घरेलू मोर्चे तक सीमित नहीं रखा जा सकता है.

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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के साथ कार्यक्रम में प्रो इना शास्त्री

खादी और कुटीर उद्योग पर कर रही हैं काम: प्रोफेसर इना शास्त्री ने बताया कि खादी उत्पादन के लिए महिलाओं को शुरू में यांत्रिक करघे चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया. आज आसपास के गांवों के लगभग हर परिवार की महिलाएं इसमें शामिल हो गई हैं, जहां वे बुनाई करती हैं. खादी के कपड़ों को बढ़ावा देने के साथ अच्छी आजीविका कमा रही हैं. ग्रामीणों के सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने के उनके प्रयासों से महिलाओं में आत्मबल बढ़ा है. प्रोफेसर इना शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ परिसर में रेडियो वनस्थली 90.4 एफएम की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह राजस्थान राज्य का पहला सामुदायिक रेडियो है. यह लोगों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है.

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सम्मान समारोह में प्रो इना शास्त्री

जयपुर/देहरादून: ­13 किताबें, 50 से ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र, वुमन आइकॉन इंटरनेशनल अवॉर्ड फॉर एकेडमिक लीडर 'सर्टिफिकेट ऑफ रिकग्निशन' और 15,000 से ज्यादा छात्राओं का नेतृत्व, ये परिचय है राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रोफेसर इना शास्त्री का. उत्तराखंड में जन्मी प्रोफेसर इना शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ को जिस ऊंचाई पर पहुंचाया है, उस तरह का कोई दूसरा उदाहरण नहीं है.

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वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रो इना शास्त्री

बचपन में ही दिख गई थी प्रतिभा: प्रोफेसर इना शास्त्री का जन्म उत्तराखंड स्थित धर्मनगरी हरिद्वार में हुआ. बचपन से ही मेधावी रहीं इना शास्त्री जितनी कुशाग्र पढ़ाई-लिखाई में थीं, उतनी ही खेलकूद, संगीत और साहसिक कार्यों में भी कुशल थीं. ये वो जमाना था जब लड़कियों को नाम मात्र की पढ़ाई कराकर चूल्हा-चौकी में झोंक दिया जाता था. कम उम्र में विवाह कराकर ससुराल विदा कर दिया जाता था. लेकिन इना शास्त्री को घर परिवार से उड़ान भरने की पूरी आजादी मिली. इना ने हर फील्ड में अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन भी किया. अपने माता-पिता के दिखाए विश्वास को सफलता का ऐसा एवरेस्ट बनाया कि आज वो प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं.

Banasthali Vidyapeeth
अपने कार्यालय में काम करतीं प्रो इना शास्त्री

देश की सर्वश्रेष्ठ NCC कैडेट रह चुकी हैं प्रो इना शास्त्री: साहसिक खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाली इना शास्त्री छात्र जीवन में हर उस गतिविधि में भाग लेती थीं, जिसमें रोमांच हो. इसीलिए उन्होंने स्कूली शिक्षा के दौरान NCC ज्वाइन की. NCC ज्वाइन करने का मकसद सिर्फ सर्टिफिकेट प्राप्त करना नहीं था. इसमें भी बालिका इना को एक सफलता का शिखर स्थापित करना था. इना शात्री के कड़े अभ्यास का परिणाम था कि 1986 में उन्हें गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका मिला. गर्व की बात ये थी कि इना ने ही गणतंत्र दिवस परेड में NCC की टुकड़ी का नेतृत्व किया और ऑलराउंडर सर्वश्रेष्ठ कैडेट का खिताब जीता. इसके साथ ही इना शास्त्री ने निशानेबाजी में भी कई स्वर्ण पदक जीते.

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गणतंत्र दिवस परेड 1986 में NCC के दल का नेतृत्व करतीं इना शास्त्री

हरिद्वार से हुई प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई: प्रोफेसर इना शास्त्री की 12वीं तक की पढ़ाई लिखाई हरिद्वार से हुई. इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वो बालिका शिक्षा के लिए जाने-माने राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ आ गईं. वनस्थली विद्यापीठ ने इना के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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1986 की गणतंत्र दिवस परेड में इना शास्त्री बेस्ट NCC कैडेट चुनी गई थीं.

संगीत में किया एमए: इना शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ से स्नातक की शिक्षा ली. इसके बाद संगीत विषय में एमए किया. वनस्थली से ही इना शास्त्री ने एमएड किया. इसके बाद प्रोफेसर उदय पारीक और प्रोफेसर बाबा साहब पूंछवाले के संयुक्त प्रवेक्षण में उन्होंने पीएचडी पूरी की. बौद्धिक प्रवृत्ति की होने के कारण इना शास्त्री शिक्षण और अनुसंधान और आउटरीच सभी में सक्रिय रहीं.

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प्रो इना शास्त्री ने संगीत थेरेपी पर भी काम किया है

वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति हैं प्रोफेसर इना शास्त्री: पिछले 10 वर्षों से प्रोफेसर इना शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ की प्रमुख कार्यकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रही हैं. वर्तमान में प्रोफेसर इना शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति हैं.

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प्रो इना शास्त्री निशानेबाजी में भी अव्वल थीं.

ये हैं इना शास्त्री की उपलब्धियां: प्रोफेसर इना शास्त्री का अब तक का कैरियर उपलब्धियों से भरा हुआ है. उन्होंने अब तक 13 पुस्तकें लिखी हैं. 50 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं. विभिन्न एजेंसियों के लिए कई शोध परियोजनाओं को पूरा किया है. इनमें से कुछ पुराने लोक वाद्ययंत्रों को पुनर्जीवित करने के अपने तरह के प्रयास शामिल हैं.

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प्रो इना शास्त्री को घुड़सवारी में कई मेडल मिले.

तनाव भगाने के लिए संगीत का प्रयोग: प्रोफेसर इना शास्त्री ने संगीत के उपचारात्मक अनुप्रयोग भी किए. इसमें भलाई और तनाव से निपटने के लिए संगीत और संगीत को विविध अन्य क्षेत्रों से जोड़ने का काम किया. इस पर उन्होंने पचास से अधिक पीएचडी थीसिस की हैं. अभी भी कई पर्यवेक्षण में सक्रिय हैं.

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वनस्थली विद्यापीठ में समारोह को संबोधित करतीं प्रो. इना शास्त्री

प्रोफेसर इना शास्त्री को मिले सम्मान: प्रोफेसर इना शास्त्री के देश और समाज के लिए किए गए अमूल्य योगदान के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से ढेरों पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा आईएमआरएफ प्रतिष्ठित प्रेरक संगीतकार पुरस्कार 2020 मिला है. मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च फाउंडेशन, आउटस्टैंडिंग एशियन फैकल्टी अवॉर्ड ऑफ द ईयर 2020-21 मिला है.

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प्रो इना शास्त्री को सम्मानित करते तत्कालीन शिक्षा मंत्री निशंक

वुमन आइकॉन, इंटरनेशनल अवॉर्ड 2020-21 फॉर एकेडमिक लीडर 'सर्टिफिकेट ऑफ रिकग्निशन' मिल चुका है. 12OR, MSME 2021, भारतीय राष्ट्रीय बार द्वारा द फेनोमेनल शी 2021 सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन मिला. महिलाओं के लिए किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए एसोसिएशन, दैनिक भास्कर वुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2022 प्राप्त हुआ. वनस्थली विद्यापीठ को FICCI में जिताने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2022 और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय रैंकिंग में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए टाइम्स हायर एजुकेशन और एनआईआरएफ अवॉर्ड मिला.

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प्रो इना शास्त्री को महिला सशक्तिकरण के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं

इसके साथ ही इंटर यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल में संगीत और नृत्य भारतीय विश्वविद्यालय वह संरक्षण, प्रचार और कार्यान्वयन में प्रमुख प्रस्तावक हैं. विद्यापीठ की व्यापक शैक्षिक विचारधारा और सौंदर्य विकास की अगुआई करता है.

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सम्मानित होतीं प्रो इना शास्त्री

क्या कहती हैं प्रोफेसर इना शास्त्री: प्रो इना शास्त्री का दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं और पुरुषों दोनों को विकास की हर गतिविधि में समान स्तर पर भाग लेना होगा. समाज का विकास और महिलाओं को अब घरेलू मोर्चे तक सीमित नहीं रखा जा सकता है.

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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के साथ कार्यक्रम में प्रो इना शास्त्री

खादी और कुटीर उद्योग पर कर रही हैं काम: प्रोफेसर इना शास्त्री ने बताया कि खादी उत्पादन के लिए महिलाओं को शुरू में यांत्रिक करघे चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया. आज आसपास के गांवों के लगभग हर परिवार की महिलाएं इसमें शामिल हो गई हैं, जहां वे बुनाई करती हैं. खादी के कपड़ों को बढ़ावा देने के साथ अच्छी आजीविका कमा रही हैं. ग्रामीणों के सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने के उनके प्रयासों से महिलाओं में आत्मबल बढ़ा है. प्रोफेसर इना शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ परिसर में रेडियो वनस्थली 90.4 एफएम की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह राजस्थान राज्य का पहला सामुदायिक रेडियो है. यह लोगों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है.

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