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कोरोना काल में टैक्सी संचालक बने मददगार, अब भुगतान के लिए लगा रहे दफ्तरों के चक्कर - corona pandemic

कोरोना महामारी में टैक्सी संचालकों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर न सिर्फ मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया, बल्कि दवाइयां और अधिकारियों को भी उनके गंतव्य तक पहुंचने का काम किया. वहीं, अब 2022 समाप्त होने वाला है, लेकिन अभी तक इन टैक्सी संचालकों का भुगतान नहीं किया गया है. जिसे इन वाहन संचालकों की पेरशानी बढ़ गई है. ये संचालक दफ्तरों की चक्कर काटने को मजबूर हैं.

Uttarakhand Taxi operators
टैक्सी संचालन भुगतान के लिए लगा रहे चक्कर
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Published : Nov 25, 2022, 5:36 PM IST

Updated : Nov 25, 2022, 10:27 PM IST

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनियाभर के लोगों की जिंदगी पर ऐसा ब्रेक लगाया कि दोबारा जिंदगी को पटरी पर लौटने में करीब डेढ़ साल का वक्त लग गया. इस महामारी के दौरान लाखों लोगों ने अपनों को खोया. कई लोग तो अपने अंतिम समय में अपनों की सूरत तक भी नहीं देख पाए. वहीं, इस दौरान व्यापार भी पूरी तरह से ठप रहा. हालांकि, इस कोरोना काल में हर वर्ग और तबके के लोगों ने किसी न किसी तरीके से जरूरतमंदों की मदद करने की पूरी कोशिश की. जिसमें टैक्सी संचालक भी शामिल हैं, इन संचालकों ने कोरोना काल में भी अपनी सेवाएं दी, लेकिन डेढ़ साल का वक्त बीत जाने के बाद भी टैक्सी चालकों का भुगतान नहीं हो पाया है. जिसके चलते टैक्सी संचालक लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.

कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स की तरह ही टैक्सी संचालकों ने भी अपनी जान की परवाह किए बगैर न सिर्फ मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया, बल्कि दवाइयां और अधिकारियों को भी उनके गंतव्य तक पहुंचने का काम किया. ऐसे में 2022 समाप्त होने वाला है, लेकिन अभी तक इन टैक्सी संचालकों का भुगतान नहीं किया गया है.

दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर टैक्सी संचालक: कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने किन हालातों में एक-दूसरे की मदद की होगी, इसका अंदाजा सभी को है. यही वजह है कि कोरोना महामारी में अपनी सेवा देने वालों को कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया और सम्मानित भी किया गया, लेकिन जिस सिस्टम से लोगों को सबसे ज्यादा उम्मीद होती है. उसी सिस्टम के अधिकारियों ने कोरोना में जान जोखिम में डालकर काम करने वालों की सुध नहीं ली. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योकि कोरोना काल में जो टैक्सी, मैक्स और गाड़ियां परिवहन के लिए लगवाई गई थी, उनको पैसों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. जिसके चलते टैक्सी संचालक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

टैक्सी संचालन भुगतान के लिए लगा रहे चक्कर

129 गाड़ियों का करीब 1.17 करोड़ बकाया: परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन को जो गाड़ियां मुहैया करवाई थी, वो करीब 6 महीने तक चली. अभी भी 129 गाड़ियां ऐसी हैं, जिनका करीब 1 करोड़ 17 लाख 76 हजार रुपये से ज्यादा का भुगतान बकाया है. जिसकी वजह से वाहन संचालक संबंधित विभागों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी भुगतान नहीं हो पाया हैं. इस मामले में टैक्सी मालिकों और इनसे जुड़े संगठनो ने कई बार बड़े अधिकारियों को पत्राचार भी किया है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है. पैसे ना होने की वजह से तो इन टैक्सी मालिकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बजट खर्च का हिसाब देने में उदासीन विभाग, वित्तीय प्रबंधन में नाकाम सरकार!

फाइनेंस कंपनियां ने संचालकों को भेजा नोटिस: जहां कोविड काल के दौरान टैक्सी संचालकों का व्यापार पूरी तरह से ठप रहा. वहीं, अब सरकार इन वाहन मालिकों के पैसों का भुगतान नहीं कर रही है. जिसके चलते टैक्सी संचालकों की मुसीबत बढ़ गई है. दरअसल, कई टैक्सी संचालक ऐसे हैं, जिन्होंने लोन पर गाड़ियां ली थी, लेकिन सरकार की ओर से भुगतान नहीं होने की वजह से वो इनका प्रीमियम भी नहीं भर पा रहे हैं. जिसके चलते फाइनेंस कंपनियां टैक्सी संचालकों को नोटिस भेज रही है.

आपदा में इस्तेमाल गाड़ियों का भी भुगतान बाकी: वहीं, नवंबर 2021 में रैणी गांव में आई आपदा और कासरो रेल दुर्घटना के दौरान भी टैक्सी संचालकों की 14 वाहनों का इस्तेमाल किया गया था. जिसका 54,216 रुपए बकाया है. जिसके भुगतान के लिए भी वाहन संचालक लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन एक साल का वक्त बीत जाने के बाद भी पैसों का भुगतान नहीं हो पाया है.

जल्द होगा टैक्सी संचालकों का भुगतान: देहरादून आरटीओ का भी मानना है कि लंबे वक्त से टैक्सी संचालकों भुगतान नहीं हो पाया है. जिसके लिए विभागीय स्तर से सभी कार्रवाई की जा चुकी है. इस संबंध में एडीएम और डीएम को पत्राचार किया गया है. जिनमें कोविड काल का पैसा मिल चुका है. एडीएम ने बताया कि जल्द ही टैक्सी मालिकों के खातों में पैसे डाल दिए जाएंगे. लेकिन कब तक टैक्सी मालिकों तक भुगतान किया जाएगा, इसके लिए कोई भी समय सीमा तय नहीं की गई है. वहीं, चुनाव कार्य में लगाए गए वाहनों के भुगतान पर भी संशय बना हुआ है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड सरकार कर्ज की रकम से भर रही ब्याज, CAG रिपोर्ट में खुलासा

टैक्सी चालकों के बहाने विपक्ष ने सरकार को घेरा: वहीं, टैक्सी संचालकों का बकाया भुगतान नहीं होने को लेकर विपक्ष हमलावर नजर आ रहा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सरकार ने जैसा पैरामेडिकल के छात्रों के साथ किया है. वैसा ही काम टैक्सी संचालकों के साथ कर रही है. क्योंकि, कोरोना काल के दौरान पैरामेडिकल की भर्ती की गई, लेकिन कोविड खत्म होने के बाद इन्हें न सिर्फ बाहर कर दिया गया, बल्कि उन पर लट्ठ भी चलाए गए. इसी तरह टैक्सी संचालकों से काम भी लिया गया. इन संचालकों का करीब डेढ़ करोड़ रुपए बकाया है. जिसका भुगतान नहीं किया गया. ऐसे में आने वाले समय में अगर ऐसा कुछ होता है तो, टैक्सी संचालक किसका भरोसा करके अपने वाहनों को लगाएंगे.

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनियाभर के लोगों की जिंदगी पर ऐसा ब्रेक लगाया कि दोबारा जिंदगी को पटरी पर लौटने में करीब डेढ़ साल का वक्त लग गया. इस महामारी के दौरान लाखों लोगों ने अपनों को खोया. कई लोग तो अपने अंतिम समय में अपनों की सूरत तक भी नहीं देख पाए. वहीं, इस दौरान व्यापार भी पूरी तरह से ठप रहा. हालांकि, इस कोरोना काल में हर वर्ग और तबके के लोगों ने किसी न किसी तरीके से जरूरतमंदों की मदद करने की पूरी कोशिश की. जिसमें टैक्सी संचालक भी शामिल हैं, इन संचालकों ने कोरोना काल में भी अपनी सेवाएं दी, लेकिन डेढ़ साल का वक्त बीत जाने के बाद भी टैक्सी चालकों का भुगतान नहीं हो पाया है. जिसके चलते टैक्सी संचालक लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.

कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स की तरह ही टैक्सी संचालकों ने भी अपनी जान की परवाह किए बगैर न सिर्फ मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया, बल्कि दवाइयां और अधिकारियों को भी उनके गंतव्य तक पहुंचने का काम किया. ऐसे में 2022 समाप्त होने वाला है, लेकिन अभी तक इन टैक्सी संचालकों का भुगतान नहीं किया गया है.

दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर टैक्सी संचालक: कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने किन हालातों में एक-दूसरे की मदद की होगी, इसका अंदाजा सभी को है. यही वजह है कि कोरोना महामारी में अपनी सेवा देने वालों को कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया और सम्मानित भी किया गया, लेकिन जिस सिस्टम से लोगों को सबसे ज्यादा उम्मीद होती है. उसी सिस्टम के अधिकारियों ने कोरोना में जान जोखिम में डालकर काम करने वालों की सुध नहीं ली. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योकि कोरोना काल में जो टैक्सी, मैक्स और गाड़ियां परिवहन के लिए लगवाई गई थी, उनको पैसों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. जिसके चलते टैक्सी संचालक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

टैक्सी संचालन भुगतान के लिए लगा रहे चक्कर

129 गाड़ियों का करीब 1.17 करोड़ बकाया: परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन को जो गाड़ियां मुहैया करवाई थी, वो करीब 6 महीने तक चली. अभी भी 129 गाड़ियां ऐसी हैं, जिनका करीब 1 करोड़ 17 लाख 76 हजार रुपये से ज्यादा का भुगतान बकाया है. जिसकी वजह से वाहन संचालक संबंधित विभागों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी भुगतान नहीं हो पाया हैं. इस मामले में टैक्सी मालिकों और इनसे जुड़े संगठनो ने कई बार बड़े अधिकारियों को पत्राचार भी किया है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है. पैसे ना होने की वजह से तो इन टैक्सी मालिकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बजट खर्च का हिसाब देने में उदासीन विभाग, वित्तीय प्रबंधन में नाकाम सरकार!

फाइनेंस कंपनियां ने संचालकों को भेजा नोटिस: जहां कोविड काल के दौरान टैक्सी संचालकों का व्यापार पूरी तरह से ठप रहा. वहीं, अब सरकार इन वाहन मालिकों के पैसों का भुगतान नहीं कर रही है. जिसके चलते टैक्सी संचालकों की मुसीबत बढ़ गई है. दरअसल, कई टैक्सी संचालक ऐसे हैं, जिन्होंने लोन पर गाड़ियां ली थी, लेकिन सरकार की ओर से भुगतान नहीं होने की वजह से वो इनका प्रीमियम भी नहीं भर पा रहे हैं. जिसके चलते फाइनेंस कंपनियां टैक्सी संचालकों को नोटिस भेज रही है.

आपदा में इस्तेमाल गाड़ियों का भी भुगतान बाकी: वहीं, नवंबर 2021 में रैणी गांव में आई आपदा और कासरो रेल दुर्घटना के दौरान भी टैक्सी संचालकों की 14 वाहनों का इस्तेमाल किया गया था. जिसका 54,216 रुपए बकाया है. जिसके भुगतान के लिए भी वाहन संचालक लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन एक साल का वक्त बीत जाने के बाद भी पैसों का भुगतान नहीं हो पाया है.

जल्द होगा टैक्सी संचालकों का भुगतान: देहरादून आरटीओ का भी मानना है कि लंबे वक्त से टैक्सी संचालकों भुगतान नहीं हो पाया है. जिसके लिए विभागीय स्तर से सभी कार्रवाई की जा चुकी है. इस संबंध में एडीएम और डीएम को पत्राचार किया गया है. जिनमें कोविड काल का पैसा मिल चुका है. एडीएम ने बताया कि जल्द ही टैक्सी मालिकों के खातों में पैसे डाल दिए जाएंगे. लेकिन कब तक टैक्सी मालिकों तक भुगतान किया जाएगा, इसके लिए कोई भी समय सीमा तय नहीं की गई है. वहीं, चुनाव कार्य में लगाए गए वाहनों के भुगतान पर भी संशय बना हुआ है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड सरकार कर्ज की रकम से भर रही ब्याज, CAG रिपोर्ट में खुलासा

टैक्सी चालकों के बहाने विपक्ष ने सरकार को घेरा: वहीं, टैक्सी संचालकों का बकाया भुगतान नहीं होने को लेकर विपक्ष हमलावर नजर आ रहा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सरकार ने जैसा पैरामेडिकल के छात्रों के साथ किया है. वैसा ही काम टैक्सी संचालकों के साथ कर रही है. क्योंकि, कोरोना काल के दौरान पैरामेडिकल की भर्ती की गई, लेकिन कोविड खत्म होने के बाद इन्हें न सिर्फ बाहर कर दिया गया, बल्कि उन पर लट्ठ भी चलाए गए. इसी तरह टैक्सी संचालकों से काम भी लिया गया. इन संचालकों का करीब डेढ़ करोड़ रुपए बकाया है. जिसका भुगतान नहीं किया गया. ऐसे में आने वाले समय में अगर ऐसा कुछ होता है तो, टैक्सी संचालक किसका भरोसा करके अपने वाहनों को लगाएंगे.

Last Updated : Nov 25, 2022, 10:27 PM IST
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