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उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बने ओम प्रकाश, जानिए कैसा रहा अब तक का सफर

वरिष्ठ आईएएस ओम प्रकाश को उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया है. ओम प्रकाश का जन्म 14 मई 1962 को पटना में हुआ. साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हुआ था. इसके बाद जौनपुर में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला.

Om Prakash Uttarakhand's new Chief Secretary
उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बने ओम प्रकाश
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Published : Jul 30, 2020, 6:14 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 9:29 AM IST

देहरादून: 1987 बैच के आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को उत्तराखंड का अगला मुख्य सचिव बनाया गया है. ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाने को लेकर अपर सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने आदेश जारी कर दिया है. मौजूदा मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह आज रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद ओम प्रकाश नए मुख्य सचिव पद की कमान संभालेंगे.

ओमप्रकाश इस समय मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव भी हैं. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे तो तब भी वह उनके साथ पांच साल कृषि सचिव रहे हैं. मुख्यमंत्री के निकट होने का फायदा उन्हें मिला. इसके अलावा ओमप्रकाश को प्रदेश में वरिष्ठता के क्रम की भी फायदा मिला, जिसके कारण वे इस रेस में पहले ही आगे चल रहे थे. वायरस कोविड-19 के महामारी सहित आपदा की इस घड़ी में नए मुख्य सचिव के रूप में ओमप्रकाश के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं. इसके अलावा उनसे जुड़े विवाद भी उनके लिए बड़ी चुनौतियां होंगे.

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उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बने ओम प्रकाश

14 मई 1962 को पटना में हुआ था जन्म

14 मई 1962 को पटना में जन्मे ओम प्रकाश पिता बिहार इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड में इंजीनियर थे. इस दौरान उनके लगातार ट्रांसफर होते रहते थे. जिसके कारण ओमप्रकाश ने अपनी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक तकरीबन 7 अलग-अलग स्कूलों से हासिल की. पटना से मैट्रिक पास करने के बाद ओम प्रकाश ने साइंस कॉलेज पटना से बीएससी फिजिक्स ऑनर्स किया. जिसके बाद एमएससी थियोरेटिकल फिजिक्स के लिए वह दिल्ली विश्वविद्यालय आ गए. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने एमफिल की पढ़ाई भी थियोरेटिकल फिजिक्स से पूरी की.

ओमप्रकाश ने आईपीएस समेत कई नौकरियां ठुकराई

एमफिल के दौरान ओम प्रकाश को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी सीएसआईआर में फेलोशिप भी प्राप्त हुई. इसके बाद वर्ष 1983 में ओमप्रकाश का सलेक्शन जियो फिजिसिस्ट ओएनजीसी देहरादून में हुआ. मगर उन्होंने यहां ज्वाइन नहीं किया. इसके बाद 1985 में ओमप्रकाश का सलेक्शन सिविल सर्विसेस में बतौर आईपीएस हुआ, लेकिन ओमप्रकाश ने ये भी ठुकरा दिया. इसके बाद फिर उन्होंने इनकम टैक्स ज्वाइन किया. दिल्ली में ओमप्रकाश तकरीबन 3 महीने असिस्टेंट कमिश्नर इनकम टैक्स रहे.

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सीएम से मिलते ओम प्रकाश


साल 1987 में पास की सिविल सर्विसेस की परीक्षा
कई नौकरियां करने के बाद भी ओमप्रकाश का सपना सिविल सर्विस में बतौर आईएएस काम करना था. आखिरकार साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हो गया. इसके बाद जौनपुर में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला.

खुर्जा में एसडीएम के तौर पर हुई पहली प्रशासनिक नियुक्ति

ओम प्रकाश की एसडीएम खुर्जा में बतौर प्रशासनिक अधिकारी पहली पोस्टिंग हुई. खुर्जा और बुलंदशहर में रहने के बाद बतौर डीएम उनकी पहली पोस्टिंग महू जिले में हुई. इसके बाद गाजीपुर, हाथरस, बांदा में एडीएम रहने के बाद साल 2002 में उत्तराखंड राज्य बनने पर उन्हें उत्तराखंड राज्य कैडर आवंटित हुआ.

साल 2002 के बाद उत्तराखंड के हो गये ओमप्रकाश

साल 2002 में उत्तराखंड कैडर मिलने के बाद आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश देहरादून के डीएम बनाए गए. वर्ष 2003 में उन्हें मेला अधिकारी अर्ध कुंभ बनाया गया. इसके बाद ओमप्रकाश को सचिवालय में अलग-अलग विभागों में सचिव पद मिलते हुए प्रमोशन होते रहे.

देहरादून: 1987 बैच के आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को उत्तराखंड का अगला मुख्य सचिव बनाया गया है. ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाने को लेकर अपर सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने आदेश जारी कर दिया है. मौजूदा मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह आज रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद ओम प्रकाश नए मुख्य सचिव पद की कमान संभालेंगे.

ओमप्रकाश इस समय मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव भी हैं. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे तो तब भी वह उनके साथ पांच साल कृषि सचिव रहे हैं. मुख्यमंत्री के निकट होने का फायदा उन्हें मिला. इसके अलावा ओमप्रकाश को प्रदेश में वरिष्ठता के क्रम की भी फायदा मिला, जिसके कारण वे इस रेस में पहले ही आगे चल रहे थे. वायरस कोविड-19 के महामारी सहित आपदा की इस घड़ी में नए मुख्य सचिव के रूप में ओमप्रकाश के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं. इसके अलावा उनसे जुड़े विवाद भी उनके लिए बड़ी चुनौतियां होंगे.

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उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बने ओम प्रकाश

14 मई 1962 को पटना में हुआ था जन्म

14 मई 1962 को पटना में जन्मे ओम प्रकाश पिता बिहार इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड में इंजीनियर थे. इस दौरान उनके लगातार ट्रांसफर होते रहते थे. जिसके कारण ओमप्रकाश ने अपनी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक तकरीबन 7 अलग-अलग स्कूलों से हासिल की. पटना से मैट्रिक पास करने के बाद ओम प्रकाश ने साइंस कॉलेज पटना से बीएससी फिजिक्स ऑनर्स किया. जिसके बाद एमएससी थियोरेटिकल फिजिक्स के लिए वह दिल्ली विश्वविद्यालय आ गए. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने एमफिल की पढ़ाई भी थियोरेटिकल फिजिक्स से पूरी की.

ओमप्रकाश ने आईपीएस समेत कई नौकरियां ठुकराई

एमफिल के दौरान ओम प्रकाश को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी सीएसआईआर में फेलोशिप भी प्राप्त हुई. इसके बाद वर्ष 1983 में ओमप्रकाश का सलेक्शन जियो फिजिसिस्ट ओएनजीसी देहरादून में हुआ. मगर उन्होंने यहां ज्वाइन नहीं किया. इसके बाद 1985 में ओमप्रकाश का सलेक्शन सिविल सर्विसेस में बतौर आईपीएस हुआ, लेकिन ओमप्रकाश ने ये भी ठुकरा दिया. इसके बाद फिर उन्होंने इनकम टैक्स ज्वाइन किया. दिल्ली में ओमप्रकाश तकरीबन 3 महीने असिस्टेंट कमिश्नर इनकम टैक्स रहे.

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सीएम से मिलते ओम प्रकाश


साल 1987 में पास की सिविल सर्विसेस की परीक्षा
कई नौकरियां करने के बाद भी ओमप्रकाश का सपना सिविल सर्विस में बतौर आईएएस काम करना था. आखिरकार साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हो गया. इसके बाद जौनपुर में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला.

खुर्जा में एसडीएम के तौर पर हुई पहली प्रशासनिक नियुक्ति

ओम प्रकाश की एसडीएम खुर्जा में बतौर प्रशासनिक अधिकारी पहली पोस्टिंग हुई. खुर्जा और बुलंदशहर में रहने के बाद बतौर डीएम उनकी पहली पोस्टिंग महू जिले में हुई. इसके बाद गाजीपुर, हाथरस, बांदा में एडीएम रहने के बाद साल 2002 में उत्तराखंड राज्य बनने पर उन्हें उत्तराखंड राज्य कैडर आवंटित हुआ.

साल 2002 के बाद उत्तराखंड के हो गये ओमप्रकाश

साल 2002 में उत्तराखंड कैडर मिलने के बाद आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश देहरादून के डीएम बनाए गए. वर्ष 2003 में उन्हें मेला अधिकारी अर्ध कुंभ बनाया गया. इसके बाद ओमप्रकाश को सचिवालय में अलग-अलग विभागों में सचिव पद मिलते हुए प्रमोशन होते रहे.

Last Updated : Jul 31, 2020, 9:29 AM IST
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