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कुपोषण को मात देने के लिए लाखों लोगों तक पहुंची उत्तराखंड सरकार

उत्तराखंड सरकार ने कुपोषण के खिलाफ 3 सितंबर से 30 सितंबर तक 'हर घर पोषण का व्यवहार' मासिक अभियान चलाया था.

कुपोषण मुक्त अभियान
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Published : Sep 30, 2019, 9:56 PM IST

देहरादून: देश को कुपोषण से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने एक मुहिम के तहत अभियान चलाया था. वहीं उत्तराखंड सरकार ने भी कुपोषण के खिलाफ 3 सितंबर को हर घर पोषण का व्यवहार कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत प्रदेशभर के सभी जिलों में पोषण रैली, एनीमिया से बचाव के लिए जानकारियां देने के साथ ही डायरिया बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए गए. ये सभी कार्यक्रम में प्रदेश में करीब एक महीने तक चलाए गए.

जानकारी सचिव देती हुई सचिव सौजन्या

कुपोषण पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है. इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया हैं, जहां आज भी बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं, जो उनकी मौत कारण बन रहा है. इसी रिपोर्ट का ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कुपोषण के खिलाफ अभियान चलान के लिए कहा था. उत्तराखंड सरकार ने 3 सितंबर से 30 सितंबर तक 'हर घर पोषण का व्यवहार' मासिक अभियान चलाया था.

पढ़ें- डेंगू पर सियासत: सरकार के खिलाफ उपवास पर बैठीं इंदिरा हृदयेश, लगाए गंभीर आरोप

इस अभियान के बारे में महिला कल्याण एंव बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि कुपोषण के खिलाफ प्रदेशभर में 1 से 30 सितंबर तक अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत प्रदेश के अधिकारियों और माननीयों को एक अति कुपोषित बच्चे की जिम्मेदारी दी गई थी. जिसमें अधिकारी अति कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उसकी डाइट का पूरा ध्यान रखेंगे. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ऐसे एक बच्ची को गोद लिया था. ये कार्यक्रम में सभी सभी जिलों में किया गया था.

पढ़ें- अजय भट्ट की नेता प्रतिपक्ष को नसीहत, बोले- उपवास पर बैठकर डेंगू से नहीं निपटा जा सकता, कोई सुझाव है तो दें

प्रदेशभर के कार्यक्रम

  • फर्स्ट गोल्ड इन 10 डेज के तहत प्रदेश भर में 36,616 कार्यक्रम को कराया गया. जिसमें लगभग 10,16,220 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • एनीमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 11,314 कार्यक्रम कराए गए थे. जिसमें लगभग 4,60,498 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • डायरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 13,833 कार्यक्रम कराए गए. जिसमें लगभग 2,94,945 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 20,752 कार्यक्रम चलाए गए. जिसमें लगभग 4,83,387 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • पोषण आहार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 18,113 कार्यक्रम चलाए गए. जिसमें लगभग 3,76,362 लोगों ने प्रतिभाग किया था. .
  • इसके साथ ही महिलाओं और युवाओं को जागरूक करने को लेकर प्रदेश भर में 4885 अभियान भी चलाए गए थे जिसमें लगभग 139678 लोगों ने प्रतिभाग किया था.

जिलेवार चलाए गए कार्यक्रम

  • अल्मोड़ा जिले के 11 ब्लॉकों में 1163 कार्यक्रम किए गए.
  • बागेश्वर जिले के 3 ब्लॉकों में 909 कार्यक्रम किए गए.
  • चमोली जिले के 9 ब्लॉकों में 1194 कार्यक्रम किए गए.
  • चंपावत जिले के 4 ब्लॉकों में 210 कार्यक्रम किए गए.
  • देहरादून जिले के 7 ब्लॉकों में 12632 कार्यक्रम किए गए.
  • हरिद्वार जिले के 11 ब्लॉकों में 8406 कार्यक्रम किए गए.
  • नैनीताल जिले के 9 ब्लॉकों में 1755 कार्यक्रम किए गए.
  • पौड़ी गढ़वाल जिले के 15 ब्लॉकों में 19008 कार्यक्रम किए गए.
  • पिथौरागढ़ जिले के 8 ब्लॉकों में 12852 कार्यक्रम किए गए.
  • रुद्रप्रयाग जिले के 3 ब्लॉकों में 1083 कार्यक्रम किए गए.
  • टिहरी गढ़वाल जिले के 9 ब्लॉकों में 3013 कार्यक्रम किए गए.
  • उधम सिंह नगर जिले के 10 ब्लॉकों में 9751 कार्यक्रम किए गए.
  • उत्तरकाशी जिले के 6 ब्लॉकों में 1726 कार्यक्रम किए गए.

देहरादून: देश को कुपोषण से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने एक मुहिम के तहत अभियान चलाया था. वहीं उत्तराखंड सरकार ने भी कुपोषण के खिलाफ 3 सितंबर को हर घर पोषण का व्यवहार कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत प्रदेशभर के सभी जिलों में पोषण रैली, एनीमिया से बचाव के लिए जानकारियां देने के साथ ही डायरिया बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए गए. ये सभी कार्यक्रम में प्रदेश में करीब एक महीने तक चलाए गए.

जानकारी सचिव देती हुई सचिव सौजन्या

कुपोषण पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है. इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया हैं, जहां आज भी बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं, जो उनकी मौत कारण बन रहा है. इसी रिपोर्ट का ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कुपोषण के खिलाफ अभियान चलान के लिए कहा था. उत्तराखंड सरकार ने 3 सितंबर से 30 सितंबर तक 'हर घर पोषण का व्यवहार' मासिक अभियान चलाया था.

पढ़ें- डेंगू पर सियासत: सरकार के खिलाफ उपवास पर बैठीं इंदिरा हृदयेश, लगाए गंभीर आरोप

इस अभियान के बारे में महिला कल्याण एंव बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि कुपोषण के खिलाफ प्रदेशभर में 1 से 30 सितंबर तक अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत प्रदेश के अधिकारियों और माननीयों को एक अति कुपोषित बच्चे की जिम्मेदारी दी गई थी. जिसमें अधिकारी अति कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उसकी डाइट का पूरा ध्यान रखेंगे. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ऐसे एक बच्ची को गोद लिया था. ये कार्यक्रम में सभी सभी जिलों में किया गया था.

पढ़ें- अजय भट्ट की नेता प्रतिपक्ष को नसीहत, बोले- उपवास पर बैठकर डेंगू से नहीं निपटा जा सकता, कोई सुझाव है तो दें

प्रदेशभर के कार्यक्रम

  • फर्स्ट गोल्ड इन 10 डेज के तहत प्रदेश भर में 36,616 कार्यक्रम को कराया गया. जिसमें लगभग 10,16,220 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • एनीमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 11,314 कार्यक्रम कराए गए थे. जिसमें लगभग 4,60,498 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • डायरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 13,833 कार्यक्रम कराए गए. जिसमें लगभग 2,94,945 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 20,752 कार्यक्रम चलाए गए. जिसमें लगभग 4,83,387 लोगों ने प्रतिभाग किया था.
  • पोषण आहार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 18,113 कार्यक्रम चलाए गए. जिसमें लगभग 3,76,362 लोगों ने प्रतिभाग किया था. .
  • इसके साथ ही महिलाओं और युवाओं को जागरूक करने को लेकर प्रदेश भर में 4885 अभियान भी चलाए गए थे जिसमें लगभग 139678 लोगों ने प्रतिभाग किया था.

जिलेवार चलाए गए कार्यक्रम

  • अल्मोड़ा जिले के 11 ब्लॉकों में 1163 कार्यक्रम किए गए.
  • बागेश्वर जिले के 3 ब्लॉकों में 909 कार्यक्रम किए गए.
  • चमोली जिले के 9 ब्लॉकों में 1194 कार्यक्रम किए गए.
  • चंपावत जिले के 4 ब्लॉकों में 210 कार्यक्रम किए गए.
  • देहरादून जिले के 7 ब्लॉकों में 12632 कार्यक्रम किए गए.
  • हरिद्वार जिले के 11 ब्लॉकों में 8406 कार्यक्रम किए गए.
  • नैनीताल जिले के 9 ब्लॉकों में 1755 कार्यक्रम किए गए.
  • पौड़ी गढ़वाल जिले के 15 ब्लॉकों में 19008 कार्यक्रम किए गए.
  • पिथौरागढ़ जिले के 8 ब्लॉकों में 12852 कार्यक्रम किए गए.
  • रुद्रप्रयाग जिले के 3 ब्लॉकों में 1083 कार्यक्रम किए गए.
  • टिहरी गढ़वाल जिले के 9 ब्लॉकों में 3013 कार्यक्रम किए गए.
  • उधम सिंह नगर जिले के 10 ब्लॉकों में 9751 कार्यक्रम किए गए.
  • उत्तरकाशी जिले के 6 ब्लॉकों में 1726 कार्यक्रम किए गए.
Intro:summary-कुपोषण मुक्त अभियान के तहत प्रदेश के लाखों लोगों तक पहुंची उत्तराखंड सरकार


देश को कुपोषण मुक्त करने को लेकर केंद्र सरकार ने देश भर में कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाने की माहिम शुरू की थी.. जिसके तहत उत्तराखंड राज्य में 3 सितंबर से मासिक थीम पर आधारित "हर घर पोषण का व्यवहार" कार्यक्रम शुरू किया था।
इस अभियान के तहत प्रदेशभर के सभी जिलों में पोषण रैली, एनीमिया से बचाव के लिए जानकारियां देने के साथ ही डायरिया बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम पोषण पंचायत का आयोजन समुदाय आधारित गतिविधि समेत तमाम कार्यक्रम चलाए गए थे।
आखिर क्या है इस अभियान की असल स्थिति देखी ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में...


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"हर घर पोषण का व्यवहार" मासिक से अभियान

देशभर में कुपोषण एक गंभीर समस्या की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है.. जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है.. इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया के बच्चे आज भी कुपोषण के शिकार होकर अपनी जान गंवा रहे हैं। अगर इन क्षेत्रों मे ध्यान दिया जाए तो जानकारी कम किए जा सकते हैं। इस गंभीर महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. जिस पर राज्यों ने अपना काम शुरू कर दिया है लिहाजा उत्तराखंड में 3 सितंबर से पूरे महीने के लिए "हर घर पोषण का व्यवहार" मासिक से अभियान चलाया गया हैं।


इस अभियान से जुड़े विषय में ज्यादा जानकारी देते हुए महिला कल्याण बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि 1 सितंबर से 30 सितंबर 2019 तक चले पोषण अभियान को प्रदेश भर में हर जिले में चलाया गया। जिसमें 5 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत यह अभियान को सफलतापूर्वक चलाया गया। इतना ही नहीं राज्य सरकार की तरफ से प्रदेश में गोद लेने का अभियान कार्यक्रम भी चलाया गया था.. जिसके तहत प्रदेश के अति कुपोषित बच्चों की जिम्मेदारी अधिकारियों द्वारा गोद लेकर पूरी की गई। अभी यह अभियान प्रदेश के सभी जिलों में जारी है।

बाइट -सौजन्या, सचिव ,महिला कल्याण एवं बाल विकास


उत्तराखंड शासन द्वारा चलाई गई कुपोषण मुक्त कार्यक्रम के आंकड़े इस प्रकार है..

1- "फर्स्ट गोल्ड इन 10 डेज" के तहत प्रदेश भर में 36,616 कार्यक्रम को कराया गया जिसमें लगभग 10,16,220 लोगों ने प्रतिभाग किया था.

2- एनीमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 11,314 कार्यक्रम कराए गए हैं जिसमें लगभग 4,60,498 लोगों ने प्रतिभाग किया।

3- डायरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 13,833 कार्यक्रम कराए गए जिसमें लगभग 2,94,945 लोगों ने प्रतिभाग किया।

4- स्वच्छता और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 20,752 कार्यक्रम कराए गए है जिसमें लगभग 4,83,387 लोगों ने प्रतिभाग किया।

5- पोषण आहार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में 18,113 कार्यक्रम चलाए गए हैं जिसमें लगभग 3,76,362 लोगों ने प्रतिभाग किया है।

6- इसके साथ ही महिलाओं और युवाओं को जागरूक करने को लेकर प्रदेश भर में 4885 अभियान भी चलाए गए थे जिसमें लगभग 139678 लोगों ने प्रतिभाग किया हैं।


Conclusion:जिलेवार कुपोषण मुक्त कराए गए कार्यक्रम....


1- अल्मोड़ा जिले में 11 ब्लॉकों में 1163 कार्यक्रम कराए गए।

2- बागेश्वर जिले के 3 ब्लॉकों में 909 कार्यक्रम कराए गए।

3- चमोली जिले के 9 ब्लॉकों में 1194 कार्यक्रम चलाए गए।

4- चंपावत जिले के 4 ब्लॉकों में 210 कार्यक्रम कराए गए।

5- देहरादून जिले के 7 ब्लॉकों में 12632 कार्यक्रम कराया जाए।

6- हरिद्वार जिले के 11 ब्लॉकों में 8406 कार्यक्रम कराए गए।

7- नैनीताल जिले के 9 ब्लॉकों में 1755 कार्यक्रम कराए गए।

8- पौड़ी गढ़वाल जिले के 15 ब्लॉकों में 19008 कार्यक्रम कराए गए।

9- पिथौरागढ़ जिले के 8 ब्लॉकों में 12852 कार्यक्रम कराए गए।

10- रुद्रप्रयाग जिले के 3 ब्लॉकों में 1083 कार्यक्रम कराए गए।

11- टिहरी गढ़वाल जिले के 9 ब्लॉकों में 3013 कार्यक्रम कराए गए।

12- उधम सिंह नगर जिले के 10 ब्लॉकों में 9751 कार्यक्रम कराए गए।

13- उत्तरकाशी जिले के 6 ब्लॉकों में 1726 कार्यक्रम कराए गए।
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