देहरादून: उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान संगीन अपराधों में 90 फीसदी की कमी आई है. लेकिन इस दौरान घरेलू हिंसा और सुसाइड के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. 22 मार्च से 11 मई तक प्रदेश में सुसाइड के कुल 45 मामले सामने आए हैं. जबकि सामान्य दिनों में 12 से 15 केस प्रतिमाह पुलिस के सामने आते थे.
देहरादून के मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते लोग अपने घरों में बंद हैं. जिसकी वजह से लोगों में तनाव और नेगेटिव सोच बढ़ गई है. नशा, नौकरी चलने जाने की समस्या, आर्थिक समस्या और पारिवारिक वजह के कारण सुसाइड केस में बढ़ोत्तरी हुई है. लॉकडाउन के कारण 14 वर्ष 40 वर्ष के लोग तनाव और गुस्से में आकर गलत कदम उठा रहे हैं.
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मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा का कहना है कि आध्यात्म के जरिए जीवन में तनाव से बचा जा सकता है. घरों में रहने के दौरान माता-पिता अपने जीवन के अनुभव बच्चों से शेयर कर उन्हें तनाव से बचाकर मानसिक तौर पर मजबूत बना सकते हैं.
लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि पुलिस सुसाइड केस में हो रही बढ़ोत्तरी का नजर रखे हुए है. लॉकडाउन के दौरान सुसाइड केस में अलग-अलग तरह के कारण सामने आए हैं. डीआईजी जोशी के मुताबिक, ज्यादातर नेगेटिव सोच वाला शख्स की सुसाइड की तरफ बढ़ता है. ऐसे में पुलिस और सामाजिक संगठनों को सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाने में काम करना होगा.