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Power Crisis से नहीं उबर पा रहा उत्तराखंड, आज केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मिलेंगे सीएम धामी - energy requirements

प्रदेश को बिजली संकट से उबारने के लगातार प्रयास हो रहे हैं. जिसको लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी केंद्र के सामने अपनी बात रखने वाले हैं. जिससे बिजली संकट से निजात मिलने की उम्मीद है. वहीं नए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा है.

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Published : Mar 10, 2023, 9:39 AM IST

Updated : Mar 10, 2023, 9:50 AM IST

ऊर्जा की जरूरतों को फिलहाल पूरा करने में सक्षम नहीं उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर पाने में फिलहाल राज्य सक्षम नहीं हो पा रहा है. इसमें सबसे बड़ी कमी उत्तराखंड जल विद्युत निगम के स्तर पर उत्पादन को ना बढ़ा पाने की भी दिखाई देती है. स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बार-बार दिल्ली जाकर ऊर्जा संकट के लिए केंद्र के सामने गुहार लगानी पड़ रही है. हालांकि इसके बावजूद करोड़ों रुपए की बिजली खरीदने के लिए राज्य मजबूर है.

अतिरिक्त बिजली की मांग: इन दिनों ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा, जब राज्य ने करोड़ों की बिजली ना खरीदी हो. केंद्र से 300 मेगावाट की बिजली अलॉट होने के बाद भी खुले बाजार से महंगी बिजली खरीदी जा रही है. उधर डिमांड बढ़ने के साथ हर दिन ऊर्जा संकट और भी ज्यादा बढ़ रहा है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब शुक्रवार यानी आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात कर अतिरिक्त बिजली की मांग करने वाले हैं. पहले ही 300 मेगावाट और 100 मेगावाट बिजली अतिरिक्त रूप से केंद्र की तरफ से अलॉट की गई है. लेकिन यह अतिरिक्त आवंटन भी राज्य के ऊर्जा संकट को खत्म नहीं कर पा रहा है. खुले बाजार से यदि बिजली ना खरीदी जाए तो राज्य विद्युत निगम बिजली कटौती के लिए मजबूर हो जाएगा.
पढ़ें-Power Crisis: ऊर्जा विभाग के इस फैसले से दूर होगा उत्तराखंड में बिजली संकट! दूसरे राज्यों से ट्रांसपोर्ट होगी 'पावर'

ऊर्जा सचिव ने क्या कहा: इस मामले पर ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि सर्दियों के मौसम में बारिश कम होने के कारण नदियों में जलस्तर कम रहा और इससे उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ा. 1 अप्रैल के बाद ग्लेशियर पिघलने के साथ ही नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा और इससे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में उत्पादन सामान्य हो जाएगा जो कि फिलहाल सामान्य से भी कम चल रहा है. ऊर्जा सचिव ने कहा कि राज्य में फिर भी बिजली की कमी रहेगी और सामान्य समय में 500 मेगावाट की बिजली की कमी हो सकती है. वहीं पीक आवर यानी जब सबसे अधिक जरूरत बिजली की होती है, उस समय यह कमी 800 मेगावाट तक बढ़ सकती है. इसके लिए शॉर्ट टर्म टेंडर और मीडियम टर्म टेंडर करने के प्रयास हो रहे हैं. उधर भारत सरकार से भी और मदद की मांग की जा रही है.

हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ लोगों में गुस्सा: हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के क्षेत्र में उत्तराखंड हमेशा खुद को बेहतर हालातों में देखता रहा है. राज्य की प्राकृतिक संपदा पर गर्व भी करता रहा है. लेकिन इतना होने के बावजूद भी उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट से मिलने वाली बिजली मामूली ही दिखाई देती है. इसको लेकर सचिव ऊर्जा मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि राज्य में व्यासी प्रोजेक्ट पिछले साल शुरू कर दिया गया था. उधर अब लखवार पर भी काम शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं किसाऊ प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू करने की कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि वह कहते हैं कि तमाम आपदाओं के कारण तमाम प्रोजेक्ट को नुकसान हुआ है. ऐसी स्थिति में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ लोगों का जो गुस्सा और माहौल बना है, उससे भी दिक्कत आयी हैं.

ऊर्जा की जरूरतों को फिलहाल पूरा करने में सक्षम नहीं उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर पाने में फिलहाल राज्य सक्षम नहीं हो पा रहा है. इसमें सबसे बड़ी कमी उत्तराखंड जल विद्युत निगम के स्तर पर उत्पादन को ना बढ़ा पाने की भी दिखाई देती है. स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बार-बार दिल्ली जाकर ऊर्जा संकट के लिए केंद्र के सामने गुहार लगानी पड़ रही है. हालांकि इसके बावजूद करोड़ों रुपए की बिजली खरीदने के लिए राज्य मजबूर है.

अतिरिक्त बिजली की मांग: इन दिनों ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा, जब राज्य ने करोड़ों की बिजली ना खरीदी हो. केंद्र से 300 मेगावाट की बिजली अलॉट होने के बाद भी खुले बाजार से महंगी बिजली खरीदी जा रही है. उधर डिमांड बढ़ने के साथ हर दिन ऊर्जा संकट और भी ज्यादा बढ़ रहा है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब शुक्रवार यानी आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात कर अतिरिक्त बिजली की मांग करने वाले हैं. पहले ही 300 मेगावाट और 100 मेगावाट बिजली अतिरिक्त रूप से केंद्र की तरफ से अलॉट की गई है. लेकिन यह अतिरिक्त आवंटन भी राज्य के ऊर्जा संकट को खत्म नहीं कर पा रहा है. खुले बाजार से यदि बिजली ना खरीदी जाए तो राज्य विद्युत निगम बिजली कटौती के लिए मजबूर हो जाएगा.
पढ़ें-Power Crisis: ऊर्जा विभाग के इस फैसले से दूर होगा उत्तराखंड में बिजली संकट! दूसरे राज्यों से ट्रांसपोर्ट होगी 'पावर'

ऊर्जा सचिव ने क्या कहा: इस मामले पर ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि सर्दियों के मौसम में बारिश कम होने के कारण नदियों में जलस्तर कम रहा और इससे उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ा. 1 अप्रैल के बाद ग्लेशियर पिघलने के साथ ही नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा और इससे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में उत्पादन सामान्य हो जाएगा जो कि फिलहाल सामान्य से भी कम चल रहा है. ऊर्जा सचिव ने कहा कि राज्य में फिर भी बिजली की कमी रहेगी और सामान्य समय में 500 मेगावाट की बिजली की कमी हो सकती है. वहीं पीक आवर यानी जब सबसे अधिक जरूरत बिजली की होती है, उस समय यह कमी 800 मेगावाट तक बढ़ सकती है. इसके लिए शॉर्ट टर्म टेंडर और मीडियम टर्म टेंडर करने के प्रयास हो रहे हैं. उधर भारत सरकार से भी और मदद की मांग की जा रही है.

हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ लोगों में गुस्सा: हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के क्षेत्र में उत्तराखंड हमेशा खुद को बेहतर हालातों में देखता रहा है. राज्य की प्राकृतिक संपदा पर गर्व भी करता रहा है. लेकिन इतना होने के बावजूद भी उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट से मिलने वाली बिजली मामूली ही दिखाई देती है. इसको लेकर सचिव ऊर्जा मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि राज्य में व्यासी प्रोजेक्ट पिछले साल शुरू कर दिया गया था. उधर अब लखवार पर भी काम शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं किसाऊ प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू करने की कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि वह कहते हैं कि तमाम आपदाओं के कारण तमाम प्रोजेक्ट को नुकसान हुआ है. ऐसी स्थिति में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ लोगों का जो गुस्सा और माहौल बना है, उससे भी दिक्कत आयी हैं.

Last Updated : Mar 10, 2023, 9:50 AM IST
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