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मां धारी देवी के चित्र वाले विशेष डाक लिफाफों का अनावरण, उत्कृष्ट कर्मचारियों का हुआ सम्मान - DHARI DEVI SPECIAL COVER

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल इलाके में एक प्राचीन सिद्धपीठ 'धारी देवी' मंदिर है. इसे 'दक्षिणी काली माता' के रूप में भी पूजा जाता है.

DHARI DEVI SPECIAL COVER
मां धारी देवी पर विशेष डाक लिफाफा (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 25, 2025, 2:42 PM IST

श्रीनगर: डाक विभाग द्वारा नगर क्षेत्र में डाक चौपाल और धारी देवी विशेष आवरण के अनावरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पौड़ी जनपद के उन कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने इस वर्ष विभाग की आय बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान दिया. ऐसा पहली बार हुआ जब मां धारी देवी मंदिर को डाक विभाग द्वारा लिफाफों के आवरण पर जगह दी गयी है.

डाक विभाग ने किया धारी देवी विशेष आवरण का अनावरण: डाक निदेशक अनुसूया प्रसाद चमोला, महापौर आरती भंडारी और धारी देवी मंदिर समिति के पुजारियों ने संयुक्त रूप से धारी देवी मंदिर के विशेष डाक आवरण का अनावरण किया. निदेशक चमोला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि धारी देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण सिद्धपीठ है. इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए डाक विभाग ने 2000 विशेष डाक आवरण जारी किए हैं. उन्होंने डाक सेवकों से विभाग की योजनाओं को सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक पहुंचाने की अपील की.

श्रीनगर नगर निगम की मेयर ने बताया सुखद संदेश: महापौर आरती भंडारी ने कहा कि धारी देवी विशेष आवरण का विमोचन क्षेत्र के लिए एक सुखद संदेश है. इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा, बल्कि देश-विदेश में भी मां धारी देवी की पहचान और भी व्यापक होगी.

सेवाओं को बेहतर कर रहा है डाक विभाग: डाक अधीक्षक दीपक शर्मा ने बताया कि विभाग लगातार अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है. आधार सेंटर से जोड़ने की योजना पर भी काम किया जा रहा है. हम डाक विभाग की जन उपयोगी योजनाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल इलाके में मां धारी देवी का मंदिर है. ये प्राचीन सिद्धपीठ 'धारी देवी' मंदिर है. धारी देवी की 'दक्षिणी काली माता' के रूप में भी पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि मां धारी देवी उत्तराखंड के चारों धामों की रक्षा करती हैं. ऐसी भी मान्यता है कि मां धारी देवी रोज दिन में तीन रूप बदलती हैं. सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा के रूप में मां दर्शन देती हैं.

द्वापर कालीन धार गांव से मंदिर का नाम पड़ा धारी देवी: गढ़वाल के केंद्र श्रीनगर से 14 किलोमीटर आगे अलकनंदा नदी के बीचों-बीच धारी देवी का मंदिर मौजूद है. इसे मां धारी देवी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.
ये भी पढ़ें: रहस्यमयी है धारी देवी मंदिर, जहां देवी बदलती हैं अपना स्वरूप, जानिए मंदिर की महिमा

श्रीनगर: डाक विभाग द्वारा नगर क्षेत्र में डाक चौपाल और धारी देवी विशेष आवरण के अनावरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पौड़ी जनपद के उन कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने इस वर्ष विभाग की आय बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान दिया. ऐसा पहली बार हुआ जब मां धारी देवी मंदिर को डाक विभाग द्वारा लिफाफों के आवरण पर जगह दी गयी है.

डाक विभाग ने किया धारी देवी विशेष आवरण का अनावरण: डाक निदेशक अनुसूया प्रसाद चमोला, महापौर आरती भंडारी और धारी देवी मंदिर समिति के पुजारियों ने संयुक्त रूप से धारी देवी मंदिर के विशेष डाक आवरण का अनावरण किया. निदेशक चमोला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि धारी देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण सिद्धपीठ है. इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए डाक विभाग ने 2000 विशेष डाक आवरण जारी किए हैं. उन्होंने डाक सेवकों से विभाग की योजनाओं को सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक पहुंचाने की अपील की.

श्रीनगर नगर निगम की मेयर ने बताया सुखद संदेश: महापौर आरती भंडारी ने कहा कि धारी देवी विशेष आवरण का विमोचन क्षेत्र के लिए एक सुखद संदेश है. इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा, बल्कि देश-विदेश में भी मां धारी देवी की पहचान और भी व्यापक होगी.

सेवाओं को बेहतर कर रहा है डाक विभाग: डाक अधीक्षक दीपक शर्मा ने बताया कि विभाग लगातार अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है. आधार सेंटर से जोड़ने की योजना पर भी काम किया जा रहा है. हम डाक विभाग की जन उपयोगी योजनाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल इलाके में मां धारी देवी का मंदिर है. ये प्राचीन सिद्धपीठ 'धारी देवी' मंदिर है. धारी देवी की 'दक्षिणी काली माता' के रूप में भी पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि मां धारी देवी उत्तराखंड के चारों धामों की रक्षा करती हैं. ऐसी भी मान्यता है कि मां धारी देवी रोज दिन में तीन रूप बदलती हैं. सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा के रूप में मां दर्शन देती हैं.

द्वापर कालीन धार गांव से मंदिर का नाम पड़ा धारी देवी: गढ़वाल के केंद्र श्रीनगर से 14 किलोमीटर आगे अलकनंदा नदी के बीचों-बीच धारी देवी का मंदिर मौजूद है. इसे मां धारी देवी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.
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