बैंकॉक : पिछले साल वार्ता विफल होने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा प्रकृति संरक्षण सम्मेलन मंगलवार को फिर से शुरू होगा. बैठक के प्रमुख ने चेतावनी दी कि बढ़ता वैश्विक 'ध्रुवीकरण' पृथ्वी की रक्षा के प्रयासों को निराश कर रहा है.
प्रकृति पर एक ऐतिहासिक समझौते के दो वर्ष से अधिक समय बीत गए लेकिन विनाश को रोकने के लिए आवश्यक धनराशि पर बहस जारी है. इस समझौते के तहत 2030 तक विश्व की 30 प्रतिशत भूमि और समुद्र को संरक्षित करने का संकल्प लिया गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे दस लाख प्रजातियों को खतरा है.
इस सप्ताह रोम में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन मुख्यालय में होने वाली वार्ताकारों की बैठक का कार्य धनी और विकासशील देशों के बीच फंडिंगा पर गतिरोध को तोड़ना है. इसी मुद्दे पर नवंबर में कोलंबिया के कैली में आयोजित सीओपी-16 (COP16) वार्ता बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई थी.
कोलंबिया की पर्यावरण मंत्री सुजाना मोहम्मद ने कहा कि देशों को जैव विविधता के नुकसान और जलवायु परिवर्तन के इन अस्तित्व संबंधी संकटों को काफी हद तक संबोधित करने की आवश्यकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि कोलंबिया के कैली में वार्ता प्रगति में अंतरराष्ट्रीय मतभेदों के कारण बाधित हुई.
सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर हमारे बीच इतना ध्रुवीकरण क्यों है? मेरे विचार से इसका संबंध भू-राजनीति में सत्ता के बदलते परिदृश्य से है. इसका संबंध उन आवश्यकताओं से भी है जो सशस्त्र संघर्ष देशों के वित्त पर डाल रहे हैं.' मोहम्मद ने विशेष विवरण तो नहीं बताया लेकिन कहा कि धनी देशों के नीति-निर्माताओं को व्यापार तनाव से लेकर यूक्रेन में युद्ध तक की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
फंडिंग विवाद
मोहम्मद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कैली की बैठक के बाद से हुई चर्चाओं से रोम में समाधान के लिए आधार तैयार करने में मदद मिली है. देशों के पास 2030 तक प्रकृति के लिए प्रति वर्ष 200 बिलियन डॉलर के फंडिंग के वादे को पूरा करने के लिए योजना तैयार करने के लिए गुरुवार तक का समय है. इसमें अमीर देशों द्वारा गरीब देशों को प्रति वर्ष 30 बिलियन डॉलर की सहायता शामिल है.
कैली में विवाद मुख्यतः धन वितरण के तरीके को लेकर था. विकासशील देश एक नए समर्पित जैवविविधता कोष का निर्माण चाहते हैं, क्योंकि उनका कहना है कि मौजूदा तंत्र में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. विकासशील देशों का नेतृत्व ब्राजील और अफ्रीकी समूह कर रहे हैं. धनी राष्ट्रों जैसे यूरोपीय संघ, जापान और कनाडा का कहना है कि अनेक कोषों की स्थापना से सहायता में विभाजन होगा.
पर्यवेक्षक इस बात पर बारीकी से नजर रखेंगे कि क्या फ्रांस और जर्मनी जैसे विकसित देश जो बजट संकट से जूझ रहे उन्हें इस पर सहमत होने के लिए राजी किया जा सकता है. 2022 में राष्ट्रों ने दशक के भीतर प्राप्त किये जाने वाले 23 लक्ष्यों की पहचान की, जो पृथ्वी और उसके जीवित प्राणियों को वनों की कटाई, संसाधनों के अति-दोहन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और आक्रामक प्रजातियों से बचाने के लिए बनाए गए हैं.
वैज्ञानिकों ने पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र के जैव विविधता विशेषज्ञ पैनल के लिए प्रस्तुत एक ऐतिहासिक रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि प्रकृति के इस विनाश के वास्तविक परिणाम को अक्सर छिपाया जाता है या नजरअंदाज कर दिया जाता है. उन्होंने अनुमान लगाया कि जीवाश्म ईंधन, कृषि और मत्स्य पालन से प्रति वर्ष 25 ट्रिलियन डॉलर तक की लागत आ सकती है जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई के बराबर है.
नवंबर में अजरबैजान में सीओपी 29 (COP29) में जलवायु वित्त समझौते को विकासशील देशों द्वारा निराशाजनक बताया गया था. वहीं दिसंबर में सऊदी अरब द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र वार्ता बैठक में वार्ताकार सूखे का जवाब देने के तरीके पर एक समझौते पर पहुंचने में विफल रहे थे. देशों के बीच मतभेद के कारण दिसंबर में दक्षिण कोरिया के बुसान में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए दुनिया की पहली संधि पर बातचीत भी रुक गई थी.