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REALITY CHECK 4: सारी सुविधाओं के बाद भी रैन बसेरों का रुख क्यों नहीं कर रहे जरूरतमंद? - देहरादून में ग्राउंड रिपोर्ट

मूलभूत सुविधाओं के बाद भी राजधानी दून के रैन बसेरे इन दिनों खाली पड़े हैं. आखिर क्या वजह है जो लोग इन रैन बसेरों में रहना नहीं चाहते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून के घंटाघर, सहस्त्रधारा, ट्रांसपोर्ट नगर और पटेलनगर इलाके के लालपुर के करीब बनाए गये रैन बसेरों के हालातों का जायजा लिया. टीम ने जब राजधानी के रैन बसेरों का रुख किया तो काफी चौंकाने वाले मामले सामने आए.

night shelter home
रैन बसेरों का हाल.
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Published : Dec 28, 2019, 6:04 PM IST

Updated : Dec 28, 2019, 6:30 PM IST

देहरादून: सर्दी की रात का सितम कितना कष्टदायक होती है, इसे खुले आसमान में रात गुजारने वाले से ज्यादा कौन समझ सकता है. खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते लोगों को देख कर आप सिहर उठेंगे. जिनके पास ठंड से बचने के लिए एक कंबल के सिवा कुछ नहीं होता. जिनका हाल शहर के चौक-चौराहों पर अमूमन देखने को मिल जाता है. वहीं, प्रदेश सरकार गरीबों की मदद के लिए आगे तो आती है, लेकिन बहुत कम लोग ही इन सुविधाओं का लाभ उठा पाते हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर सरकार के द्वारा पर्याप्त सुविधाओं के दावे के बाद भी लोग उनका लाभ क्यों नहीं ले पाते हैं, देखिए रैन बसेरों पर ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.

रैन बसेरों के हालात पर ईटीवी भारत का REALITY CHECK.

ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून के घंटाघर, सहस्त्रधारा, ट्रांसपोर्ट नगर और पटेलनगर इलाके के लालपुर के करीब बनाए गये रैन बसेरों के हालातों का जायजा लिया. टीम ने जब राजधानी के रैन बसेरों का रुख किया तो काफी चौंकाने वाले मामले सामने आए.

night shelter home
रैन बसेरा.

दून के पटेलनगर क्षेत्र में नगर निगम द्वारा संचालित रैन बसेरा में भले ही डेढ़ सौ से अधिक लोगों के रहने की ठंड में पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद प्रचार-प्रसार व जानकारियों के अभाव में इस रैन बसेरे में बमुश्किल ही 5 से 10 लोग ही कड़ाके की ठंड में रात को छत का सहारा ढूंढते हुए पहुंचते थे.

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पटेलनगर इलाके के रैन बसेरे का हाल.

वहीं, जब हमारी टीम लालपुल के समीप स्थित रैन बसेरे में पहुंची तो हैरान करने वाली बात सामने आई. यहां एक बड़े हॉल में खानाबदोश लोगों का सामान तो कई दिनों से रखा मिला, लेकिन वो यहां रहते हुए नहीं दिखाई दिए. जब इस बारे में कर्मचारी से बात की गई तो पता लगा कि पिछले 3 महीने से रैन बसेरे के एक बड़े हॉल पर सड़क किनारे रहने वाले बागड़ियों का सामान मेयर की अनुमति से रखा गया है, लेकिन वो न तो सामान यहां से हटाते हैं और न ही यहां रात गुजारने आते हैं. इस तरह के कब्जों से भी रैन बसेरे में साफ-सफाई को लेकर अन्य तरह भी समस्याएं आ रही हैं.

night shelter home
रैन बसेरे के बाहर आग सेकते जरूरतमंद.

ये भी पढ़ें: REALITY CHECK 1: दून में रैन बसेरों के हालात तो बेहतर लेकिन महिलाओं के लिये जगह नहीं

साथ ही वहां लोगों से न रहने का कारण पूछा तो पता चला कि ठंड से बचने के लिए बिस्तर और अन्य व्यवस्था तो जरूर हैं, लेकिन यहां न रहने का प्रमुख कारण नहाने के लिए गर्म पानी न होना और लोगों में जागरुकता की कमी है. वहीं, शहर के अन्य 3 रैन बसेरों की तरह यहां भी महिलाओं और बच्चों के लिए अलग से रात गुजारने की व्यवस्था नहीं है. इस कारण कई गरीब लोग इन सुविधाओं का लाभ न लेकर सड़क किनारे रात गुजारने को मजबूर हैं.

इसके बाद टीम ने रैन बसेरों में काम करने वाले कर्मचारियों से बात की तो उनका कहना है कि पिछले साल तक यहां बाहरी राज्य से आने वाले यात्री, स्टूडेंट्स, मजदूर लोग रात गुजारने पहुंचते थे. लेकिन इस बार कम ही लोग यहां ठंड से बचने के लिए पहुंच रहे हैं. नगर निगम द्वारा रैन बसेरा की देखभाल कर रहे कर्मचारी ने ये भी बताया कि गर्म पानी को छोड़कर यहां सभी तरह की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. उसके बावजूद ये समझ से परे है कि क्यों लोग यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं.

देहरादून: सर्दी की रात का सितम कितना कष्टदायक होती है, इसे खुले आसमान में रात गुजारने वाले से ज्यादा कौन समझ सकता है. खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते लोगों को देख कर आप सिहर उठेंगे. जिनके पास ठंड से बचने के लिए एक कंबल के सिवा कुछ नहीं होता. जिनका हाल शहर के चौक-चौराहों पर अमूमन देखने को मिल जाता है. वहीं, प्रदेश सरकार गरीबों की मदद के लिए आगे तो आती है, लेकिन बहुत कम लोग ही इन सुविधाओं का लाभ उठा पाते हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर सरकार के द्वारा पर्याप्त सुविधाओं के दावे के बाद भी लोग उनका लाभ क्यों नहीं ले पाते हैं, देखिए रैन बसेरों पर ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.

रैन बसेरों के हालात पर ईटीवी भारत का REALITY CHECK.

ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून के घंटाघर, सहस्त्रधारा, ट्रांसपोर्ट नगर और पटेलनगर इलाके के लालपुर के करीब बनाए गये रैन बसेरों के हालातों का जायजा लिया. टीम ने जब राजधानी के रैन बसेरों का रुख किया तो काफी चौंकाने वाले मामले सामने आए.

night shelter home
रैन बसेरा.

दून के पटेलनगर क्षेत्र में नगर निगम द्वारा संचालित रैन बसेरा में भले ही डेढ़ सौ से अधिक लोगों के रहने की ठंड में पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद प्रचार-प्रसार व जानकारियों के अभाव में इस रैन बसेरे में बमुश्किल ही 5 से 10 लोग ही कड़ाके की ठंड में रात को छत का सहारा ढूंढते हुए पहुंचते थे.

night shelter home
पटेलनगर इलाके के रैन बसेरे का हाल.

वहीं, जब हमारी टीम लालपुल के समीप स्थित रैन बसेरे में पहुंची तो हैरान करने वाली बात सामने आई. यहां एक बड़े हॉल में खानाबदोश लोगों का सामान तो कई दिनों से रखा मिला, लेकिन वो यहां रहते हुए नहीं दिखाई दिए. जब इस बारे में कर्मचारी से बात की गई तो पता लगा कि पिछले 3 महीने से रैन बसेरे के एक बड़े हॉल पर सड़क किनारे रहने वाले बागड़ियों का सामान मेयर की अनुमति से रखा गया है, लेकिन वो न तो सामान यहां से हटाते हैं और न ही यहां रात गुजारने आते हैं. इस तरह के कब्जों से भी रैन बसेरे में साफ-सफाई को लेकर अन्य तरह भी समस्याएं आ रही हैं.

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रैन बसेरे के बाहर आग सेकते जरूरतमंद.

ये भी पढ़ें: REALITY CHECK 1: दून में रैन बसेरों के हालात तो बेहतर लेकिन महिलाओं के लिये जगह नहीं

साथ ही वहां लोगों से न रहने का कारण पूछा तो पता चला कि ठंड से बचने के लिए बिस्तर और अन्य व्यवस्था तो जरूर हैं, लेकिन यहां न रहने का प्रमुख कारण नहाने के लिए गर्म पानी न होना और लोगों में जागरुकता की कमी है. वहीं, शहर के अन्य 3 रैन बसेरों की तरह यहां भी महिलाओं और बच्चों के लिए अलग से रात गुजारने की व्यवस्था नहीं है. इस कारण कई गरीब लोग इन सुविधाओं का लाभ न लेकर सड़क किनारे रात गुजारने को मजबूर हैं.

इसके बाद टीम ने रैन बसेरों में काम करने वाले कर्मचारियों से बात की तो उनका कहना है कि पिछले साल तक यहां बाहरी राज्य से आने वाले यात्री, स्टूडेंट्स, मजदूर लोग रात गुजारने पहुंचते थे. लेकिन इस बार कम ही लोग यहां ठंड से बचने के लिए पहुंच रहे हैं. नगर निगम द्वारा रैन बसेरा की देखभाल कर रहे कर्मचारी ने ये भी बताया कि गर्म पानी को छोड़कर यहां सभी तरह की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. उसके बावजूद ये समझ से परे है कि क्यों लोग यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं.

Intro:pls नोट डेस्क- इस स्टोरी के विजुअल्स one to one ओपनिंग पीटीसी सभी कुछ FTP से भेजे गए हैं फोल्डर - uk_deh_01_patel_nager_ren_basera_reality_check_pkg_vis_7200628


summary-150 लोगों की व्यवस्था वाले पटेल नगर रैन बसेरा में कोई आकर राजी नहीं, प्रचार प्रसार की कमी के चलते रैन बसेरा की कम लोगों को जानकारी, सड़क पर रहने वाले खानाबदोश लोगों के सामान से भरा रेन बसेरा का हाल।


देहरादून के सबसे व्यस्ततम रहने वाले पटेलनगर क्षेत्र में नगर निगम द्वारा संचालित रैन बसेरा में भले ही डेढ़ सौ से अधिक लोगों के रहने की ठंड में पर्याप्त व्यवस्था हैं,लेकिन इसके बावजूद प्रचार-प्रसार व जानकारियों के अभाव में इस रेन बसेरे में मुश्किल से 5 से 10 लोग ही कड़ाके की ठंड में रात को छत का सहारा ढूंढते हुए पहुंचते हैं।
लालपुल के समीप स्थित इस रेन बसेरे में हैरान करने वाली बात यह सामने आई कि, यहां एक बड़े से हॉल में सड़क किनारे जिंदगी गुजर बसर करने वाले खानाबदोश लोगों के भारी मात्रा बोरी बिस्तर वाला सामान तो तीन महीनों से रखा है,लेकिन वह यहां रहते नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर करोड़ों रुपए की लागत से निर्माणाधीन इन रैन बसेरों में जरूरतमंद लोग क्यों नहीं पहुंच पा रहे हैं। वही शहर के अन्य 3 रैन बसेरों की तरह यहां भी महिलाओं को बच्चों के लिए अलग से रात गुजारने की व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते सड़क पर कड़कड़ाती ठंड में गुजर बसर करने वाले यह नहीं पहुंच पा रहे।

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Body:रैन बसेरे में ठंड की पर्याप्त व्यवस्थाएं होने के बावजूद लोगों को ना आना, बड़ा सवाल?

ईटीवी भारत टीम ने जब घंटाघर सहस्त्रधारा ट्रांसपोर्ट नगर और उसके बाद जब पटेलनगर इलाकें के लालपुर के करीब रैन बसेरा हालातों का जायजा लिया तो देखा गया कि हड्डी गला देने वाली कड़ाके की ठंड में रात गुजारने के लिए अलाव के साथ ही डेढ़ सौ से अधिक लोगों की रहने की प्रयाग व्यवस्था है,लेकिन यहां मुश्किल से ही 5 से 10 लोग ही दिन ढलने के बाद छत का आसरा ढूंढते हुए पहुंचते हैं। ईटीवी भारत ने जब यहां रात गुजार रहे कुछ लोगों से बातचीत की तो उनका कहना था कि ठंड से बचने के लिए बिस्तर व अन्य व्यवस्था तो जरूर यहां मुकम्मल है लेकिन नहाने के लिए पानी गर्म ना होने की वजह से कुछ थोड़ी बहुत समस्या जरूर है।


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Conclusion:रैन बसेरे में खानाबदोश लोगों के सामानों से कब्जा

वही ईटीवी भारत ने जब पटेल नगर के रैन बसेरा को देखभाल करने वाले कर्मचारियों से बातचीत की तो उनका कहना था कि, पिछले वर्ष तक यहां भारी राज्य से आने वाले यात्री ,स्टूडेंट्स मजदूर व अन्य तरह के कामकाजी तरह के लोग यहां जरूर रात गुजारने पहुंचते थे,लेकिन इस बार कम ही लोग यहां ठंड से बचने के लिए पहुंच रहे। वही नगर निगम द्वारा रैन बसेरा की देखभाल कर रहे कर्मचारी ने यह भी बताया कि डेट शो लोगो कि रात गुजारने के लिए गरम पानी को छोड़कर सभी तरह की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं उसके बावजूद यह समझ से परे है कि क्यों लोग यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं। उधर निगम कर्मचारियों ने बताया कि पिछले 3 महीने से रेन बसेरे की एक बड़े हॉल पर सड़क पर जिंदगी गुजर बसर करने वाले बागड़ियों का भारी मात्रा में सामान मेयर की अनुमति से रखा जरूर रखा गया है, लेकिन वह ना तो सामान को यहाँ हटाते हैं और ना ही यहां रात गुजारने आते हैं। ऐसे में इस तरह की कब्जे से भी रैन बसेरे में साफ-सफाई को लेकर अन्य तरह भी समस्याएं आ रही है।

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Last Updated : Dec 28, 2019, 6:30 PM IST
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