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सालों से अधर में लटका इंदिरा मार्केट का री-डेवलपमेंट प्लान, टूटने लगा व्यापारियों का सब्र

बीते सात सालों से इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम अधूरा पड़ा है. जिसके कारण यहां के स्थानीय व्यापारियों के साथ ही सीटू से जुड़े लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मगर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी केवल आश्वासन देकर बातों से पीछा छुड़ाने की कोशिशों में लगे हैं.

work of re-development of Indira market was incomplete from  Seven years
सालों से अधर में लटका इंदिरा मार्केट का री- डेवलपमेंट प्लान
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Published : Dec 22, 2020, 7:29 PM IST

देहरादून: राजधानी के सबसे पुराने बाजारों में से एक इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम बीते 7 सालों से लंबित है. जिसके चलते अब यहां के व्यापारियों के सब्र का बांध टूटने लगा है. आज से 4 साल पूर्व यानी कि साल 2016 में पास में ही तैयार किए गए अस्थायी कॉन्प्लेक्स में यहां के व्यापारियों को शिफ्ट किया गया था. मगर आज सालों बीत जाने के बाद भी इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम पूरा नहीं हो पाया है.

अधर में लटका इंदिरा मार्केट का री-डेवलपमेंट प्लान

ईटीवी भारत से बात करते हुए इंदिरा मार्केट व्यापारी यूनियन के सचिव सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि पिछले लंबे समय से स्थानीय व्यापारी एमडीडीए प्रशासन से इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट कार्य को शुरू करने की गुहार लगा रहे हैं. मगर एमडीडीए प्रशासन की ओर से किसी तरह का कोई उचित जवाब नहीं दिया जा रहा है.

पढ़ें-एंबुलेंस की राह होगी आसान, रास्ता न देने वालों पर कड़ी कार्रवाई

जिसकी वजह से स्थानीय व्यापारियों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ जिन व्यापारियों को री-डेवलपमेंट के कार्य के चलते साल 2016 में पास में तैयार किए गए अस्थायी कॉन्प्लेक्स में शिफ्ट किया गया है, उन्हें भी अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पढ़ें-शिक्षा मंत्री पर चूड़ी फेंकने के मामले ने पकड़ा तूल, आमने-सामने हुई बीजेपी और कांग्रेस

यह है इंदिरा मार्केट री- डेवलपमेंट प्लान

इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट प्लान के तहत इंदिरा मार्केट के पीछे मौजूद पुराने बस अड्डे की जमीन पर पीपीपी मोड में हाईटेक शॉपिंग कॉप्लेक्स कंपलेक्स का निर्माण कार्य किया जाना है. जिसमें 440 दुकानें तैयार की जाएंगी. साथ ही इस कॉप्लेक्स में 1050 वाहनों के लिए पार्किंग स्थल तैयार किए जाने की भी योजना है. जिसे 208.50 करोड़ की लागत से तैयार किया जाना है.

पढ़ें-नजूल भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को HC से बड़ी राहत
बता दें जिस पुराने बस अड्डे की जमीन पर इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट का कार्य किया जाना है, उसी पुराने बस अड्डे की जमीन पर सीटू का कार्यालय भी हुआ करता था. साल 2016 में एमडीडीए के साथ हुए एमओयू के तहत सीटू के कार्यालय को भी अस्थायी कॉप्लेक्स में शिफ्ट कर दिया गया. जिसकी वजह से आज सीटू से जुड़े कार्यकर्ता भी परेशान हैं.

ये भी पढ़ें-रुद्रपुर: दो पक्षों में हुए विवाद में चौकी पर पथराव, पुलिस ने किया बल प्रयोग

सीटू के सचिव लेखराज बताते हैं कि जिस अस्थायी कॉप्लेक्स में उन्हें स्थान दिया गया है, वहां काफी छोटे साइज की दुकानें बनाई गई हैं. जिसमें उन्हें कार्यालय चलाने में खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं. वहीं, उनके संगठन की महत्वपूर्ण बैठकें हुआ करती थीं, उन्हें भी यहां कर पाना संभव नहीं है. ऐसे में एमडीडीए जल्द से जल्द री-डेवलपमेंट का कार्य शुरू कराए.

पढ़ें-एंबुलेंस की राह होगी आसान, रास्ता न देने वालों पर कड़ी कार्रवाई

वहीं, जब इस संबंध में हमने एमडीडीए के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान से बात की तो उनके पास इन सवालों का कोई उचित जवाब नहीं था. फोन पर हमारे द्वारा सवाल किए जाने पर उन्होंने इतना जरूर कहा कि जल्द ही वह इंदिरा मार्केट के व्यापारियों के साथ बैठक कर इंदिरा मार्केट री-मॉडलिंग का कार्य शुरू करवाएंगे.

पढ़ें-शिक्षा मंत्री पर चूड़ी फेंकने के मामले ने पकड़ा तूल, आमने-सामने हुई बीजेपी और कांग्रेस
बहरहाल, एक तरफ स्थानीय व्यापारी परेशान हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी महज आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं. ऐसे में अब देखना यह होगा कि आखिर कब तक सालों से लंबित चल रहे इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम शुरू हो पाता है.

देहरादून: राजधानी के सबसे पुराने बाजारों में से एक इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम बीते 7 सालों से लंबित है. जिसके चलते अब यहां के व्यापारियों के सब्र का बांध टूटने लगा है. आज से 4 साल पूर्व यानी कि साल 2016 में पास में ही तैयार किए गए अस्थायी कॉन्प्लेक्स में यहां के व्यापारियों को शिफ्ट किया गया था. मगर आज सालों बीत जाने के बाद भी इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम पूरा नहीं हो पाया है.

अधर में लटका इंदिरा मार्केट का री-डेवलपमेंट प्लान

ईटीवी भारत से बात करते हुए इंदिरा मार्केट व्यापारी यूनियन के सचिव सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि पिछले लंबे समय से स्थानीय व्यापारी एमडीडीए प्रशासन से इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट कार्य को शुरू करने की गुहार लगा रहे हैं. मगर एमडीडीए प्रशासन की ओर से किसी तरह का कोई उचित जवाब नहीं दिया जा रहा है.

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जिसकी वजह से स्थानीय व्यापारियों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ जिन व्यापारियों को री-डेवलपमेंट के कार्य के चलते साल 2016 में पास में तैयार किए गए अस्थायी कॉन्प्लेक्स में शिफ्ट किया गया है, उन्हें भी अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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यह है इंदिरा मार्केट री- डेवलपमेंट प्लान

इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट प्लान के तहत इंदिरा मार्केट के पीछे मौजूद पुराने बस अड्डे की जमीन पर पीपीपी मोड में हाईटेक शॉपिंग कॉप्लेक्स कंपलेक्स का निर्माण कार्य किया जाना है. जिसमें 440 दुकानें तैयार की जाएंगी. साथ ही इस कॉप्लेक्स में 1050 वाहनों के लिए पार्किंग स्थल तैयार किए जाने की भी योजना है. जिसे 208.50 करोड़ की लागत से तैयार किया जाना है.

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बता दें जिस पुराने बस अड्डे की जमीन पर इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट का कार्य किया जाना है, उसी पुराने बस अड्डे की जमीन पर सीटू का कार्यालय भी हुआ करता था. साल 2016 में एमडीडीए के साथ हुए एमओयू के तहत सीटू के कार्यालय को भी अस्थायी कॉप्लेक्स में शिफ्ट कर दिया गया. जिसकी वजह से आज सीटू से जुड़े कार्यकर्ता भी परेशान हैं.

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सीटू के सचिव लेखराज बताते हैं कि जिस अस्थायी कॉप्लेक्स में उन्हें स्थान दिया गया है, वहां काफी छोटे साइज की दुकानें बनाई गई हैं. जिसमें उन्हें कार्यालय चलाने में खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं. वहीं, उनके संगठन की महत्वपूर्ण बैठकें हुआ करती थीं, उन्हें भी यहां कर पाना संभव नहीं है. ऐसे में एमडीडीए जल्द से जल्द री-डेवलपमेंट का कार्य शुरू कराए.

पढ़ें-एंबुलेंस की राह होगी आसान, रास्ता न देने वालों पर कड़ी कार्रवाई

वहीं, जब इस संबंध में हमने एमडीडीए के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान से बात की तो उनके पास इन सवालों का कोई उचित जवाब नहीं था. फोन पर हमारे द्वारा सवाल किए जाने पर उन्होंने इतना जरूर कहा कि जल्द ही वह इंदिरा मार्केट के व्यापारियों के साथ बैठक कर इंदिरा मार्केट री-मॉडलिंग का कार्य शुरू करवाएंगे.

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बहरहाल, एक तरफ स्थानीय व्यापारी परेशान हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी महज आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं. ऐसे में अब देखना यह होगा कि आखिर कब तक सालों से लंबित चल रहे इंदिरा मार्केट के री-डेवलपमेंट का काम शुरू हो पाता है.

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