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सरकारी महकमों में प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी में ऊर्जा विभाग, लोगों ने खड़े किये सवाल

उत्तराखंड के सरकारी महकमों में जल्दी ही ऊर्जा विभाग प्रीपेड मीटर लगाने जा रहा है. इन प्रीपेड मीटर पर रिचार्ज कराने के बाद ही विद्युत आपूर्ति हो पाएगी. लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट बीरू बिष्ट ने प्रीपेड मीटर पर सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना है कि राज्य सरकार और ऊर्जा विभाग की प्रीपेड मीटर स्कीम पूरी तरह नाकामयाब साबित होगी.

सरकारी महकमों में प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी में ऊर्जा विभाग.
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Published : Sep 22, 2019, 3:21 PM IST

देहरादून: प्रदेश के सरकारी महकमों में जल्दी ही ऊर्जा विभाग प्रीपेड मीटर लगाने जा रहा है. इन प्रीपेड मीटर पर रिचार्ज कराने के बाद ही विद्युत आपूर्ति हो पाएगी. लेकिन इस योजना के परवान चढ़ने से पहले ही प्रीपेड मीटर को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं.

सरकारी महकमों में प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी में ऊर्जा विभाग.

दरअसल, ऊर्जा विभाग के पास जो प्रीपेड मीटर उपलब्ध हैं, वह आज भी 2014 के विद्युत टैरिफ के हिसाब से काम कर रहे हैं. ऐसे में यदि बिना टैरिफ अपडेट किए इन प्रीपेड मीटर को सरकारी महकमों में इंस्टॉल किया जाता है तो इससे प्रदेश सरकार को रेवेन्यू का खासा नुकसान पहुंचेगा. ऐसे में हो सकता है कि इसकी भरपाई के लिए आनेवाले समय में आम जनता के विद्युत दरों को बढ़ा दिया जाए.

आरटीआई एक्टिविस्ट बीरू बिष्ट ने प्रीपेड मीटर पर सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना है कि राज्य सरकार और ऊर्जा विभाग की प्रीपेड मीटर स्कीम पूरी तरह नाकामयाब साबित होगी. बिष्ट के मुताबिक, ऊर्जा विभाग के पास संसाधनों के साथ ही कर्मचारियों की भारी कमी है. इसके अलावा विभाग कि वेबसाइट भी सही तरह से काम नहीं करती. ऐसे में सवाल यही है कि आखिर प्रीपेड मीटर के रिचार्ज के लिए वह व्यवस्थाएं कैसे दुरुस्त हो पाएंगी.
वहीं, प्रीपेड मीटर के 2014 के ट्रैफिक के संबंध में UPCL के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा का कहना है की प्रीपेड मीटर के टैरिफ को अपग्रेड करने के लिए विभाग की ओर से उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) में जल्द ही रिट दाखिल की जाएगी. जिसके बाद ही इन्हें सरकारी महकमों में इंस्टॉल किया जाएगा.

ये भी पढ़े: आखिरकार दर्ज हुई उत्तराखंड की सबसे लंबी FIR, एक हफ्ते का लगा समय

बहरहाल, ऊर्जा विभाग प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर इंस्टॉल करने की तैयारी में है, लेकिन यह सवाल मौजूं है कि अगर प्रीपेड मीटर का टैरिफ अपग्रेड नहीं होता तो इससे जो राज्य सरकार के रेवेन्यू को भारी नुकसान पहुंचेगा. ऐसे में इस नुकसान की भरपाई आखिर कैसे की जाएगी?

देहरादून: प्रदेश के सरकारी महकमों में जल्दी ही ऊर्जा विभाग प्रीपेड मीटर लगाने जा रहा है. इन प्रीपेड मीटर पर रिचार्ज कराने के बाद ही विद्युत आपूर्ति हो पाएगी. लेकिन इस योजना के परवान चढ़ने से पहले ही प्रीपेड मीटर को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं.

सरकारी महकमों में प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी में ऊर्जा विभाग.

दरअसल, ऊर्जा विभाग के पास जो प्रीपेड मीटर उपलब्ध हैं, वह आज भी 2014 के विद्युत टैरिफ के हिसाब से काम कर रहे हैं. ऐसे में यदि बिना टैरिफ अपडेट किए इन प्रीपेड मीटर को सरकारी महकमों में इंस्टॉल किया जाता है तो इससे प्रदेश सरकार को रेवेन्यू का खासा नुकसान पहुंचेगा. ऐसे में हो सकता है कि इसकी भरपाई के लिए आनेवाले समय में आम जनता के विद्युत दरों को बढ़ा दिया जाए.

आरटीआई एक्टिविस्ट बीरू बिष्ट ने प्रीपेड मीटर पर सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना है कि राज्य सरकार और ऊर्जा विभाग की प्रीपेड मीटर स्कीम पूरी तरह नाकामयाब साबित होगी. बिष्ट के मुताबिक, ऊर्जा विभाग के पास संसाधनों के साथ ही कर्मचारियों की भारी कमी है. इसके अलावा विभाग कि वेबसाइट भी सही तरह से काम नहीं करती. ऐसे में सवाल यही है कि आखिर प्रीपेड मीटर के रिचार्ज के लिए वह व्यवस्थाएं कैसे दुरुस्त हो पाएंगी.
वहीं, प्रीपेड मीटर के 2014 के ट्रैफिक के संबंध में UPCL के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा का कहना है की प्रीपेड मीटर के टैरिफ को अपग्रेड करने के लिए विभाग की ओर से उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) में जल्द ही रिट दाखिल की जाएगी. जिसके बाद ही इन्हें सरकारी महकमों में इंस्टॉल किया जाएगा.

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बहरहाल, ऊर्जा विभाग प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर इंस्टॉल करने की तैयारी में है, लेकिन यह सवाल मौजूं है कि अगर प्रीपेड मीटर का टैरिफ अपग्रेड नहीं होता तो इससे जो राज्य सरकार के रेवेन्यू को भारी नुकसान पहुंचेगा. ऐसे में इस नुकसान की भरपाई आखिर कैसे की जाएगी?

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देहरादून- प्रदेश के सरकारी महकमों में जल्दी ही ऊर्जा विभाग प्रीपेड मीटर लगाने जा रहा है। इन प्रीपेड मीटर पर रिचार्ज कराने के बाद ही विद्युत आपूर्ति हो पाएगी। लेकिन इन प्रीपेड मीटर के इनस्टॉल होने से पहले ही इसकी कार्यशैली पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल ऊर्जा विभाग के पास जो प्रीपेड मीटर उपलब्ध हैं वह आज भी 2014 के विद्युत टैरिफ के हिसाब से काम कर रहे हैं । ऐसे में यदि बिना टैरिफ अपडेट किए इन प्रीपेड मीटर को सरकारी महकमों में इंस्टॉल किया जाता है तो इससे प्रदेश सरकार को रेवेन्यू का खासा नुकसान होगा । ऐसे में हो सकता है कि इसकी भरपाई के लिए आने वाले समय में आम जनता पर बड़ी हुई विद्युत दरों का भार डाला जाए।






Body:प्री- पेड मीटर पर सवाल खड़े करते हुए देहरादून के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट बीरू बिष्ट का कहना है कि राज्य सरकार और ऊर्जा विभाग की प्रीपेड मीटर स्कीम पूरी तरह नाकामयाब साबित होगी । उनके मुताबिक ऊर्जा विभाग के पास संसाधनों के साथ ही कर्मचारियों की भारी कमी है। इसके अलावा विभाग कि वेबसाइट भी सही तरह से काम नहीं करती । ऐसे में सवाल यही है कि आखिर प्रीपेड मीटर के रिचार्ज के लिए वह व्यवस्थाएं कैसे दुरुस्त कर पाएंगे ।

वही प्रीपेड मीटर के 2014 के ट्रैफिक के संबंध में UPCL के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा का कहना है की प्रीपेड मीटर के टैरिफ को अपग्रेड करने के लिए विभाग की ओर से उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) में जल्द ही रिट्ज दाखिल की जाएगी । जिसके बाद ही इन्हें सरकारी महकमों में इंस्टॉल किया जाएगा ।


Conclusion:बहरहाल ऊर्जा विभाग प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर इंस्टॉल करने की तैयारी में है । लेकिन यह वाकई में महत्वपूर्ण सवाल है कि यदि प्रीपेड मीटर का टैरिफ अपग्रेड नहीं होता तो इससे जो राज्य सरकार को रेवेन्यू का नुकसान होगा उसकी भरपाई कैसे आखिर कैसे की जाएगी।
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