ऋषिकेश/देहरादूनः उत्तराखंड में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर की दस्तक हो चुकी है. ऋषिकेश में हो रही सुअरों की मौत में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है. जिसके बाद तत्काल प्रभाव से डीएम आर राजेश कुमार ने पशुपालन विभाग के समस्त अधिकारियों को इस बीमारी के रोकथाम के निर्देश दिए हैं. साथ ही सुअर के मांस खाने और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
बता दें कि पौड़ी और ऋषिकेश में सुअरों की लगातार मौत हो रही थी. ऋषिकेश में मर रहे सुअरों में गंभीर अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग (African Swine Fever Disease in Uttarakhand) की पुष्टि हुई है. इसके बाद ऋषिकेश क्षेत्र के तीनों भागों को संक्रमण क्षेत्र (Infected Zone), सर्विलांस क्षेत्र (Surveillance Zone) और रोग मुक्त क्षेत्र (Disease Free Zone) में तब्दील करने के आदेश दिए गए हैं. सुअरों में इस संक्रमण की पुष्टि होने के बाद देहरादून डीएम आर राजेश कुमार ने तत्काल प्रभाव से ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र को इन्फेक्टेड जोन यानी संक्रमण क्षेत्र की कैटेगरी में डाल दिया है.
इसके अलावा क्षेत्र में सुअर का मांस खाने, सुअर की मांस की दुकानों को बंद रखने और सुअर के विचरण को प्रतिबंधित कर दिया गया है. सुअरों में इस प्रकार के संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने डिसइन्फेक्शन, फ्यूमिगेशन या टिक्स की रोकथाम को लेकर अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं. इसके अलावा जिला प्रशासन ने पालतू पशुओं को संक्रमित जोन से दूर रहने के निर्देश दिए हैं. वहीं, संक्रमित जोन में आने वाले सुअर को मारकर वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने को भी कहा है.
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देहरादून जिलाधिकारी आर राजेश कुमार (Dehradun DM R Rajesh Kumar) के मुताबिक, सर्विलांस जोन से करीब 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले क्षेत्र को निगरानी क्षेत्र में रखा गया है. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में सुअरों का आवागमन पहले की भांति वर्जित होगा. इसके अलावा हर 15 दिनों के भीतर सुअरों के सैंपल लेकर ICAR-NISHAD भोपाल की प्रयोगशाला भेजने के निर्देश दिए गए हैं
क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर या फ्लू? अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक अत्यधिक संक्रामक और खतरनाक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इसके संक्रमण से सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था.
इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं, जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सुअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.