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जैसे-तैसे खड़े हो रहे टूरिज्म सेक्टर पर फिर कोरोना का 'धक्का', 40 फीसदी बुकिंग कैंसिल

कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर उत्तराखंड के टूरिज्म सेक्टर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अनलॉक के बाद टूरिज्म सेक्टर ने तफ्तार पकड़ी ही थी कि कोरोना स्ट्रेन-2 ने फिर ब्रेक लगा दिया. ऐसे में होटल व्यवसायियों के सामने एक बार फिर संकट गहराने लगा है.

Uttarakhand Tourism Sector
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Published : Apr 10, 2021, 5:53 PM IST

देहरादून: कोविड-19 बढ़ते मामलों ने एक बार फिर प्रदेश के टूरिज्म सेक्टर की मुश्किलें बढ़ाई बढ़ा दी हैं. कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर साल 2020 में लागू लॉकडाउन की वजह से हर वर्ग पर ना सिर्फ असर पड़ा बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर देखने को मिला. अनलॉक के दौरान उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे पटरी पर आ ही रही थी कि एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे, जिस वजह से एक बार फिर टूरिज्म सेक्टर की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई हैं. क्योंकि कोरोना के चलते पर्यटकों की संख्या में कमी देखी जा रही है. ऐसे में टूरिज्म सेक्टर पर असर पड़ना लाजमी है.

चारधाम यात्रा भी होगी सफल- पर्यटन मंत्री.

उत्तराखंड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. यही वजह है कि राज्य सरकार प्रदेश की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए नए-नए विकल्प तलाशती रहती है. उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आर्थिकी टूरिज्म सेक्टर पर ही टिकी हुई है, जिसके चलते राज्य सरकार पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ाने के साथ ही राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं मुकम्मल करने की कवायद में जुटी रहती है. लेकिन एक बार फिर पिछले साल की तरह ही उत्तराखंड राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है, जिससे न सिर्फ राज्य की आर्थिकी पर फर्क पड़ेगा बल्कि पर्यटन क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ेगा.

2021 में बन रही है 2020 जैसी स्तिथि

उत्तराखंड राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है मुख्य रूप से देखें तो देशभर से आने वाले सैलानी मुख्य रूप से मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार, नैनीताल समेत बुग्यालों की ओर रुख करते हैं. पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल करीब साढ़े 3 करोड़ से अधिक सैलानी उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं, यह आंकड़ा पिछले साल कोविड-19 की दस्तक के बाद प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या काफी कम हो गई है. यही नहीं, 2020 में उत्तराखंड ना आप आने वाले सैलानी 2021 में उत्तराखंड आने की आस लगाए बैठे थे. यहां तक कि सैकड़ों सैलानियों ने होटलो में बुकिंग भी करा ली थी लेकिन जैसे ही कोविड-19 के मामले बढ़ने शुरू हुए तो पर्यटकों ने बुकिंग कैंसिल करानी शुरू कर दी.

पढ़ें- देहरादून में रात 10 से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू, जानें- कहां मिलेगी छूट

कड़े नियमों के चलते उत्तराखंड नहीं आ रहे हैं यात्री

आलम यह है कि उत्तराखंड राज्य के मुख्य टूरिस्ट प्लेस मसूरी, ऋषिकेश, नैनीताल और हरिद्वार की होटलों से अभी तक सैकड़ों लोगों ने बुकिंग कैंसिल करा दी हैं, जिससे एक बार फिर 2020 की तरह की 2021 में भी राज्य की आर्थिकी के साथ-साथ टूरिस्ट सेक्टर से जुड़े व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि, राज्य सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि जो सैलानी उत्तराखंड आना चाहते हैं. उन्हें 72 घंटे के भीतर का आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है. या फिर कोविड-19 के वैक्सीनेशन की रिपोर्ट लानी होगी.

कुंभ मेले के बावजूद हरिद्वार में नहीं रुक रहे यात्री

कोविड-19 का असर अब हरिद्वार कुंभ पर भी दिखाई दे रहा है. धर्मनगरी में बने होटलों और धर्मशालाओं में करीब एक लाख 20 हजार यात्रियों के ठहरने की क्षमता है. लेकिन एसओपी की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम नजर आ रही है. जिसके चलते हरिद्वार की धर्मशाला और होटलों में रोजाना करीब 20 से 21 हजार श्रद्धालु ही रुक रहे है. हरिद्वार में मौजूद करीब 400 धर्मशालाओं में 42 हजार, जबकि करीब 650 छोटे-बड़े होटल और गेस्ट हाउस में 78 हजार यात्री एक साथ ठहर सकते हैं.

Uttarakhand Tourism Sector
कोरोना की दूसरी लहर ने पयर्टन पर लगाया ब्रेक.

पढ़ें- मसूरी में 8 लोगों में कोरोना की पुष्टि, खटीमा में पांच नर्सिंग स्टाफ समेत 10 संक्रमित

कोविड-19 के चलते श्रद्धालुओं की संख्या कम होने की उम्मीद

मुख्य रूप से देखें तो उत्तराखंड राज्य सरकार ने कुंभ मेले की अधिसूचना पहले ही जारी कर दी है. जारी अधिसूचना के अनुसार 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक ही कुंभ मेला रहेगा. इससे पहले की बात करें तो जो पिछले महीने शाही स्नान थे, उस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई थी. लेकिन कुंभ मेले की अधिसूचना जारी होने के बाद कोविड-19 जारी किए गए नई एसओपी के तहत अब हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम होने की उम्मीद है. कुल मिलाकर देखें तो आगामी मुख्य शाही स्नान 12 और 14 अप्रैल को भी यात्रियों की संख्या सीमित रहने वाली है.

इस बार भी चारधाम की यात्रा रहने वाली है फीकी

देश में एक बार फिर कोविड-19 के मामले बढ़ने की वजह से राज्य सरकार कि ना सिर्फ चुनौतियां बढ़ गई है बल्कि एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है कि चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं को किस तरह से व्यवस्थाएं मुहैया कराई हैं. हालांकि, जारी एसओपी के अनुसार चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य है लेकिन जिस तरह से कोरोना केस बढ़ रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि चारधाम यात्रा की स्थिति साल 2020 की तरह ही रहने वाली है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर मामले और बढ़ते हैं तो इस बार भी साल 2020 की तरह ही चारधाम की यात्रा फीकी ही रहेगी.

Uttarakhand Tourism Sector
चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या.
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साल 2020 में ना के बराबर रही श्रद्धालुओं की संख्या.

पढ़ें- राज्य के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में खत्म हुई कोरोना वैक्सीन, दून मेडिकल कॉलेज से वापस लौटे लोग

चारधाम यात्रा को बनाएगे सफल- पर्यटन मंत्री

कोरोना स्ट्रेन-2 को लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि अभी जो भी श्रद्धालु उत्तराखंड आ रहे हैं. उनको पूरी एहतियात के साथ प्रदेश में प्रवेश दिया जा रहा है. सभी से कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट ली जा रही है. इसके साथ ही महाराज ने कहा है कि कोरोना का संक्रमण न फैले इसके लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है. सभी को मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने के लिए कहा जा रहा है. पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में चारधाम यात्रा भी सफल यात्रा होगी.

कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत संतुलन बनाने की है जरूरत- मुख्य सचिव

वही, उत्तराखंड राज्य के पर्यटन क्षेत्र में एक बार फिर असर पड़ने के सवाल पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि 2020 की स्थिति 2021 में भी देखने को मिलेगी. लेकिन इतना जरुर है कि देश के जो 11 प्रभावित राज्य हैं. उन राज्यों से आने वाले यात्रियों को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य होगा. साथ ही बताया कि एक बार फिर संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं. ऐसे में संतुलन रखना होगा. क्योंकि एक तरफ महामारी है तो दूसरी तरफ राज्य की आर्थिकी. हालांकि, स्थितियां रोज बदलती है. ऐसे में संतुलन रखना बहुत जरूरी है.

वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद भी होगा एंटीजन टेस्ट

उत्तराखंड आने वाले यात्रियों में एक संशय की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि, जिन्हें वैक्सीनेशन का एक डोज लग गया है. उन्हें भी बॉर्डर्स पर रोका जा रहा है और उनका एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है, जिसके सवाल पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि जिसे कोविड-19 वैक्सीन के दोनों डोज लग गए हैं और दोनों डोज लगे हुए 2 सप्ताह से अधिक समय हो गया है, तो उनका कोई टेस्ट नहीं किया जाएगा. लिहाजा वह बिना रोक-टोक उत्तराखंड में कहीं भी आ जा सकते हैं. लेकिन जिस व्यक्ति को कोविड-19 वैक्सीन का एक ही डोज लगा है, उस व्यक्ति का भी एंटीजन टेस्ट कराया जाएगा. इसके साथ ही जिस व्यक्ति के पास आरटी-पीसीआर की कोविड नेगेटिव रिपोर्ट नहीं है. उसका एंटीजन टेस्ट कराया जाएगा. इसके बाद ही उत्तराखंड में प्रवेश दिया जाएगा.

देहरादून: कोविड-19 बढ़ते मामलों ने एक बार फिर प्रदेश के टूरिज्म सेक्टर की मुश्किलें बढ़ाई बढ़ा दी हैं. कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर साल 2020 में लागू लॉकडाउन की वजह से हर वर्ग पर ना सिर्फ असर पड़ा बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर देखने को मिला. अनलॉक के दौरान उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे पटरी पर आ ही रही थी कि एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे, जिस वजह से एक बार फिर टूरिज्म सेक्टर की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई हैं. क्योंकि कोरोना के चलते पर्यटकों की संख्या में कमी देखी जा रही है. ऐसे में टूरिज्म सेक्टर पर असर पड़ना लाजमी है.

चारधाम यात्रा भी होगी सफल- पर्यटन मंत्री.

उत्तराखंड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. यही वजह है कि राज्य सरकार प्रदेश की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए नए-नए विकल्प तलाशती रहती है. उत्तराखंड राज्य की एक बड़ी आर्थिकी टूरिज्म सेक्टर पर ही टिकी हुई है, जिसके चलते राज्य सरकार पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ाने के साथ ही राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं मुकम्मल करने की कवायद में जुटी रहती है. लेकिन एक बार फिर पिछले साल की तरह ही उत्तराखंड राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है, जिससे न सिर्फ राज्य की आर्थिकी पर फर्क पड़ेगा बल्कि पर्यटन क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ेगा.

2021 में बन रही है 2020 जैसी स्तिथि

उत्तराखंड राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है मुख्य रूप से देखें तो देशभर से आने वाले सैलानी मुख्य रूप से मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार, नैनीताल समेत बुग्यालों की ओर रुख करते हैं. पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल करीब साढ़े 3 करोड़ से अधिक सैलानी उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं, यह आंकड़ा पिछले साल कोविड-19 की दस्तक के बाद प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या काफी कम हो गई है. यही नहीं, 2020 में उत्तराखंड ना आप आने वाले सैलानी 2021 में उत्तराखंड आने की आस लगाए बैठे थे. यहां तक कि सैकड़ों सैलानियों ने होटलो में बुकिंग भी करा ली थी लेकिन जैसे ही कोविड-19 के मामले बढ़ने शुरू हुए तो पर्यटकों ने बुकिंग कैंसिल करानी शुरू कर दी.

पढ़ें- देहरादून में रात 10 से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू, जानें- कहां मिलेगी छूट

कड़े नियमों के चलते उत्तराखंड नहीं आ रहे हैं यात्री

आलम यह है कि उत्तराखंड राज्य के मुख्य टूरिस्ट प्लेस मसूरी, ऋषिकेश, नैनीताल और हरिद्वार की होटलों से अभी तक सैकड़ों लोगों ने बुकिंग कैंसिल करा दी हैं, जिससे एक बार फिर 2020 की तरह की 2021 में भी राज्य की आर्थिकी के साथ-साथ टूरिस्ट सेक्टर से जुड़े व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि, राज्य सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि जो सैलानी उत्तराखंड आना चाहते हैं. उन्हें 72 घंटे के भीतर का आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है. या फिर कोविड-19 के वैक्सीनेशन की रिपोर्ट लानी होगी.

कुंभ मेले के बावजूद हरिद्वार में नहीं रुक रहे यात्री

कोविड-19 का असर अब हरिद्वार कुंभ पर भी दिखाई दे रहा है. धर्मनगरी में बने होटलों और धर्मशालाओं में करीब एक लाख 20 हजार यात्रियों के ठहरने की क्षमता है. लेकिन एसओपी की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम नजर आ रही है. जिसके चलते हरिद्वार की धर्मशाला और होटलों में रोजाना करीब 20 से 21 हजार श्रद्धालु ही रुक रहे है. हरिद्वार में मौजूद करीब 400 धर्मशालाओं में 42 हजार, जबकि करीब 650 छोटे-बड़े होटल और गेस्ट हाउस में 78 हजार यात्री एक साथ ठहर सकते हैं.

Uttarakhand Tourism Sector
कोरोना की दूसरी लहर ने पयर्टन पर लगाया ब्रेक.

पढ़ें- मसूरी में 8 लोगों में कोरोना की पुष्टि, खटीमा में पांच नर्सिंग स्टाफ समेत 10 संक्रमित

कोविड-19 के चलते श्रद्धालुओं की संख्या कम होने की उम्मीद

मुख्य रूप से देखें तो उत्तराखंड राज्य सरकार ने कुंभ मेले की अधिसूचना पहले ही जारी कर दी है. जारी अधिसूचना के अनुसार 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक ही कुंभ मेला रहेगा. इससे पहले की बात करें तो जो पिछले महीने शाही स्नान थे, उस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई थी. लेकिन कुंभ मेले की अधिसूचना जारी होने के बाद कोविड-19 जारी किए गए नई एसओपी के तहत अब हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम होने की उम्मीद है. कुल मिलाकर देखें तो आगामी मुख्य शाही स्नान 12 और 14 अप्रैल को भी यात्रियों की संख्या सीमित रहने वाली है.

इस बार भी चारधाम की यात्रा रहने वाली है फीकी

देश में एक बार फिर कोविड-19 के मामले बढ़ने की वजह से राज्य सरकार कि ना सिर्फ चुनौतियां बढ़ गई है बल्कि एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है कि चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं को किस तरह से व्यवस्थाएं मुहैया कराई हैं. हालांकि, जारी एसओपी के अनुसार चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य है लेकिन जिस तरह से कोरोना केस बढ़ रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि चारधाम यात्रा की स्थिति साल 2020 की तरह ही रहने वाली है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर मामले और बढ़ते हैं तो इस बार भी साल 2020 की तरह ही चारधाम की यात्रा फीकी ही रहेगी.

Uttarakhand Tourism Sector
चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या.
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साल 2020 में ना के बराबर रही श्रद्धालुओं की संख्या.

पढ़ें- राज्य के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में खत्म हुई कोरोना वैक्सीन, दून मेडिकल कॉलेज से वापस लौटे लोग

चारधाम यात्रा को बनाएगे सफल- पर्यटन मंत्री

कोरोना स्ट्रेन-2 को लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि अभी जो भी श्रद्धालु उत्तराखंड आ रहे हैं. उनको पूरी एहतियात के साथ प्रदेश में प्रवेश दिया जा रहा है. सभी से कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट ली जा रही है. इसके साथ ही महाराज ने कहा है कि कोरोना का संक्रमण न फैले इसके लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है. सभी को मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने के लिए कहा जा रहा है. पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में चारधाम यात्रा भी सफल यात्रा होगी.

कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत संतुलन बनाने की है जरूरत- मुख्य सचिव

वही, उत्तराखंड राज्य के पर्यटन क्षेत्र में एक बार फिर असर पड़ने के सवाल पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि 2020 की स्थिति 2021 में भी देखने को मिलेगी. लेकिन इतना जरुर है कि देश के जो 11 प्रभावित राज्य हैं. उन राज्यों से आने वाले यात्रियों को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य होगा. साथ ही बताया कि एक बार फिर संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं. ऐसे में संतुलन रखना होगा. क्योंकि एक तरफ महामारी है तो दूसरी तरफ राज्य की आर्थिकी. हालांकि, स्थितियां रोज बदलती है. ऐसे में संतुलन रखना बहुत जरूरी है.

वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद भी होगा एंटीजन टेस्ट

उत्तराखंड आने वाले यात्रियों में एक संशय की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि, जिन्हें वैक्सीनेशन का एक डोज लग गया है. उन्हें भी बॉर्डर्स पर रोका जा रहा है और उनका एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है, जिसके सवाल पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि जिसे कोविड-19 वैक्सीन के दोनों डोज लग गए हैं और दोनों डोज लगे हुए 2 सप्ताह से अधिक समय हो गया है, तो उनका कोई टेस्ट नहीं किया जाएगा. लिहाजा वह बिना रोक-टोक उत्तराखंड में कहीं भी आ जा सकते हैं. लेकिन जिस व्यक्ति को कोविड-19 वैक्सीन का एक ही डोज लगा है, उस व्यक्ति का भी एंटीजन टेस्ट कराया जाएगा. इसके साथ ही जिस व्यक्ति के पास आरटी-पीसीआर की कोविड नेगेटिव रिपोर्ट नहीं है. उसका एंटीजन टेस्ट कराया जाएगा. इसके बाद ही उत्तराखंड में प्रवेश दिया जाएगा.

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