देहरादून: वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मौजूद करीब डेढ़ लाख बंदरों पर नियंत्रण को लेकर पिछली हरीश सरकार से लेकर वर्तमान की त्रिवेन्द्र सरकार में तमाम दावे किए गए. लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी अब तक वन विभाग नसबंदी के नाम पर कुछ ही बंदरों की नसबंदी कर पाया है. खुद वन मंत्री हरक सिंह रावत ने अब इस बात को स्वीकार कर लिया है कि बंदरों पर नियंत्रण पाने में विभाग को असफलता ही हाथ लगी है.
14 हजार बंदरों को पकड़ने के बाद भी केवल तीन से चार सौ बंदरों की ही नसबंदी के सवाल पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि बंदरों की समस्या से वो खुद चिंतित हैं. हरक सिंह रावत ने खुद इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि 14 हजार बंदरों को पकड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गए. लेकिन नसबंदी में विफल होना अपने आप मे एक बड़ा विरोधाभास है.
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वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि इस विषय में उन्होंने मुख्यमंत्री के अलावा कई एनजीओ, केंद्रीय वन मंत्री और केंद्रीय वन अधिकारियों से भी इस समस्या के बारे में बात की. लेकिन कोई ठोस रास्ता बंदरों से निपटने के लिए नहीं निकल पाया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि उनके गांव में मौजूद आंवला के पेड़ों को बंदरो ने उनके ही सामने तहस नहस कर दिया. जिसके बाद उन्होंने बंदरों को हाथ जोड़ दिए. उनका कहना है कि कई बार घंटों इस विषय पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन बंदरों से निपटने का कोई रास्ता नजर नही आ रहा है.