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उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी का हाल! एक ही विभाग के दो IAS अधिकारी एक-दूसरे पर थोप रहे सवाल

उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी प्रतिमा गुप्ता के सस्पेंशन मामले पर संबंधित अधिकारी जवाब देने से बच रहे हैं. मामले में विभागीय सचिव सचिन कुर्वे ने विभागीय आयुक्त सुशील कुमार से पूछने की बात कही. वहीं, आयुक्त सुशील कुमार सचिव सचिन कुर्वे से पूछने की बात कहते नजर आ रहे हैं.

excise department  IAS
आबकारी अधिकारी
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Published : Jun 11, 2021, 6:48 PM IST

Updated : Jun 11, 2021, 10:33 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड की बेलगाम अफसरशाही के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. ताजा मामला आबकारी से जुड़ा है. जहां उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी प्रतिमा गुप्ता के सस्पेंशन मामले को लेकर सवाल पूछा गया. हैरानी की बात अधिकारी जवाब देने के बजाय एक-दूसरे पर सवाल थोपने लगे. जी हां, सचिव से मामले में सवाल पूछा गया तो उन्होंने आयुक्त से पूछने की बात कही. वहीं, जब आयुक्त से पूछा गया तो उन्होंने जानकारी न होने की बात कहकर सचिव से पूछने को कहा.

आबकारी विभाग के IAS अधिकारी एक-दूसरे पर थोप रहे सवाल.

दरअसल, मामला उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी प्रतिमा गुप्ता के सस्पेंशन को लेकर था. ईटीवी भारत की टीम ने विभागीय सचिव IAS सचिन कुर्वे से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने विभागीय आयुक्त का हवाला देते हुए कहा कि आप आयुक्त से जानकारी लीजिए. जब यही बात आयुक्त सुशील कुमार से पूछी तो उन्होंने कहा कि इस बारे में सचिव से बात कीजिए. शासन को ही जानकारी होगी.

excise department
प्रतिमा गुप्ता का सस्पेंशन लेटर.

ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी प्रतिमा गुप्ता निलंबित, कई आरोपों की जांच शुरू

ये रहा मामला

आबकारी विभाग की ओर उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी को सरकारी आदेश के अनुसार 1 जून 2021 को सस्पेंड किया गया था, लेकिन मामला सामने 10 जून 2021 को आया. लिहाजा, यह सवाल उठता है कि आखिर 1 जून के आदेश को 10 जून तक दबाकर क्यों रखा गया, जो सामने नहीं आ पाया.

इसी का जवाब जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ने फिर से आबकारी आयुक्त सुशील कुमार से जानकारी लेनी चाही तो एक बार फिर से उनका वही जवाब था कि इस विषय में सचिव से सवाल कीजिए, उन्हें नहीं मालूम.

ये भी पढ़ेंः कोरोना कर्फ्यू से आबकारी विभाग को झटका, 300 करोड़ का हुआ नुकसान

इसके बाद सचिव से इस बारे में पूछा तो फिर से उन्होंने भी वही कहा कि आप आयुक्त से पूछिए. हालांकि, काफी आग्रह किए जाने के बाद उन्होंने बताया कि आदेश 1 तारीख को हुआ था, लेकिन हो सकता है, तामील 10 जून को हुआ हो. शायद इस वजह से आदेश आयुक्त कार्यालय से जारी किया गया हो.

इसी कारण उत्तराखंड में नौकरशाही को लेकर हमेशा सवाल उठते आए हैं. आखिर क्यों विभागीय अधिकारी अपनी जवाबदेही से बचते हैं? यह बेहद गंभीर विषय है. विभाग की ओर से यदि कोई कार्रवाई की गई है तो उसे निसंकोच बताने में क्या समस्या है. या फिर कोई गलत कार्रवाई की गई है तो उस पर भी एक अधिकारी का निसंकोच सवाल उठाना लाजमी भी है?

देहरादूनः उत्तराखंड की बेलगाम अफसरशाही के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. ताजा मामला आबकारी से जुड़ा है. जहां उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी प्रतिमा गुप्ता के सस्पेंशन मामले को लेकर सवाल पूछा गया. हैरानी की बात अधिकारी जवाब देने के बजाय एक-दूसरे पर सवाल थोपने लगे. जी हां, सचिव से मामले में सवाल पूछा गया तो उन्होंने आयुक्त से पूछने की बात कही. वहीं, जब आयुक्त से पूछा गया तो उन्होंने जानकारी न होने की बात कहकर सचिव से पूछने को कहा.

आबकारी विभाग के IAS अधिकारी एक-दूसरे पर थोप रहे सवाल.

दरअसल, मामला उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी प्रतिमा गुप्ता के सस्पेंशन को लेकर था. ईटीवी भारत की टीम ने विभागीय सचिव IAS सचिन कुर्वे से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने विभागीय आयुक्त का हवाला देते हुए कहा कि आप आयुक्त से जानकारी लीजिए. जब यही बात आयुक्त सुशील कुमार से पूछी तो उन्होंने कहा कि इस बारे में सचिव से बात कीजिए. शासन को ही जानकारी होगी.

excise department
प्रतिमा गुप्ता का सस्पेंशन लेटर.

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ये रहा मामला

आबकारी विभाग की ओर उत्तरकाशी की जिला आबकारी अधिकारी को सरकारी आदेश के अनुसार 1 जून 2021 को सस्पेंड किया गया था, लेकिन मामला सामने 10 जून 2021 को आया. लिहाजा, यह सवाल उठता है कि आखिर 1 जून के आदेश को 10 जून तक दबाकर क्यों रखा गया, जो सामने नहीं आ पाया.

इसी का जवाब जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ने फिर से आबकारी आयुक्त सुशील कुमार से जानकारी लेनी चाही तो एक बार फिर से उनका वही जवाब था कि इस विषय में सचिव से सवाल कीजिए, उन्हें नहीं मालूम.

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इसके बाद सचिव से इस बारे में पूछा तो फिर से उन्होंने भी वही कहा कि आप आयुक्त से पूछिए. हालांकि, काफी आग्रह किए जाने के बाद उन्होंने बताया कि आदेश 1 तारीख को हुआ था, लेकिन हो सकता है, तामील 10 जून को हुआ हो. शायद इस वजह से आदेश आयुक्त कार्यालय से जारी किया गया हो.

इसी कारण उत्तराखंड में नौकरशाही को लेकर हमेशा सवाल उठते आए हैं. आखिर क्यों विभागीय अधिकारी अपनी जवाबदेही से बचते हैं? यह बेहद गंभीर विषय है. विभाग की ओर से यदि कोई कार्रवाई की गई है तो उसे निसंकोच बताने में क्या समस्या है. या फिर कोई गलत कार्रवाई की गई है तो उस पर भी एक अधिकारी का निसंकोच सवाल उठाना लाजमी भी है?

Last Updated : Jun 11, 2021, 10:33 PM IST
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