देहरादून: टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक में उत्तराखंड के अर्जुन अवार्डी मनोज सरकार ने ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. ब्रॉन्ज मेडल मैच में मनोज सरकार ने जापान के फुजिहारा को मात दी. मनोज सरकार का सामना जापान के फुजिहारा डेसुके से था. फुजिहारा को सेमीफाइनल में प्रमोद भगत ने मात दी थी. मनोज सरकार पहले गेम में पिछड़ रहे थे लेकिन फिर उन्होंने जबरदस्त वापसी की और 27 मिनट तक चले इस रोमांच गेम को 22-20 से अपने नाम किया. वहीं दूसरा गेम उन्होंने महज 19 मिनट में 21-13 से अपने नाम किया.
वहीं, कांस्य पदक जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बातचीत करते हुए मनोज सरकार को बधाई दी है. पीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'मनोज का शानदार प्रदर्शन. बैडमिंटन में प्रतिष्ठित कांस्य पदक लाने के लिए उन्हें बधाई. आने वाले समय के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं'. मनोज सरकार ने एसएल-3 वर्ग में ये मैच जीता है. अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार से प्रशिक्षण लेकर ही ऊधमसिंह नगर जिले के कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नाम कमाया है.
सीएम ने की वर्चुअली बात: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मनोज सरकार को बैडमिंटन के पुरुष सिंगल्स स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने पर उन्हें बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने मनोज सरकार को फोन पर बधाई देते हुए उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर आमंत्रित किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मनोज सरकार ने अपनी खेल प्रतिभा से प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है.
मनोज सरकार का सफरनामाः मनोज सरकार का जन्म 12 जनवरी 1990 को रुद्रपुर में हुआ है. उन्होंने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई जनता इंटर कॉलेज रुद्रपुर से की. इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन रुद्रपुर डिग्री कॉलेज से किया. इस दौरान वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेलते रहे. वर्ल्ड रैंकिंग सिंगल में मनोज सरकार तीसरे पायदान पर हैं, जबकि डबल्स में पहले नंबर पर हैं. 2012 में एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप विजेता रहे हैं. इसके अलावा फ्रेंच पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट सिंगल और डबल में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. मनोज सरकार 2013 BWF पैरा बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में डबल में गोल्ड और ब्रांज मेडल जीत चुके हैं.
2014 इंडोनेशिया पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में सिंगल में सिल्वर मेडल और डबल में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं. इसके अलावा इंग्लैंड में आयोजित हुए 2015 BWF बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप सिंगल में ब्रांज मेडल और डबल में डबल में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं. बीजिंग 2016 BWF एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंगल में गोल्ड और डबल में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं.
वहीं साउथ कोरिया में आयोजित 2017 BWF पैरा बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप मैन सिंगल में सिल्वर मेडल अपने नाम कर चुके हैं. जकार्ता इंडोनेशिया में आयोजित 2018 एशियन पैरा गेम्स के सिंगल में ब्रांज और डबल में भी ब्रांज मेडल जीत चुके हैं. इसके अवाला 2018 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.
वहीं बासेल स्विट्जरलैंड में आयोजित 2019 BWF पैरा बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप के सिंगल प्रतियोगिता में ब्रांज और डबल में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. मनोज सरकार अब तक 47 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. इसमें उन्होंने 18 गोल्ड, 12 सिल्वर और 17 ब्रांज मेडल जीते हैं. इसके अलावा 28 नेशनल मैच मनोज सरकार खेल चुके हैं. जिसमें से 20 गोल्ड, 5 सिल्वर और 3 ब्रांज मेडल अपने नाम कर चुके हैं.
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ऐसे शुरू हुआ बैडमिंटन के साथ सफरः मनोज सरकार को शुरू से ही बैडमिंटन खेलने का शौक था. बचपन में वह अपने इलाके में बच्चों के साथ खेलते थे. धीरे-धीरे बैडमिंटन की ओर उनका रूझान बढ़ने लगा. साल 2010 में उनकी मुलाकात वीके जैन से हुई, जिसके बाद उन्होंने उन्हें कोच गौरव खन्ना से मिलाया.
2010 में पैरा बैडमिंटन में हुआ सिलेक्शनः 2010 में मनोज का सलेक्शन पैरा बैडमिंटन में हुआ. 2011 में उन्होंने पहला नेशनल मैच बेंगलुरु में खेला. बेंगलुरु में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए उन्होंने सिंगल और डबल दोनों मैचों में गोल्ड हासिल किया. 2012 में उन्होंने पहली बार फ्रेंच पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में प्रतिभाग किया. इस दौरान उन्होंने अपने बेहतर प्रदर्शन से सिंगल और डबल दोनों में गोल्ड मेडल हासिल किया.
बैडमिंटन खरीदने के लिए नहीं थे रुपयेः मनोज सरकार कहते हैं कि शुरुआत में उनके पास बैडमिंटन खरीदने के लिए रुपये नहीं थे. उस वक्त उनकी मां ने मजदूरी कर रुपये इकट्ठा किए और उन्हें बैडमिंटन खरीदकर दिया. उन्होंने बताया कि उनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता. घर की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह अपने माता-पिता के साथ काम पर भी जाते थे. उनकी मां जमुना सरकार बीड़ी बनाने और पिता मनिंदर सरकार पेंटर का काम करते थे.
मां की साड़ी को बनाया नेट: उन्होंने बताया कि उनका बचपन आसानी से नहीं बिता. एक पल याद करते हुए वह बताते हैं कि शुरू में जब नेट नहीं था तो अपनी मां की साड़ी को ही नेट बना कर प्रेक्टिस किया करते थे.