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शांतिकुंज मामले पर बोले मदन कौशिक, पुलिस जांच में सब कुछ होगा साफ - Shantikunj case

शांतिकुंज मामले में उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि 10 साल बाद इस तरह का आरोप लगाने का मतलब हर कोई समझता है. पुलिस जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा.

Madan Kaushik said on Shantikunj case
शांतिकुंज मामले पर बोले मदन कौशिक
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Published : May 11, 2020, 7:19 PM IST

Updated : May 11, 2020, 9:14 PM IST

देहरादून: शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज किया गया है. दिल्ली में छत्तीसगढ़ की एक शिष्या ने दोनों के खिलाफ ज़ीरो एफआईआर दर्ज कराई थी. शांतिकुंज प्रमुख पर दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप लगाया था.

वहीं पूरे मामले पर उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि 10 साल बाद इस तरह का आरोप लगाने का मतलब हर कोई समझता है. इतनी बड़ी संस्था में इस तरह की बातों का होना गंभीर विषय है. 10 साल बाद लगाए गए आरोप कितना सही और कितना गलत है, यह हर कोई जानता है. हरिद्वार पुलिस मामले की जांच कर रही है. जांच रिपोर्ट से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

शांतिकुंज मामले पर बोले मदन कौशिक

ये भी पढ़ें: हरिद्वार में शांतिकुंज प्रमुख और उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज, दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप

क्या था मामला

पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने कहा था कि साल 2010 में जब वह 14 साल की थी तो 19 मार्च 2010 को गांव के एक व्यक्ति संग हरिद्वार पहुंची, जहां शांतिकुंज गायत्री परिवार में अच्छा भोजन, साधना, पढ़ाई और शादी का बहाना देकर चौके में भोजन व्यवस्था का काम दिलाया. 21 मार्च 2010 को उसे भोजन और प्रसाद बनाने के लिए रखा गया था.

पीड़िता के मुताबिक, जुलाई 2010 को वह शांतिकुंज के प्रमुख को कॉफी देने कमरे में गई. उसी दौरान कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया. पीड़िता का आरोप है कि कमरे में उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता के मुताबिक इस घटना के एक सप्ताह बाद फिर उसके साथ दोबारा दुष्कर्म किया गया और धमकी देकर किसी से घटना का जिक्र नहीं करने को कहा, लेकिन हिम्मत करके घटना की जानकारी दी तो मुंह बंद करने की धमकी दी गई.

पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि घटना के बाद उसकी तबीयत खराब रहने लगी. इलाज के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो 2014 में उसे वापस घर भेज दिया गया. स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद दोबारा हरिद्वार बुलाया गया लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया. 2018 में इस घटना को लेकर उसने फिर शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया लेकिन इसकी जानकारी शांतिकुंज प्रमुख को हो गई थी और उन्होंने फोन पर धमकी दी थी कि उसकी शिकायत से कुछ नहीं होगा.

आरोप पर शांतिकुंज प्रमुख का बयान

शांतिकुंज प्रमुख ने पूरे मामले को उनके खिलाफ साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि उनके ही संस्थान में रहकर उनके खिलाफ साजिश की गई है. महिला से बेवजह का आरोप लगवाकर उनसे पिछले 10 सालों से पैसों की मांग की जा रही है.

देहरादून: शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज किया गया है. दिल्ली में छत्तीसगढ़ की एक शिष्या ने दोनों के खिलाफ ज़ीरो एफआईआर दर्ज कराई थी. शांतिकुंज प्रमुख पर दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप लगाया था.

वहीं पूरे मामले पर उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि 10 साल बाद इस तरह का आरोप लगाने का मतलब हर कोई समझता है. इतनी बड़ी संस्था में इस तरह की बातों का होना गंभीर विषय है. 10 साल बाद लगाए गए आरोप कितना सही और कितना गलत है, यह हर कोई जानता है. हरिद्वार पुलिस मामले की जांच कर रही है. जांच रिपोर्ट से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

शांतिकुंज मामले पर बोले मदन कौशिक

ये भी पढ़ें: हरिद्वार में शांतिकुंज प्रमुख और उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज, दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप

क्या था मामला

पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने कहा था कि साल 2010 में जब वह 14 साल की थी तो 19 मार्च 2010 को गांव के एक व्यक्ति संग हरिद्वार पहुंची, जहां शांतिकुंज गायत्री परिवार में अच्छा भोजन, साधना, पढ़ाई और शादी का बहाना देकर चौके में भोजन व्यवस्था का काम दिलाया. 21 मार्च 2010 को उसे भोजन और प्रसाद बनाने के लिए रखा गया था.

पीड़िता के मुताबिक, जुलाई 2010 को वह शांतिकुंज के प्रमुख को कॉफी देने कमरे में गई. उसी दौरान कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया. पीड़िता का आरोप है कि कमरे में उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता के मुताबिक इस घटना के एक सप्ताह बाद फिर उसके साथ दोबारा दुष्कर्म किया गया और धमकी देकर किसी से घटना का जिक्र नहीं करने को कहा, लेकिन हिम्मत करके घटना की जानकारी दी तो मुंह बंद करने की धमकी दी गई.

पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि घटना के बाद उसकी तबीयत खराब रहने लगी. इलाज के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो 2014 में उसे वापस घर भेज दिया गया. स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद दोबारा हरिद्वार बुलाया गया लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया. 2018 में इस घटना को लेकर उसने फिर शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया लेकिन इसकी जानकारी शांतिकुंज प्रमुख को हो गई थी और उन्होंने फोन पर धमकी दी थी कि उसकी शिकायत से कुछ नहीं होगा.

आरोप पर शांतिकुंज प्रमुख का बयान

शांतिकुंज प्रमुख ने पूरे मामले को उनके खिलाफ साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि उनके ही संस्थान में रहकर उनके खिलाफ साजिश की गई है. महिला से बेवजह का आरोप लगवाकर उनसे पिछले 10 सालों से पैसों की मांग की जा रही है.

Last Updated : May 11, 2020, 9:14 PM IST
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