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जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में नियुक्ति पर जांच जारी, अभी कई नए चेहरे हो सकते हैं बेनकाब

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Published : Apr 7, 2022, 8:03 AM IST

जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर जांच जारी रही है. जांच से जुड़े अधिकारियों ने बीते रोज जिला सहकारी बैंक देहरादून में दस्तावेजों को खंगाला और अधिकारियों से पूछताछ भी की. बता दें, यह मामला चतुर्थ श्रेणी पद पर भाई भतीजावाद के तहत अपात्र लोगों को नियुक्ति देने के आरोपों से जुड़ा है, जिसके हाल ही में जांच के आदेश दिए गए हैं.

dehradun
देहरादून

देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों जिला सहकारी बैंकों में नियुक्ति के दौरान गड़बड़ी करने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. इसी महीने एक तारीख को इस मामले को लेकर सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की तरफ से जांच कमेटी गठित कर इसकी जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने के लिए भी कहा गया है. इस मामले के सार्वजनिक होने के बाद बीजेपी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है.

दरअसल, यह नियुक्तियां बीजेपी सरकार में ही हुईं और इसकी जांच के आदेश भी भाजपा सरकार में ही दिए गए हैं. ऐसे में राज्य की बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बड़ी बात यह है कि पूर्व की भाजपा सरकार में भी सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत थे और अब भी इस विभाग की जिम्मेदारी धन सिंह रावत के पास ही है. यही नहीं, इस मामले की जांच के आदेश भी धन सिंह रावत के निर्देशों के बाद ही दिए गए हैं.

जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में नियुक्ति पर जांच जारी.

साल 2020 में हुई थी भर्ती: सहकारिता विभाग में साल 2020 में चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया गया था. इसके लिए बाकायदा विज्ञप्ति निकाल कर भर्ती शुरू की गई थी. प्रदेश में 400 से ज्यादा चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरा जाना था. वैसे तो सभी जिला सहकारी बैंकों की तरफ से इस प्रक्रिया को शुरू किया गया था लेकिन नियुक्ति तक की प्रक्रिया केवल तीन जिले ही पूरी कर पाए. इसमें देहरादून, उधम सिंह नगर और पिथौरागढ़ जिले शामिल हैं.

हालांकि, इस नियुक्ति से पहले ही इस पर भर्ती प्रक्रिया के परिणामों में सेलेक्ट किए गए अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं देने के लिए रोक लगा दी गई थी. लेकिन कहा गया कि जब तक यह रोक लगी तब तक कुछ कर्मचारी नियुक्ति ले चुके थे. इधर, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष नियुक्ति प्रक्रिया को पाक-साफ बताते रहे हैं. इसमें एक ही परिवार के एक से अधिक लोगों की नियुक्ति और सहकारी बैंक में कुछ अधिकारियों के परिजनों की नियुक्ति सवालों के घेरे में दिखाई दे रही है.
पढ़ें- उत्तराखंड की नौकरशाही में बदलाव के संकेत, डेपुटेशन पर जाएंगे मुरुगेशन तो छुट्टी से लौटीं राधिका झा

बता दें, इस मामले में जिन अभ्यर्थियों का चयन नहीं हुआ है, उनकी तरफ से धांधली होने की शिकायतें की जा रही थीं. हालांकि यह नियुक्तियां गलत हैं कि नहीं इसका खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा. फिलहाल, जांच कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य की तरफ से इस मामले की जांच बैंकों में जाकर की जा रही है. दस्तावेज खंगालने के साथ ही अधिकारियों से पूछताछ भी की जा रही है. इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी गलत काम को नहीं होने देगी और जो भी सही होगा उसी के अनुसार ही जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों जिला सहकारी बैंकों में नियुक्ति के दौरान गड़बड़ी करने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. इसी महीने एक तारीख को इस मामले को लेकर सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की तरफ से जांच कमेटी गठित कर इसकी जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने के लिए भी कहा गया है. इस मामले के सार्वजनिक होने के बाद बीजेपी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है.

दरअसल, यह नियुक्तियां बीजेपी सरकार में ही हुईं और इसकी जांच के आदेश भी भाजपा सरकार में ही दिए गए हैं. ऐसे में राज्य की बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बड़ी बात यह है कि पूर्व की भाजपा सरकार में भी सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत थे और अब भी इस विभाग की जिम्मेदारी धन सिंह रावत के पास ही है. यही नहीं, इस मामले की जांच के आदेश भी धन सिंह रावत के निर्देशों के बाद ही दिए गए हैं.

जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में नियुक्ति पर जांच जारी.

साल 2020 में हुई थी भर्ती: सहकारिता विभाग में साल 2020 में चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया गया था. इसके लिए बाकायदा विज्ञप्ति निकाल कर भर्ती शुरू की गई थी. प्रदेश में 400 से ज्यादा चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरा जाना था. वैसे तो सभी जिला सहकारी बैंकों की तरफ से इस प्रक्रिया को शुरू किया गया था लेकिन नियुक्ति तक की प्रक्रिया केवल तीन जिले ही पूरी कर पाए. इसमें देहरादून, उधम सिंह नगर और पिथौरागढ़ जिले शामिल हैं.

हालांकि, इस नियुक्ति से पहले ही इस पर भर्ती प्रक्रिया के परिणामों में सेलेक्ट किए गए अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं देने के लिए रोक लगा दी गई थी. लेकिन कहा गया कि जब तक यह रोक लगी तब तक कुछ कर्मचारी नियुक्ति ले चुके थे. इधर, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष नियुक्ति प्रक्रिया को पाक-साफ बताते रहे हैं. इसमें एक ही परिवार के एक से अधिक लोगों की नियुक्ति और सहकारी बैंक में कुछ अधिकारियों के परिजनों की नियुक्ति सवालों के घेरे में दिखाई दे रही है.
पढ़ें- उत्तराखंड की नौकरशाही में बदलाव के संकेत, डेपुटेशन पर जाएंगे मुरुगेशन तो छुट्टी से लौटीं राधिका झा

बता दें, इस मामले में जिन अभ्यर्थियों का चयन नहीं हुआ है, उनकी तरफ से धांधली होने की शिकायतें की जा रही थीं. हालांकि यह नियुक्तियां गलत हैं कि नहीं इसका खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा. फिलहाल, जांच कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य की तरफ से इस मामले की जांच बैंकों में जाकर की जा रही है. दस्तावेज खंगालने के साथ ही अधिकारियों से पूछताछ भी की जा रही है. इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी गलत काम को नहीं होने देगी और जो भी सही होगा उसी के अनुसार ही जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

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