देहरादून: उत्तराखंड में रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े बिल्डरों के खिलाफ फ्लैट-अपार्टमेंट जैसे मामलों में धोखाधड़ी की शिकायतें तीन माह से लंबित पड़ी हैं. इनकी सुनवाई करने वाले रेरा प्राधिकरण (भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण) में अध्यक्ष और मेंबर न होने के चलते (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी )में सन्नाटा पसरा है. प्राधिकरण को प्रतिदिन लगभग 8 से 10 शिकायतें रियल एस्टेट से जुड़े लोगों के खिलाफ मिल रही हैं.
दरअसल रेरा अथॉरिटी में नियुक्त अध्यक्ष (चेयरमैन) को ही शिकायतों पर सुनवाई का अधिकार है. मगर इस पद पर नियुक्त चेयरमैन विष्णु कुमार का कार्यकाल बीते अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह पूरा हो गया है. तब से प्राधिकरण में अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है. इस कारण आशियाने के रूप में फ्लैट-अपार्टमेंट और रियल एस्टेट से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों की सुनवाई रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में इसका सबसे बड़ा खामियाजा उन ग्राहकों को उठाना पड़ रहा है, जिन्होंने रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े बिल्डरों और एजेंटों के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे मामलों में शिकायतें दर्ज कराई हैं.
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बिल्डरों के खिलाफ इन 4 जिलों में सबसे अधिक शिकायतें: जानकारी के अनुसार देहरादून, उधम सिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार में बीते अप्रैल मध्य (2021) से लेकर वर्तमान समय तक रेरा प्राधिकरण में ग्राहकों की 200 से अधिक शिकायतें लंबित चल रही हैं. इसमें सबसे अधिक 120 से अधिक शिकायतें देहरादून जिले में हैं. ग्राहकों की शिकायतों में बिल्डरों द्वारा फ्लैट का पूरी कीमत वसूलने के बाद भी उसका कब्जा उपलब्ध न कराना, कंस्ट्रक्शन का काम घटिया स्तर का, ग्राहकों से फ्लैट-अपार्टमेंट का पूरा पैसा लेने के बावजूद निर्माण कार्य समय पर शुरू न कराना, एग्रीमेंट के अनुसार बताए गए प्रोजेक्ट में उन बातों को पूरा न करना जैसी शिकायतें है.
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वर्तमान समय में 4 जिलों में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन की स्थिति पर नजर डालें तो इसमें ऑनलाइन प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशनों की संख्या 102 है. ऑफलाइन प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन की संख्या 219 है. ऑनलाइन एजेंट रजिस्ट्रेशन (बिचौलिए) की संख्या 151, जबकि ऑफलाइन एजेंट की संख्या 175 है.
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खाली पदों पर आवेदन की प्रक्रिया धीमी: बीते अप्रैल महीने से उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में चेयरमैन का पद खाली है. इसमें 2 जुलाई 2021 तक शासन को तीन आवेदन चेयरमैन पद के लिए मिले हैं. जिसमें से एक बिहार राज्य से रिटायर्ड आईएएस द्वारा दिया गया है. एक आवेदन रेरा के मेंबर द्वारा दिया गया है. तीसरा आवेदन प्राइवेट कंपनी के अधिकारी द्वारा दिया गया है, लेकिन चेयरमैन पद की नियुक्ति की कार्रवाई बेहद धीमी गति से चल रही है.
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वहीं, रेरा प्राधिकरण को संचालित करने लिए ढांचागत नियम के अनुसार 2 मेंबर के पद भी मुख्य तौर पर खाली चल रहे हैं. जानकारी के मुताबिक रिक्त मेंबर्स के 2 पदों के लिए शासन को 6 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. मगर अभी तक न चेयरमैन और न ही मेंबर पदों के लिए शासन से कोई नियुक्ति की सूची शॉर्टलिस्ट की गई है. न ही इस संबंध में कोई कार्रवाई में तेजी दिख रही है.
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जानकारी के अनुसार रेरा प्राधिकरण चेयरमैन पद के लिए 20 वर्षों का शासकीय अनुभव के अलावा अर्बन और टेक्नोलॉजी का ज्ञान होना आवश्यक है. वहीं दूसरी तरफ रेरा के मेंबर्स पद के लिए न्यूनतम 15 वर्षों का अनुभव मांगा गया है.
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बता दें वर्ष 2016 में रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट देश में लागू किया गया था. उत्तराखंड में वर्ष 2017 में इस एक्ट को लागू किया गया. इसी एक्ट के तहत रेरा प्राधिकरण में रियल एस्टेट से से जुड़ी शिकायतों को दर्ज और उनकी सुनवाई कर मामले का निस्तारण करने की प्रक्रिया होती है. राज्य में एक्ट लागू होने के बाद 2018 में ही रियल एस्टेट से जुड़े बिल्डर्स एजेंट और फ्लैट अपार्टमेंट जैसे प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी. वर्ष 2018 में ही रेरा प्राधिकरण में मामलों की सुनवाई के लिए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विष्णु कुमार को चेयरमैन पद पर नियुक्त किया था.
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ऐसे में प्राधिकरण में कार्यकाल समाप्त होने के उपरांत बीते अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में चेयरमैन पद खाली चल रहा है. जिसके चलते सुनवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है. जानकारी के अनुसार प्रतिदिन लगभग 8 से 10 शिकायतें प्राधिकरण को बिल्डरों, रियल एस्टेट से जुड़े लोगों के खिलाफ मिल रही हैं. जिसके चलते प्राधिकरण में शिकायतों की फाइलों का अंबार लगा हुआ है.