देहरादूनः सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई धनराशि को समय पर शत-प्रतिशत खर्च करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं. उन्होंने विभिन्न चिकित्सा इकाईयों में चल रहे निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को निर्माणाधीन कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए.
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य महानिदेशालय में आयोजित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए. उन्होंने वर्तमान वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्वीकृत धनराशि को शत-प्रतिशत खर्च करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए.
डॉ. धनसिंह रावत ने बताया कि सूबे में एनएचएम के अंतर्गत हुए बेहत्तर कार्यों के आधार पर भारत सरकार द्वारा इस वित्तीय वर्ष 1129.5 करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध कराया गया है जो कि विगत वित्तीय वर्ष में मिले बजट के मुकाबले 280 करोड़ रुपए अधिक है. जिसे तय समय के भीतर शत-प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है. ताकि, प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और अधिक मजबूत किया जा सके.
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7 CCU की स्थापनाः बैठक में विभागीय मंत्री ने विभिन्न चिकित्सा इकाईयों में चल रहे निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताई. उन्होंने अधिकारियों से दो टूक कहा कि निर्माणाधीन कार्यों में तेजी लाकर सभी निर्माण कार्यों को निश्चत समय सीमा के भीतर पूरा करें. डॉ रावत ने बताया कि ईआरसीपी के अंतर्गत 8 चिकित्सा इकाईयों में प्रीफैब्रिकेटेड 42 बेड एवं 10 चिकित्सा इकाईयों में 32 बेड का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए शासन ने 5073.12 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत कर दी है. इसके अलावा इस वित्तीय वर्ष में 7 क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) की स्थापना की जाएगी. इसके लिए कार्यदायी संस्था नामित कर दी गई है. शीघ्र ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
NHM कर्मियों का वेतन जारी करने के निर्देशः एनएचएम कार्मिकों को विगत 3 माह से वेतन ना मिलने पर डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई. उन्होंने मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. आर राजेश कुमार को व्यवस्थाएं ठीक कर शीघ्र वेतन निर्गत करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि एनएचएम के अंतर्गत कार्यरत कार्मिक अल्प वेतनभोगी हैं और उनका कई महीनों तक बिना किसी कारण वेतन रोकना न्यायोचित नहीं है.