देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव और चंपावत उपचुनाव में कांग्रेस करारी हार का सामना कर चुकी है. बीती रोज देहरादून में कांग्रेस का नव संकल्प मंथन शिविर आयोजित हुआ था. जिसमें चुनाव में हार के कारणों पर मंठन किया गया. मंठन में कांग्रेस ने भी माना है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुद्दा हार का बड़ा कारण था. जिस पर हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है, उन्होंने लिखा है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर भाजपा ने एक सफेद झूठ को गांव गांव तक पहुंचाया. ऐसे में अब वो विवादित यूनिवर्सिटी पर बयान वाला अखबार लाने पर वो तीन लाख रुपए का इनाम देंगे.
कांग्रेस के नव संकल्प मंथन शिविर में कार्यकर्ताओं ने भी अपने संबोधन ओर सुझावों में हार के कारणों में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को प्रमुखता से रखा. जिस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा है, 'मैंने घोषणा पत्र जारी करने के दिन की प्रेस कांफ्रेंस में इस बात को स्पष्ट तौर पर कहा कि कहीं भी ये बात नहीं आई है. किसी भी उत्तराखंड के मुस्लमान को तो छोड़ दीजिए, देश के मुस्लमान ने भी मुस्लिम युनिवर्सिटी की मांग हमसे नहीं की है, समर्थन का सवाल तो पैदा ही नहीं होता है.'
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हरीश रावत आगे लिखते हैं, 'हमने कहा कि ये झूठ है, इस झूठ को जानबूजकर प्रचारित किया जा रहा है. उसके बाद भी हमारे नेतागणों ने इस झूठ का स्थानीय आधार पर खंडन किया. खैर झूठ बोलकर जनता के वोट को हासिल करना भाजपा की फितरत रही है. मैंने चुनाव के बाद भाजपा को धामी की धूम पेज में फैलाये गए इस झूठ जिसमें एक समाचार पत्र का उल्लेख कर उसका वीडियो दिखा कर इस झूठ को सही साबित करने की कोशिश की गयी. उसे सिद्ध करने की चुनौती दी. फिर मैंने एक खुला निमंत्रण दिया की जो व्यक्ति भी ये साबित कर देगा की कांग्रेस ने या हरीश रावत ने मुस्लिम युनिवर्सिटी खोलने की बात कही है या कोई बयान दिया है तो मैं उस व्यक्ति को 1 लाख रुपए पुरस्कार दूंगा.'
साथ ही उन्होंने आगे लिखा है, 'मैंने आह्वान किया की कोई व्यक्ति ऐसा अखबार मुझको दिखा दे उसके एक से लेकर दस प्रतियां तक दिखा दे तो मैं राज्य की जनता से माफी भी मांगूगा और उस व्यक्ति को जो इसको सिद्ध कर देगा की ये अखबार में छपा है, समाचार तो छोड़िये उस अखबार का अस्तित्व भी है वो कहीं से प्रकाशित भी हो रहा है, इसको भी सिद्ध कर देगा. कुछ दिनों के बाद मैंने उस पुरस्कार की राशि को बढ़ाकर के दो लाख रुपए करने की घोषणा की.'
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वहीं, हरीश आगे लिखते हैं, 'मैं फिर से अपनी चुनौती को दोहरा रहा हूँ कि हम पुरस्कार की राशि को तीन लाख रुपए करेंगे. कोई उस अखबार को जो धामी की धूम पेज में छपा था. जिसके आधार पर भाजपा के छोटे नेता से शीर्ष नेताओं तक ने इस झूठ को प्रचारित किया, प्रसारित किया, मुझे लाकर के दिखा देगा तो हम उसको धन्यवाद देंगे और तीन लाख रुपए का पुरस्कार देंगे. यदि भाजपा कोई ऐसा अखबार नहीं दिखा पाती तो फिर इस तथ्य को भाजपा को स्वीकार करना चाहिए कि उनकी वर्तमान सरकार, धामी सरकार मुस्लिम यूनिवर्सिटी के झूठ के गर्भ से पैदा हुई है.'
क्या था मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दाः गौर हो कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में अकील अहमद ये कहते नजर आए कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा, इसलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया. मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे को भाजपा ने हथियार के तरह इस्तेमाल किया और इस मामले पर कांग्रेस को जमकर घेरा.
चुनाव में भाजपा के सभी नेताओं ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुद्दे को भुनाने की कोशिश की. खुद पीएम मोदी ने भी मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Muslim University case in uttarakhand) मामले में कांग्रेस को घेरा था. मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर भाजपाइयों का कहना था कि शिक्षा को अगर धर्म के आधार पर जोड़ेंगे तो यह गलत है. क्या यहां और यूनिवर्सिटी नहीं हैं? क्या इन यूनिवर्सिटी में मुस्लिमों के पढ़ने पर प्रतिबंध है? अगर, धर्म के आधार पर शिक्षा को जोड़ेंगे तो निश्चित तौर पर समाज का हनन होगा.
भाजपा ने मुद्दे को बढ़ाते हुए कहा था कि कांग्रेस को देवभूमि में इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. यूपी-बंगाल में समझ आता है, उत्तराखंड को पश्चिम बंगाल बनाने की कोशिश कांग्रेस न करे. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है. कांग्रेस को मात्र 19 सीट ही मिल पाई है. हार का सामना करने के बाद कांग्रेस ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी को वजह भी बताया.
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अकील अहमद को पार्टी से निकाला बाहरः मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामले पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को अनुशासनहीनता के चलते 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. अकील अहमद लगातार मीडिया में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर बयानबाजी कर रहे थे, साथ ही अपनी पार्टी के नेताओं पर तंज कस रहे थे.
पार्टी ने अकील अहमद को नोटिस भी दिया था, लेकिन अकील अहमद की ओर से कोई जवाब न देने पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अकील अहमद ने निष्कासन पर सफाई देते हुए कांग्रेस पार्टी पर एक बार फिर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाकर रहेंगे. इसके अलावा 2024 में हरिद्वार सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी ही उनका मुद्दा रहेगा.