देहरादून: पूरे विश्व में 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर आइए जानते हैं कि आपके शरीर में मौजूद सबसे अहम हिस्से आपके दिल का ख्याल आप कैसे रख सकते हैं और इससे जुड़े मिथक क्या क्या हैं.
हृदय रोगों (कार्डियो वैस्कुलर डिजीज) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: कार्डियो वैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) से हर साल 17.5 मिलियन लोगों की मौत होती है, जो दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का 31 फीसदी है. सीवीडी से होने वाली 75% मौतें निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं. सभी सीवीडी मौतों में से 80% हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती हैं.
अब बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई हार्ट डिजीज: दिल की बीमारियां अब बुजुर्गों की बीमारी नहीं रहीं. गतिहीन जीवन शैली और मोटापा, तनाव और जंक फूड के सेवन आदि जैसे कारणों से युवाओं में भी हृदय संबंधी समस्याएं अधिक होती जा रही हैं. सीनियर कंसल्टेंट और हेड सीटीवीएस डॉ रवि कुमार सिंह, ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि लगभग 32 मिलियन भारतीय हृदय रोग से पीड़ित हैं. हृदय रोगों का खतरा कोई नया नहीं है. यह वर्षों से हो रहा है, जिससे हमें हमारी जटिल जीवन शैली यानी अनहेल्दी लाइफस्टाइल को लेकर गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
क्या कहते हैं डॉक्टर रवि कुमार: डॉ रवि कुमार सिंह ने बताया कि कोरोनरी धमनी रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह और रूमेटिक हृदय रोग के कारण भारत में हृदय गति रुकने का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. जीवन शैली की आदतों को यदि प्रारंभिक अवस्था में बदल दिया जाए तो व्यक्ति के हृदय और स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि उनकी ओपीडी में हृदय संबंधी समस्याओं के साथ आने वाले अधिकांश रोगी युवा हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह आजकल की हानिकारक जीवनशैली और बुरी आदतें हैं. जैसे धूम्रपान, शराब पीना, अत्यधिक फास्ट-फूड का सेवन और एक्सरसाइज ना करना भी एक बड़ी वजह है.
देहरादून में बढ़ रहे हैं हृदय रोगों के मरीज: देहरादून के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की एसोसिएट डायरेक्टर, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रीति शर्मा ने बताया कि भारत के 12 शहरों में किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 70 प्रतिशत से अधिक शहरी भारतीय आबादी हृदय रोग से किसी न किसी प्रकार से प्रभावित है. इस वर्ष विश्व हृदय दिवस की थीम है - 'सभी के लिए स्वास्थ्य हृदय'. इसलिए हम चाहते हैं कि विश्व हृदय दिवस का यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे. ताकि हर किसी के लिए कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद मिल सके.
खराब लाइफ स्टाइल बढ़ा रहा हृदय रोग: डॉ प्रीति शर्मा ने बताया कि देहरादून शहर में आखिरी बार जो डेटा कलेक्शन वर्ष 2018-19 में किया गया था, उसमें पाया गया था कि शहर में लोग पुराने समय के मुकाबले ज्यादा हृदय रोग से पीड़ित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि केवल देहरादून शहर में इस डेटा के अनुसार 27 फीसदी मौतें हृदय रोग से हुई हैं, जो कि अपने आप में एक बड़ा संकेत हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि संभवत यह आंकड़ा अब बढ़ा ही होगा. क्योंकि देहरादून शहर में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. यहां पर लोगों की लाइफ स्टाइल लगातार खराब होती जा रही है. हमारे ऑर्गेनिक और शुद्ध देशी खाद्य पदार्थों पर आज जंक फूड कब्जा जमाता जा रहा है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए उनका कहना है कि हमें अपने लिए और अपने हृदय यानी दिल को स्वस्थ रखने के लिए जागरूक रहने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि देहरादून शहर की आबोहवा जिस चीज के लिए जानी जाती थी, हमें उसे भी बरकरार रखने की जरूरत है.
भारत में हर साल सीवीडी से होने वाली मौतें 50 लाख: विशेषज्ञों के अनुसार हृदय रोग (सीवीडी) दुनिया भर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है. सीवीडी के दो सबसे आम प्रकार हैं. कोरोनरी हृदय रोग (दिल का दौरा पड़ने वाले) और सेरेब्रोवास्कुलर रोग (स्ट्रोक के लिए अग्रणी कारक). विकासशील देशों में हृदय रोग पूरे विश्व का 80% से अधिक पाए जाते हैं. एक अनुमान के अनुसार 2023 तक, चीन में सीवीडी से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 40 लाख प्रति वर्ष और भारत में लगभग 50 लाख हो जाएगी. पिछले कुछ वर्षों में, हृदय की समस्याओं से पीड़ित युवा रोगियों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है.
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देहरादून में हार्ट डिजीज जागरूकता अभियान: अस्वस्थ आहार और शारीरिक निष्क्रियता के कारण लोगों में बढ़ा हुआ रक्तचाप, बढ़ी हुई रक्त शर्करा, बढ़ा हुआ रक्त लिपिड और अधिक वजन मोटापे के रूप में दिखाई देता है. इन्हें 'मध्यवर्ती जोखिम कारक' या मेटाबोलिक जोखिम कारक कहा जाता है. उन्होंने आगे बताया कि विश्व हृदय दिवस से पूर्व, जो कि हर वर्ष 29 सितंबर को मनाया जाता है, उत्तर भारत के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, देहरादून इस मौके पर लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और प्रेरित करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान भी चला रहा है.