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Kumbh Covid Test Scam: हिसार नलवा लैब पर ED का छापा, 18 अधिकारी जांच में जुटे

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Published : Aug 6, 2021, 5:27 PM IST

हरिद्वार कुंभ कोविड टेस्ट फ्रॉड मामले में ईडी ने हिसार स्थित नलवा लैबोरेट्री पर छापेमारी की है. करीब 18 अधिकारी और सुरक्षा कर्मचारियों की टीम ये जांच कर रही है.

Kumbh Mela Fake Corona Report
Kumbh Mela Fake Corona Report

देहरादून/हिसार: कुंभ के मेले में फर्जी कोरोना रिपोर्ट (Kumbh Mela Fake Corona Report) बनाने की आरोपी नलवा लैबोरेट्री पर ED ने छापेमारी (Ed Raid Nalwa Lab) की है. सुबह 7 बजे से ईडी की टीम लैब में जांच कर रही है. करीब 18 अधिकारी और सुरक्षा कर्मचारियों की टीम ये जांच कर रही है. इससे पहले उत्तराखंड पुलिस की टीम भी लैब में आकर जांच कर चुकी है.

बता दें, कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच सवालों के घेरे में आई. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले थे. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.

हिसार स्थित नलवा लैब पर ED की छापेमारी

यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया था. क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया था.

पढ़ें- शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर डी नोटिफाइड केस, सरकार बोली- वन विभाग से मिली NOC

ऐसे हुआ खुलासा: यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपिन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपिन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन किया गया. उनसे कहा गया कि 'आपकी रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसके बाद विपिन ने कॉलर को जवाब दिया कि उनका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई.

फोन आने के बाद विपिन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की थी.

एक किट से 700 से अधिक सैंपलिंग: जानकारी ये भी सामने आई थी कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

देहरादून/हिसार: कुंभ के मेले में फर्जी कोरोना रिपोर्ट (Kumbh Mela Fake Corona Report) बनाने की आरोपी नलवा लैबोरेट्री पर ED ने छापेमारी (Ed Raid Nalwa Lab) की है. सुबह 7 बजे से ईडी की टीम लैब में जांच कर रही है. करीब 18 अधिकारी और सुरक्षा कर्मचारियों की टीम ये जांच कर रही है. इससे पहले उत्तराखंड पुलिस की टीम भी लैब में आकर जांच कर चुकी है.

बता दें, कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच सवालों के घेरे में आई. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले थे. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.

हिसार स्थित नलवा लैब पर ED की छापेमारी

यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया था. क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया था.

पढ़ें- शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर डी नोटिफाइड केस, सरकार बोली- वन विभाग से मिली NOC

ऐसे हुआ खुलासा: यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपिन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपिन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन किया गया. उनसे कहा गया कि 'आपकी रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसके बाद विपिन ने कॉलर को जवाब दिया कि उनका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई.

फोन आने के बाद विपिन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की थी.

एक किट से 700 से अधिक सैंपलिंग: जानकारी ये भी सामने आई थी कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

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