देहरादूनः रुड़की के भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा और दारोगा नीरज कठैत के बीच मसूरी में मास्क न लगाए जाने को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस विवाद के बाद दारोगा का ट्रांसफर कर दिया गया, जिसमें घिरने के बाद अब पुलिस अधिकारियों की सफाई सामने आई है.
देहरादून एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने संबंधित मसूरी दारोगा के ट्रांसफर को लेकर तीन कारण बताए गए हैं.
- पहलाः दारोगा का एक हफ्ते बाद 3 साल एक थाने में तैनात नियमानुसार ट्रांसफर होना था. उसी के चलते यह ट्रांसफर किया गया.
- दूसरा: संबंधित दारोगा द्वारा मीडिया कैमरे के सामने गैरजरूरी तरीके से बयान दिया गया, जो गलत पाया गया. क्योंकि नियम के मुताबिक किसी भी मामले पर एक ऑफिसर सर्कल (सीओ रैंक) से शुरू होने वाले ऑफिसर को ही किसी विषय पर मीडिया के समक्ष बयान देने का अधिकार है.
- तीसराः विधायक और दारोगा के बीच हुए प्रकरण पर जांच चल रही है. ऐसे में जांच प्रभावित न हो, इस कारण भी संबंधित दारोगा को वहां से ट्रांसफर किया गया है.
पुलिसकर्मी का ट्रांसफर करना मनोबल गिराने जैसा
कानूनी जानकारों का कहना है कि भले ही मसूरी दारोगा को 3 अलग-अलग कारणों का हवाला देकर ट्रांसफर करने की बात संबंधित अधिकारी कह रहे हों, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि दारोगा के ट्रांसफर से पुलिस अधिकारियों की आलोचना हो रही है. कानूनी जानकार चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि कोरोना काल में जिस तरह पहले दिन से वर्तमान समय तक अपनी जान जोखिम में डालकर फ्रंट वॉरियर के रूप में पुलिस अपने कर्तव्यों का निर्वहन मुस्तैदी से कर रही है. ऐसे में मास्क न पहनने वाले विधायक पर कार्रवाई न करके पुलिसकर्मी पर कार्रवाई करना उसके मनोबल को गिराने जैसा है.
ये भी पढ़ेंः BJP विधायक का चालान करने वाले पुलिस अधिकारी का ट्रांसफर, कांग्रेस ने सरकार को घेरा
सत्ता के दबाव में ट्रांसफर कराना दुर्भाग्यपूर्ण
वहीं, इस मामले में कानूनी जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य व सफाई कर्मी जैसे फ्रंटलाइन वॉरियर के रूप में जिस तरह से पुलिस 24 घंटे लोगों की मदद के लिए नजर आई, वो बेहद सराहनीय है लेकिन दुर्भाग्य है कि मसूरी में सड़क पर ड्यूटी करने वाले दारोगा पर जिस तरह से राजनीतिक दबाव में कार्रवाई की गई, वह फोर्स का मनोबल गिराने जैसा है.
सकारात्मक संदेश के लिए उचित कार्रवाई हो
उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक इस मामले में विधायक प्रदीप बत्रा द्वारा जिस तरह से संयम खोकर सत्ता का पावर दिखाया गया है, वो सही नहीं है. प्रकरण पर शासन-प्रशासन को हस्तक्षेप कर मामले पर निष्पक्षता से जांच कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि जनता में एक सकारात्मक संदेश जाए.
ये था मामला
एसआई नीरज कठैत द्वारा चेकिंग के दौरान मसूरी मॉल रोड पर रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा के द्वारा मास्क न पहनने पर चालान की कार्रवाई की गई थी, जिसको लेकर विधायक प्रदीप बत्रा और उनके पुत्र द्वारा पुलिस से अभद्रता की गई थी, जिसको लेकर पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
गौर हो कि मसूरी में परिवार के साथ घूमने आए रुड़की के बीजेपी विधायक प्रदीप बत्रा का एसआई नीरज कठैत मास्क नहीं पहनने पर चालान काट दिया था. विधायक बत्रा माल रोड पर बिना मास्क लगाए घूम रहे थे, तभी उन्हें पुलिस ने रोक लिया और मास्क नहीं पहनने के लिए टोका तो विधायक जी लाल-पीले हो गए. ये बात विधायक बत्रा को नागवार गुजरा और उन्होंने सत्ताधारी पार्टी के विधायक होने की हनक भी दिखाई, लेकिन पुलिसकर्मी ने उनकी एक नहीं सुनी और मास्क नहीं पहनने पर उनका 500 रुपए का चालान काट दिया. इसके बाद विधायक चालान के पैसे फेंकते हुए वहां से चले गए.