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लैंसडाउन अब कालौं का डांडा कहलाएगा! उत्तराखंड में कई ब्रिटिशकालीन गुलामी की यादें होंगी खत्म

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Published : Oct 27, 2022, 6:06 PM IST

Updated : Oct 28, 2022, 6:19 AM IST

उत्तराखंड के मशहूर टूरिस्ट प्लेस लैंसडाउन का नाम बदलने की तैयारी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तस्दीक की है कि वह उत्तराखंड में उन सभी नामों को बदलने की कवायद शुरू करेंगे, जो ब्रिटिशकालीन गुलामी की यादें ताजा करते हैं.

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लैंसडाउन अब कालू का डांडा कहलाएगा

देहरादून: धामी सरकार मशहूर टूरिस्ट प्लेस लैंसडाउन का नाम बदलने की तैयारियों में जुट गई है. पौड़ी जिले में छावनी परिषद क्षेत्र लैंसडाउन का नाम बदलने को लेकर रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव मांगा है. 132 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान हिल स्टेशन लैंसडाउन का ये नाम रखा गया था. गढ़वाल राइफल्स का केंद्र माने जाने वाले लैंसडाउन अंग्रेजों द्वारा बसाया गया शहर है, जो ब्रिटिशकालीन सेना की याद दिलाता है. ऐसे में लैंसडाउन का नया नाम कालौं का डांडा (Lansdowne will now be called Kalon Ka Danda) हो सकता है. कालौं का डांडा का मतलब अंधेरे में डूबे पहाड़ होता है.

आर्मी हेड क्वार्टर ने सब एरिया उत्तराखंड से ब्रिटिश काल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उप नगरों के नाम बदलने के प्रस्ताव मांगे हैं. इससे पहले हेनरी पेटी फिट्जमॉरिस के नाम पर रखे गए लैंसडाउन चौक का नाम बदलकर गढ़वाल के राजा महाराजा प्रद्युम्न शाह चौक किया जा चुका है.
ये भी पढ़ें: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कल उत्तराखंड के तीन पुलों का करेंगे लोकार्पण, चीन सीमा तक पहुंच होगी आसान

लैंसडाउन 1888 से 1894 के दौरान वायसराय ऑफ इंडिया रहे. तब यहां की आबादी 4 हजार से भी कम थी. गढ़वालियों ने यहां अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया. यहां देवदार के साथ ब्लू पाइन के घने जंगल मनमोह लेते हैं. अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान 1857 में वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन (Viceroy Lord Lansdowne) की लोकप्रियता के चलते यहां का नाम बदला. ब्रिटिश अफसरों को पहाड़ी क्षेत्र काफी पसंद था और यहां गढ़वाल रायफल्स रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर भी था. यहां ज्यादातर लोग गढ़वाली और हिन्दी भाषा में बात करते हैं.

सरकार का अच्छा कदम: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि भारतीय सेना का अपने संस्थानों के ब्रिटिश कालीन नामों को उनके असली पहचान वाले नामों में बदलने की यह मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की औपनिवेशिक और गुलाम मानसिकता वाली सोच को परास्त करने की मुहिम में एक कड़ी है.

भाजपा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है, लिहाजा देश और प्रदेशवासियों का नैतिक मनोबल और स्वाभिमान बढ़ाने वाले प्रत्येक कदम में साथ है. उन्होंने कहा स्थानीय लोगों व प्रदेशवासियों की लंबे समय से इस स्थान के मौलिक नाम कालौं का डांडा करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में जनभावनाओं के अनुरूप नाम परिवर्तन का यह प्रस्ताव शीघ्र ही मंजूर हो जाएगा.

देहरादून: धामी सरकार मशहूर टूरिस्ट प्लेस लैंसडाउन का नाम बदलने की तैयारियों में जुट गई है. पौड़ी जिले में छावनी परिषद क्षेत्र लैंसडाउन का नाम बदलने को लेकर रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव मांगा है. 132 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान हिल स्टेशन लैंसडाउन का ये नाम रखा गया था. गढ़वाल राइफल्स का केंद्र माने जाने वाले लैंसडाउन अंग्रेजों द्वारा बसाया गया शहर है, जो ब्रिटिशकालीन सेना की याद दिलाता है. ऐसे में लैंसडाउन का नया नाम कालौं का डांडा (Lansdowne will now be called Kalon Ka Danda) हो सकता है. कालौं का डांडा का मतलब अंधेरे में डूबे पहाड़ होता है.

आर्मी हेड क्वार्टर ने सब एरिया उत्तराखंड से ब्रिटिश काल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उप नगरों के नाम बदलने के प्रस्ताव मांगे हैं. इससे पहले हेनरी पेटी फिट्जमॉरिस के नाम पर रखे गए लैंसडाउन चौक का नाम बदलकर गढ़वाल के राजा महाराजा प्रद्युम्न शाह चौक किया जा चुका है.
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लैंसडाउन 1888 से 1894 के दौरान वायसराय ऑफ इंडिया रहे. तब यहां की आबादी 4 हजार से भी कम थी. गढ़वालियों ने यहां अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया. यहां देवदार के साथ ब्लू पाइन के घने जंगल मनमोह लेते हैं. अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान 1857 में वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन (Viceroy Lord Lansdowne) की लोकप्रियता के चलते यहां का नाम बदला. ब्रिटिश अफसरों को पहाड़ी क्षेत्र काफी पसंद था और यहां गढ़वाल रायफल्स रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर भी था. यहां ज्यादातर लोग गढ़वाली और हिन्दी भाषा में बात करते हैं.

सरकार का अच्छा कदम: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि भारतीय सेना का अपने संस्थानों के ब्रिटिश कालीन नामों को उनके असली पहचान वाले नामों में बदलने की यह मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की औपनिवेशिक और गुलाम मानसिकता वाली सोच को परास्त करने की मुहिम में एक कड़ी है.

भाजपा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है, लिहाजा देश और प्रदेशवासियों का नैतिक मनोबल और स्वाभिमान बढ़ाने वाले प्रत्येक कदम में साथ है. उन्होंने कहा स्थानीय लोगों व प्रदेशवासियों की लंबे समय से इस स्थान के मौलिक नाम कालौं का डांडा करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में जनभावनाओं के अनुरूप नाम परिवर्तन का यह प्रस्ताव शीघ्र ही मंजूर हो जाएगा.

Last Updated : Oct 28, 2022, 6:19 AM IST
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