देहरादूनः उत्तराखंड में पंप स्टोरेज परियोजनाओं की ड्राफ्ट नीति को धामी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. इस नीति का मुख्य उद्देश्य पंप भंडारण परियोजनाओं के जरिए राज्य में इस क्षेत्र की तय क्षमता का बेहतर इस्तेमाल, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रबंधन और बेहतर उपयोग कर ग्रिड स्थिरता प्रदान करना, सब-निर्धारित ऑफस्ट्रीम स्थलों के विकास के लिए प्रोत्साहित करना, संगत क्षेत्र में सार्वजनिक एवं निजी निवेश के माध्यम से आर्थिक विकास करना है. इसके अलावा इन परियोजनाओं के जल से पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की कमी को भी पूरा करना है.
वहीं, इस प्रस्तावित नीति में इन परियोजनाओं के तत्काल विकास के लिए राज्यीय पारेषण शुल्क, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, निशुल्क रॉयल्टी विद्युत, जल कर और सरकारी भूमि को 45 सालों के लिए सर्कल रेट से जुड़े सालाना पट्टा रेट पर आवंटित किए जाने के संबंध में तमाम छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है.
दरअसल, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की ओर से राष्ट्रीय विद्युत योजना के तहत पंप भंडारण परियोजनाओं के लिए तय की गई कुल क्षमता और राज्य के लिए निर्धारित लक्ष्य के क्रम में इस ड्राफ्ट नीति को अमलीजामा पहनाया गया है. जिसमें भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार उत्तराखंड में पंप भंडारण क्षमता विषयक परियोजनाओं के विकास के लिए ड्राफ्ट नीति तैयार की गई है.
ये भी पढ़ेंः उरेडा में कर्मचारियों की कमी ने सोलर पावर के सपने पर लगाया ब्रेक, नई नीति के बाद बदलेंगे हालात!
उत्तराखंड ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि पंप स्टोरेज प्लान पॉलिसी उत्तराखंड के लिए इसलिए जरूरी है. क्योंकि, पीक ऑवर और नॉन पीक ऑवर के समय डिमांड एंड सप्लाई में काफी अंतर रहता है. पंप स्टोरेज प्लान के तहत नॉन पीक ऑवर में जो बिजली पैदा होती है, उसको पीक ऑवर में इस्तेमाल करते हुए बिजली पैदा करते हैं. ऐसे में पीक ऑवर के समय बिजली डिमांड को पूरा किया जा सकता है.
लिहाजा, टिहरी में टीएचडीसी एक प्रॉपर स्टोरेज प्लान बना रहा है. जिसके तहत इस पॉलिसी को लाया गया है. इस पॉलिसी में कुछ छूट भी देने का प्रावधान किया गया है. जिसके तहत 12 फीसदी फ्री पावर दिए जाने की व्यवस्था पंप स्टोरेज प्लान के लिए लागू नहीं होगा. लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड भी नहीं देना होगा. ट्रांसमिशन चार्ज भी अगले 5 सालों तक केवल 50 फीसदी रहेगा. इसके साथ ही भूमि अलॉटमेंट को लेकर भी तमाम छूट दी जाएगी.