देहरादून: हिमालयी संस्कृति के सरोकारों के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से डांडी कांठी क्लब (Dandi Kanthi Club) 17 सितंबर को जागर संरक्षण दिवस मनाने जा रहा है. इसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग विधाओं में 12 पारंगत श्रेष्ठ विभूतियों और 5 डोलियों सहित कुल 17 विभूतियों को राज्य वाद्य यंत्र सम्मान 2022 से सम्मानित किया जाएगा.
आयोजकों का कहना है कि कार्यक्रम में प्रदेश के साहित्यविद, संस्कृति प्रेमी व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि गण शामिल होंगे. इसके अलावा प्रदेश की लोक संस्कृति के ध्वजवाहक भारी संख्या में कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगे. क्लब के अध्यक्ष विजय भूषण उनियाल ने बताया कि जागर संरक्षण दिवस 17 सितंबर 2016 में जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के जन्म दिवस के अवसर पर शुरू किया गया था, जो कि अब पांचवीं बार मनाया जा रहा है. आयोजकों के मुताबिक ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व पटल पर जागर संरक्षण व ढोल विधा पर शोधकर्ता छात्रों को लाभ मिल सकेगा.
कौन हैं जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण: प्रीतम भरतवाण उत्तराखंड के विख्यात लोक गायक हैं. भारत सरकार ने उन्हें 2019 में पद्मश्री पुरस्कार से समानित किया. वे उत्तराखंड में बजने वाले ढोल के ज्ञाता हैं. उन्होंने राज्य की विलुप्त हो रही संस्कृति को बचाने में अमूल्य योगदान दिया है. प्रीतम भरतवाण का जन्म देहरादून के रायपुर ब्लॉक स्थित सिला गांव के एक औजी परिवार में हुआ था. अपने दादा और पिता की तरह उन्होंने भी ढोल वादन के अपने पारंपरिक व्यवसाय को आगे बढ़ाया.
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स्थानीय स्तर पर गायकी और ढोल वादन को सराहना मिली तो प्रीतम ने साल 1988 में आकाशवाणी के लिए गाना शुरू कर दिया था. चार साल बाद उनका पहला ऑडियो एल्बम रंगीली बौजी बाजार में आया, जिसे खूब पसंद किया गया. इसके बाद प्रीतम ने तौंसा बौ, पैंछि माया, सुबेर, रौंस, सरूली, तुम्हारी खुद और बांद अमरावती जैसे एक से बढ़कर एक सुपरहिट एलबम निकाले.